ICC World Cup 2023: 12 Days Left: वो मैच जिसमें बारिश ने South Africa को नहीं बनने दिया विश्वकप विजेता, एक नियम ने पलट दी थी बाजी

साल था 1992 और तारीख थी 22 मार्च,  क्रिकेट वर्ल्ड कप अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित क्रिकेट वर्ल्ड कप के पांचवें चरणफाइनल मैच चल रहा था. आज भी इस मैच को क्रिकेट इतिहास के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मैचों में गिना जाता है. इस मैच ने ये बात साबित की कि खेल रही टीमों को सिर्फ अपनी प्रतिद्वंदी टीम से ही नहीं लड़ना होता, बल्कि उसकी लड़ाई किस्मत से भी होती है.

क्रिकेट इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मैच

ICC World Cup 2023 1992 World Cup Semifinal Match Story South Africa Vs England  Twitter

22 फरवरी से 25 मार्च तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में आयोजित किए गए इस क्रिकेट के महाकुंभ को पाकिस्तान ने इंग्लैंड को 22 रन से हराकर जीता था. लेकिन आज हम जिस मैच की बात कर रहे हैं वो इस टूर्नामेंट का फाइनल नहीं बल्कि सेमीफाइनल मुकाबला था. 22 मार्च 1992 को कुछ ऐसा हुआ जिससे उस साल का वर्ल्ड कप एक देश के हाथों में आते आते रह गया. ये देश था साउथ अफ्रीका, वही देश जिस पर 22 साल तक रंगभेद नीतियों के कारण बैन लगा था. 1992 में पहली बार वर्ल्ड कप में उतरा और तहलका मचा दिया. दिग्गज टीमों को मात देते हुए दक्षिण अफ्रीका सेमी फाइनल में पहुंच गई थी.

किस्मत के हाथों मिला तगड़ा धोखा

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हर देश की तरह उसे भी उम्मीद थी कि वह अपने पहले वर्ल्ड कप में ही ये खिताब अपने नाम कर लेगी. लेकिन नियति तो कुछ और ही सोच कर बैठी थी. सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ (England vs South Africa) खेल रही साउथ अफ्रीका को मैच जीतने के लिए 13 गेंद में 22 रन चाहिए थे. लेकिन इस दौरान बारिश आ गई. इसके बाद जब दोबारा मैच शुरू हुआ तब साउथ अफ्रीका के सामने ऐसा टारगेट था जिसे दुनिया की कोई टीम पूरा नहीं कर सकती थी. एक मैच जिसे जीतने के 60% चांस से वो अब 0% रह गए थे. साउथ अफ्रीका को अब एक गेंद पर 21 रन बनाने थे. ये हर किसी के लिए हैरान कर देने वाला था.

बारिश से हार गया था South Africa

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1992 वर्ल्ड कप में आईसीसी की ओर से मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स का नियम लागू किया गया था. इसके अनुसार, यदि बारिश के कारण मैच रोका जाता है तो पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जिस ओवर में सबसे कम रन बनाए होते हैं. उतने रन को टारगेट में से घटा दिया जाता है. बारिश के कारण सेमीफाइनल मैच को 12 मिनट के लिए रोका गया था. ऐसे में 2 ओवर की कटौती की गई और स्कोर में से एक ही रन कम किया गया. इंग्लैंड के बल्लेबाजो ने 2 ओवर मेडन खेले थे. हालांकि इस दौरान एक ओवर में एक बाई रन मिला था. इस कारण 2 ओवर और एक रन की कटौती की गई. साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने एक गेंद पर एक रन बनाया. इस तरह से इंग्लैंड ने मैच को 19 रन से जीत लिया था. और किस्मत के हाथों धोखा खाई दक्षिण अफ्रीका टीम को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.

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मैच पर पहले से ही बारिश का खतरा था, लेकिन साउथ अफ्रीका के कप्तान केप्लर वेसल्स ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया. साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों ने साढ़े तीन घंटे में सिर्फ 45 ओवर गेंदबाजी की. इस दौरान इंग्लैंड ने ग्रीम हिक के सर्वाधिक 83 रनों की बदौलत 6 विकेट गंवा कर 252 रन बना दिए. जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 6 विकेट पर 232 रन ही बना सकी थी.

बाद में बदले गए नियम

इस विवाद के बाद आईसीसी ने नियम को ही बदल दिया और डकवर्थ लुईस नियम को लागू किया. हालांकि इंग्लैंड की टीम इस जीत का फायदा नहीं उठा सकी थी. उसे फाइनल में पाकिस्तान ने हराकर पहली बार वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा किया था. इंग्लैंड की टीम तब अंतिम 4 में से 3 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी, लेकिन कभी भी खिताब नहीं जीत सकी थी.

जिस समय ये वर्ल्ड कप आयोजित किया गया उस समय ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में काफी बारिश हो रही थी और टूर्नामेंट पर भी इसका असर देखने को मिला. 1992 वर्ल्ड कप को विवादास्पद ‘बारिश नियम’ के लिए भी याद किया जाता है क्योंकि दक्षिण अफ़्रीका ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में अपनी गति धीमी करके इस नियम का फ़ायदा उठाने की कोशिश की थी, लेकिन अंततः इस रणनीति के कारण उन्हें मैच गंवाना पड़ा था.

बता दें कि इस टूर्नामेंट में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. वे राउंड-रॉबिन से भी आगे ना बढ़ सके. भारत के सेमीफाइनल में ना पहुंच पाने से फैंस काफी निराश दिखे.