संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है. बरसों तो प्रतिभागी तैयारी करते हैं और ये परीक्षा पास कर IAS, IPS, IFS आदि बनते हैं. परीक्षा पास करने के लिए सैंकड़ों छात्र कोचिंग से मदद लेते हैं और कुछ ख़ुद से ही पढ़ाई करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है IAS रुक्मिणई रायर (IAS Rukmani Riar) की. अक़सर जो बच्चे स्कूल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते, उन्हें नकारा, निकम्मा घोषित कर दिया जाता है. ये समझा जाता है कि वो छात्र आगे चलकर कुछ नहीं कर सकते. IAS रुक्मिणी की कहानी ऐसी सोच रखने वालों की सोच बदल देगी.
6th क्लास में फ़ेल हुई थी ये IAS
रुक्मिणी रायर स्कूल में क्लास के टॉपर्स में से एक नहीं थी. DNA के एक लेख के मुताबिक, वे स्कूल में 6th क्लास में फ़ेल हो गई थीं. चंडीगढ़ में पैदा हुई रुक्मिणी की शुरुआती पढ़ाई गुरदासपुर से हुई. इसके बाद उन्हें डलहौज़ी स्थित सेक्रेड हार्ट बोर्डिंग स्कूल भेजा गया. बोर्डिंग स्कूल में बच्चों पर कितना दबाव होता है इसका अंदाज़ा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि बच्चों को उनके माता-पिता बोर्डिंग स्कूल के नाम से डराया करते हैं. रुक्मिणी पर भी बहुत ज़्यादा दबाव था. रुक्मिणी 6th क्लास में फ़ेल हो गईं. वे पढ़ाई में पीछे हो गईं लेकिन इस बात को उन्होंने ख़ुद पर हावी होने नहीं दिया. असफ़लता को उन्होंने अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया.
डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं रुक्मिणी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट की मानें तो पढ़ाई में पिछड़ने की वजह से रुक्मिणी का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, वे डिप्रेशन का शिकार हो गईं. फ़ेल होने के बाद रुक्मिणी अपने परिवार के लोगों और शिक्षकों के सामने जाने से भी कतराने लगी. उनको ये सोचकर शर्म आती थी कि बाक़ी लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे?
मास्टर्स में गोल्ड मेडल हासिल किया
रुक्मिणी ने असफ़लता को ख़ुद पर हावी होने नहीं दिया और मेहनत जारी रखी. रुक्मिणी ने 12th क्लास के बाद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से सोशल साइंस में ग्रैजुएशन किया. इसके बाद टाटा इंस्टीट्यूट, मुंबई से उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन किया. मास्टर्स में वे गोल्ड मेडलिस्ट रहीं. पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद रुक्मिणी रायर ने कई NGOs के साथ काम किया.
NGOs के साथ काम करते हुए UPSC देने का निर्णय
रुक्मिणी रायर ने अशोदय, मैसूर; अन्नपूर्णा महिला मंडल, मुंबई और प्लानिंग कमिशन के साथ काम किया. काम-काज के दौरान ही उन्हें लोक सेवा करने का ख़्याल उनके मन में घर कर गया और उन्होंने UPSC परीक्षा में क़िस्मत आज़माने का निर्णय लिया. एक 6th क्लास में फ़ेल होने वाले स्टूडेंट के लिए ये बहुत बड़ा निर्णय है.
पहले प्रयास में हासिल किया 2nd रैंक
रुक्मिणी ने UPSC की तैयारी शुरु कर दी. देश की सबसे कठिन परीक्षा में रुक्मिणी ने पहले ही प्रयास में दूसरा रैंक हासिल किया. तैयारी के लिए उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया और सेल्फ़ स्टडी ही की. 2011 की UPSC परीक्षा में उन्होंने दूसरा रैंक प्राप्त किया.
NCERT की किताबें पढ़ीं
IAS रुक्मिणी ने अपनी तैयारी पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने 6th से 12th क्लास की एनसीइआरटी की किताबें, अख़बार में मैगज़ीन्स पढ़े. परीक्षा में ग़लतियां कम हो इसके लिए कई मॉक टेस्ट्स भी दिए. इसके अलावा उन्होंने पिछले कई सालों के प्रश्न पत्र भी हल किए.
अन्य प्रतिभागियों के लिए संदेश
IAS रुक्मिणी रायर का कहना है कि अगर कोई छात्र ठान ले तो असफ़लताएं उनका रास्ता नहीं रोक सकती. असफ़लता ने ही उन्हें मज़बूत बना दिया. उनका ये भी कहा है कि स्कूल-कॉलेज, प्रतियोगिता परीक्षा में फ़ेल होने का असर करियर पर नहीं पड़ता.
देश और दुनिया में ऐसे कई शख़्सियतें हैं जो असफ़ल हुए और फिर उन्होंने सफ़लता के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए. IAS रुक्मिणी भी उन्हीं लोगों में से एक हैं.