कहने को भले ही एक जिलाधिकारी जिले का मालिक कहलाता हो लेकिन असल मायने में वे जनता के सेवक होते हैं. ऐसे में अगर जनता उनके काम से खुश हो कर उनका सम्मान करने लगे तो एक जिलाधिकारी के लिए इससे बड़ी सफलता और क्या ही होगी. मिर्जापुर की जिलाधिकारी रही आईएएस दिव्या मित्तल को भी ऐसी ही सफलता मिली है.
फूलों की बारिश कर जनता ने IAS को किया विदा
जनता ने उनकी ऐसी शानदार विदाई की है कि अब ये खबर हर तरफ चर्चा में है. उनके विदाई कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में मौजूद महिलाओं ने महिला आईएएस को गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से नहला दिया. डीएम की इस विदाई का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. दिव्या मित्तल के इस सम्मान का कारण उनके काम करने का तरीका और जनता से सीधे तौर पर उनका जुड़ाव है. यही वजह है कि डीएम दिव्या मित्तल जनपद में लोकप्रिय हो गई थीं.
अपने इस शानदार विदाई कार्यक्रम के बाद डीएम ने कहा कि मिर्ज़ापुर का कार्यकाल उनके लिए बेहद यादगार रहा है. वह मिर्ज़ापुर को कभी नहीं भूलेंगी. दिव्या मित्तल का ट्रांसफर मिर्जापुर से बस्ती जनपद के लिए हुआ है. वह संतकबीरनगर से स्थानांतरण के बाद मिर्जापुर की जिलाधिकारी बनी थीं. दिव्या मित्तल ने शुरू से ही जिले की समस्याओं के समाधान के लिए जनता से जुड़ने का प्रयास किया.
कौन हैं दिव्या मित्तल?
मूल रूप से हरियाणा के रेवाड़ी जिले की रहने वाली IAS अधिकारी दिव्या मित्तल की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई. आईटीआई दिल्ली से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए की पढ़ाई पूरी की और फिर लंदन में नौकरी करने लगीं.
बाद में वह अपने पति गगनदीप के साथ वापस भारत लौटीं. जहां उनके पति गगनदीप ने साल 2011 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की और आईएएस बने. उन्होंने दिव्या मित्तल को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया. दिव्या मित्तल ने इसके लिए तैयारी की और साल 2012 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. इस परीक्षा को पास करने के बाद आईपीएस बनी दिव्या को गुजरात कैडर मिला. लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थीं. उन्होंने साल 2013 में एक बार फिर से UPSC परीक्षा दी. इस बार उनकी मेहनत पहले से ज्यादा रंग लाई और वह आईएएस बन गईं. उन्हें यूपी कैडर मिला. संतकबीरनगर और मिर्ज़ापुर जिलाधिकारी रहने के बाद अब उन्हें बस्ती का जिलाधिकारी बनाया गया है.
किस वजह से हैं इतनी लोकप्रिय?
जनता से सीधे तौर पर जुड़ने के लिए IAS दिव्या मित्तल ने जनपद के तमाम गांवों में जन चौपाल लगाए और जनता की समस्यों का समाधान किया. दिव्या मित्तल के लिए ये बात जगजाहिर है कि जनता के बीच जाकर उनसे बातचीत करना और उनकी समस्याओं का पता लगाकर उसके समाधान का निर्देश देना उनकी कार्यशैली का अहम हिस्सा है. दिव्या मित्तल ने चुनार महोत्सव का आयोजन किया जो बेहद सफल रहा. पहली बार चुनार किले पर इस तरह का आयोजन किया गया था. जनपद के लोक गीत कहे जाने वाले ‘कजली’ के नाम पर कजली पार्क बनवाया और कजली महोत्सव का आयोजन किया.
उन्होंने विंध्य कॉरीडोर के निर्माण कार्य में तेजी से कार्य करवाने के साथ-साथ शहर के प्रसिद्ध पक्का घाट जाने वाले मार्ग का चौड़ीकरण करवाया. किसानों ने जब बाणसागर नहर से पानी नहीं मिलने की शिकायत की तो डीएम ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई थी. इस वाकये का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में DM दिव्या कहती नजर आईं कि मिर्ज़ापुर हमारा है. पहले बाणसागर का पानी यहां के किसानों को मिलेगा, फिर दूसरे जनपद जाएगा.
जमालपुर ब्लॉक के ग्रामीणों द्वारा लेखपाल की शिकायत किये जाने पर दिव्या मित्तल ने वहां मौजूद राजस्व कर्मियों को जम कर फटकार लगाई और ग्रामीणों की समस्या का समाधन करवाया. कार्यालय से जाते समय सड़क किनारे खड़े बच्चे को देख कर गाड़ी रोककर उनसे बात करना हो या उनकी समस्या का समाधान करवाना हो, या ‘मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रम’ के माध्यम से गांव में जाकर ग्रामीणों की समस्या सुनकर उन्हें फौरी राहत देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देना हो, इन सब कार्यों ने दिव्या मित्तल को मिर्ज़ापुर में लोकप्रिय बना दिया. उनकी सरलता और सहजता ही उनके लोप्रियता का कारण थी. इसीलिए उनका ट्रांसफर होने के बाद जनपद से उनकी विदाई अब चर्चा बनी हुई है.