कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani Terrorist Nijjar) की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने का आरोप लगाया है. भारत ने भले ही इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन पूरी दुनिया में इस मामले को लेकर हलचल मच गई है. इस सबके बीच एक अहम सवाल सामने आया कि आख़िर खालिस्तान क्या है, और इसको लेकर बवाल क्यों होता रहता है?
आखिर कहां से आया खालिस्तान शब्द?
खालिस्तान के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो ये अरबी भाषा के खालिस से प्रेरित है. खालिस्तान का मतलब खालसा की सरजमीं से है. यानी, ऐसी जगह जहां सिर्फ सिख रहते हो. बताया जाता है कि ये शब्द पहली बार उस वक्त सामने आया था, जब 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर घोषणापत्र के जवाब में डॉक्टर वीर सिंह भट्टी ने एक पैम्फलेट में इसका इस्तेमाल किया था. हालांकि, अकाली आंदोलन के संस्थापक सदस्य मास्टर तारा सिंह की अगुवाई में 1929 से ही सिखों के लिए अलग देश बनाने की मांग चल रही थी.
क्या है खालिस्तान आंदोलन की मांग?
खालिस्तान आंदोलन, भारत से अलग एक अलग देश बनाने की मांग है. आजादी के बाद 1955 में जब भाषा के आधार पर पंजाब के ‘पुनर्गठन’ की मांग उठी थी, तब भी खालिस्तान चर्चा में आया था. आगे इसके कारण जब स्थिति बिगड़ने लगी तो भारत सरकार ने 1966 में पंजाब को तीन हिस्सों में बांट दिया था.
सरकार ने हरियाणा को राज्य और चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया था. सरकार के इस फैसले से अलगाववादी नाराज हो गए और उन्होंने आंदोलन को उग्र कर दिया था. 70 के दशक में चरण सिंह पंछी और डॉक्टर जगजीत सिंह चौहान की अगुवाई में खालिस्तान का मुद्दा गरमाया. कहते हैं उन्होंने इसके लिए लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया था. 1980 में इसके लिए ‘खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद’ भी बना.
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ से कैसा कनेक्शन?
इसका असर चंड़ीगढ़ के कुछ युवाओं पर पड़ा और उन्होंने 1978 में खालिस्तान की मांग करते हुए ‘दल खालसा’ का गठन किया. इन कोशिशों के बीच 1980 के दशक में एक बार फिर से खालिस्तान आंदोलन तेज हुआ. कहते हैं जिन आतंकियों के लिए 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था, वो भी खालिस्तान के समर्थक थे. दावा किया गया कि ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ ने खालिस्तान आंदोलन को खत्म कर दिया था.
किन्तु, सच तो यह था कि खालिस्तान आंदोलन खत्म नहीं हुआ था. ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के जवाब में 23 जून 1985 को एक खालिस्तानी ने एयर इंडिया के विमान कनिष्क में विस्फोट किया, जिसमें सवार 329 लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा ब्लूस्टार को लीड करने वाले पूर्व सेना प्रमुख जनरल एएस वैद्य की पुणे में खालिस्तान कमांडो फोर्स ने हत्या कर दी थी. इसके बाद 1995 में पंजाब में आतंकवाद खत्म करने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई. जाहिर है खालिस्तान आंदोलन अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है.
विदेशों में खालिस्तान को मिला समर्थन
सिख प्रवासी जो भारत से बाहर ब्रिटेन, अमेरिका, और कनाडा जैसे देशों में रह रहे हैं उनमें खालिस्तान का समर्थन करने वाले सिखों ने खालिस्तान आंदोलन को जिंदा रखा और इसे आगे बढ़ाया. वो न सिर्फ इस आंदोलन के लिए आर्थिक मदद कर रहे हैं, बल्कि वैचारिक समर्थन भी दे रहे हैं. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जिस हरदीप निज्जर को लेकर भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है, वो भी खालिस्तानी ही था.
भारत सरकार ने उसे शीर्ष 40 आतंकियों की सूची में डाल रखा था. उनके नाम कई गंभीर आरोप थे. वो जिस आतंकी संगठन खालिस्तानी टाइगर फोर्स (KTF) का प्रमुख था. उसके सदस्यों ने ही 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी. कनाडा के ब्रैंपटन शहर में खालिस्तान के हक में रेफरेंडम करवाने में निज्जर की ही भूमिका थी. कथित तौर पर निज्जर पंजाब में टारगेट किलिंग भी करवाता था.
अब खालिस्तानी आतंकी निज्जर का समर्थन
पंजाब में हिंसा और क्राइम से जुड़े कई केसों में निज्जर और उसके संगठन का नाम सामने आया था. इसके बाद ही NIA ने जुलाई 2022 में उसको भगोड़ा घोषित करते हुए उसे वांटेड टेररिस्ट की लिस्ट में डाला था. जून 2023 में कनाडा के सरे में निज्जर की हत्या हुई थी. अब जब कनाडा के पीएम ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के समर्थन में बयान दिया है, तब खालिस्तान आंदोलन को हवा मिल सकती है.