2003 विश्व कप कई देशों के लिए विशेष रहा था. इस साल ऑस्ट्रेलिया ने लगातार दूसरा विश्व कप जीता था, भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी. हालांकि भारत ये मुकाबला हार गई लेकिन टीम ने इस हार से बहुत कुछ सीखा.
जब केन्या ने किया पूरे क्रिकेट जगत को हैरान
इन सभी के बीच एक टीम और थी जिसके लिए ये टूर्नामेंट उनके इतिहास का अब तक का सबसे अच्छा अभियान साबित हुआ था. ये टीम थी केन्या. हालांकि शानदार प्रदर्शन के साथ केन्या को किस्मत का साथ भी मिला था. इसी वजह से कम आंकी जाने वाली इस ने सबको हैरान करते हुए सेमीफाइनल तक में जगह बना ली थी. केन्या ने 1996 में अपना पहला विश्वकप खेला लेकिन 1999 तक वो ग्रुप स्टेज में ही बाहर होती रही.
इससे आगे के मैचों के लिए उनसे किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी लेकिन कहते हैं ना किस्मत सबको एक ना एक मौका जरूर देती है. केन्या को भी वो मौका मिला और उसने पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों को हैरान कर दिया. आज भी लोगों को ये सोचकर हैरानी होती है कि आखिर केन्या 2003 विश्व कप के सेमीफाइनल में कैसे पहुंची. इसी विश्वकप के दौरान एक ऐसा मैच भी खेला गया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. इस मैच ने ही केन्या की किस्मत चमकाई और उसके लिए सेमीफाइनल के रास्ते खुल गए. इस मैच में केन्या ने बिना एक गेंद खेले न्यूजीलैंड पर जीत दर्ज की थी.
दिग्गज देशों को पीछे छोड़ बढ़ी आगे
2003 क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी अफ्रीकी देशों, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और केन्या ने की थी. टूर्नामेंट से पहले, यह बिल्कुल स्पष्ट था कि प्रतियोगिता के अंतिम चरण में दिग्गज टीमें ही पहुंचेंगी लेकिन आगे जो हुआ वो इतिहास में दर्ज हो गया. केन्या, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, वेस्ट इंडीज, श्रीलंका, बांग्लादेश और कनाडा के साथ एक ग्रुप में थी. इनमें से केवल तीन टीमों को सुपर सिक्स में जाना था और ये सब जानते थे कि इनमें से केन्या तो वो देश नहीं हो सकता जो आगे के चरण में जाएगा, वो भी तब जब वो संयुक्त मेजबान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हार गई.
इसके बाद केन्या ने कनाडा को हराकर वापसी की. आगे की राह कठिन थी. उसे अब न्यूजीलैंड को हराना था, नहीं तो उनके लिए आगे के लिए रास्ता बंद हो जाता. केन्या के लिए न्यूजीलैंड जैसी अनुभवी टीम का सामना करना बेहद मुश्किल था लेकिन उस साल किस्मत केन्या टीम के साथ थी. इस मैच के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि बिना एक गेंद खेले केन्या विजेता घोषित कर दी गई.
जब बिना एक भी गेंद खेले जीत लिया मैच
दरअसल, यह मैच केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित किया गया था और ये शहर उस समय आतंकवादी खतरे में था. न्यूजीलैंड की टीम ने सुरक्षा कारणों से केन्या का दौरा रद्द कर दिया. कीवी टीम ने खेल को अन्य दो स्थानों यानी जिम्बाब्वे या दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया, लेकिन उनकी अपील अस्वीकार कर दी गई. वे मैच के लिए नैरोबी नहीं गये, जिसका अर्थ है कि वे मैच खेलने नहीं आये. आईसीसी ने नियमों के मुताबिक केन्या को बिना खेले ही इस मैच का विजेता घोषित कर दिया गया. जिसके बाद न्यूजीलैंड को चार अंक गंवाने पड़े. बता दें कि इसी साल इंग्लैंड ने भी हरारे जा कर जिम्बाब्वे के साथ मैच खलने से मना कर दिया था.
न्यूजीलैंड की टीम ने अपने बाकी बचे पांच मैचों में से चार में जीत हासिल कर चुकी थी. उसने श्रीलंका और केन्या के साथ सुपर सिक्स में जगह बना ली थी. 1996 के चैंपियन श्रीलंका को केन्या ने हरा कर चौंका दिया. केन्या अब 10 से अधिक अंक लेकर अगले दौर में पहुंच गई. श्रीलंका और न्यूजीलैंड ने क्रमशः 7.5 और 4 अंक ही अर्जित किये. ऑस्ट्रेलिया और भारत ने ग्रुप बी के तीनों विरोधियों को हराकर राउंड में अपना दबदबा बनाया.
ग्रुप ए की दूसरी टीम जिम्बाब्वे दूसरे ग्रुप की तीन टीमों से हार गई. परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ केन्या और श्रीलंका सेमीफाइनल में पहुंच गए. केन्या और श्रीलंका के सुपर सिक्स में क्रमशः 14 और 11.5 अंक थे जबकि न्यूजीलैंड के केन्या से मैच ना खेलने के बाद उनके पास केवल आठ ही अंक थे. यदि न्यूजीलैंड ने केन्या का दौरा किया होता और मेजबानों को हरा दिया होता, तो उनके 12 अंक हो सकते थे और केन्या को 10 अंकों के साथ सुपर सिक्स तक ही संतोष करना पड़ता. आपको आश्चर्य हो सकता है लेकिन इतने सारे मान्यता प्राप्त देशों वाले समूह में, केन्या दूसरे स्थान पर रहा, और विश्व कप के पहले दौर या ग्रुप चरण से आगे बढ़ने वाली पहली गैर-टेस्ट खेलने वाली टीम बन गई.
सेमीफाइनल तक का सफर किया तय
सुपर सिक्स में केन्या को भारत, जिम्बाब्वे और ऑस्ट्रेलिया का सामना करना पड़ा. केन्या केवल जिम्बाब्वे के खिलाफ जीत हासिल कर पाई, जबकि भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने दोनों अन्य मैच हार गई. भाग्य ने एक बार फिर अपनी भूमिका निभाई और एक ही जीत से केन्या को विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने का मौका मिल गया. केन्या की शानदार विश्व कप यात्रा को भारत ने समाप्त किया. भारत ने टूर्नामेंट में केन्या को दूसरी बार हराया था, जिसमें दोनों खेलों में भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के शतक और सचिन तेंदुलकर का भी महत्वपूर्ण योगदान था.
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