History of Idli साउथ इंडियन फ़ूड का हिस्सा और हम सबकी पसंदीदा इडली का जन्म साउथ इंडिया में नहीं हुआ, चौंक गए न?

घर की रसोई में नाश्ते में बनती है, उत्तर भारत में लगभग स्ट्रीट फ़ूड बन चुकी है, और बहुत सारे लोगों का कम्फ़र्ट फ़ूड (Comfort Food) है इडली. सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ी से लेकर 5 और 7 सितारा होटल्स में भी टेबल्स पर लगने वाली सफ़ेद रूईनुमा इडली, दिखती सिंपल है, बनाने की विधि भी रॉकेट साइंस नहीं है लेकिन इसका स्वाद स्वर्ग सरीखा है.

आमतौर पर लोग इडली को दक्षिण भारतीय भोजन (South Indian Cuisine) का ही हिस्सा समझते हैं. इडली-डोसा तो एक दूसरे के पर्याय ही बन गए हैं, अकेले इडली बोलने में ही अजीब सा लगता है हम उत्तर भारतीयों को!

IdliKohinoor Foods

साउथ इंडियन कुज़ीन का हिस्सा बन चुकी इडली, साउथ इंडिया में नहीं जन्मी. साउथ इंडिया क्या इडली सबसे पहले भारत में ही नहीं बनाई गई. फिर कहां से आई और दक्षिण भारतीय भोजन का अहम हिस्सा बन गई इडली?

इडली इंडोनेशिया से सफ़र कर के 800-1200 CE के बीच भारत पहुंची.

Live History India की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया में उस काल खंड में हिन्दू धर्म का पालन करने वाले शैलेंद्र, संजय और Isyana वंशों का राज था. फ़ूड हिस्टोरियन्स (Food Historians) का मानना है कि इंडोनेशिया के शाही परिवार की रसोई से भारतीय मूल के रसोइये, इसे भारत ले आए. भारत में बनने वाली इडली, इंडोनेशिया (Indonesia) में बनने वाली केडली से बहुत ज़्यादा मिलती-जुलती है.

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इडली शब्द कहां से आया?

इडली को Iddalage भी कहा जाता था और इसका उल्लेख 920CE में आई कन्नड़ भाषा में लिखी शिवकोतियाचार्य (Shivakotiacharya) की किताब, Vaddaradhane में इसका वर्णन मिलता हैै.

इडली बनाने की विधि, 11वीं शताब्दी में लिखी गई संस्कृत किताब, मानसोल्लास में भी मिलती है.

IdliEating Well

पुराने समय में जो इडली की विधियां मिलती हैं वो आज के ज़माने की इडली बनाने की विधि से बेहद अलग है.

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अरब से भारत आई इडली?

व्यंजनों और खाद्य पदार्थों पर भी अलग-अलग वंश, देश अपनी सुप्रीमेसी क़ायम करने की कोशिश करते रहते हैं. स्वादिष्ट चीज़ें इस तरह की रस्साकशी में फंस जाती है. इडली के साथ ही कुछ कुछ ऐसा ही है. Karnataka में छपे लेख की मानें तो कुछ फ़ूड हिस्टोरियन्स का मानना है कि अरब अपने साथ इडली ले आए.

अरब के लोगों का खाने-पीने के कई नियम थे, स्थानीय खाना हलाल न होने के डर से वो चावल को गोलाकार रूप देकर उसे नारियल की चटनी के साथ खाते थे. ग़ौरतलब है कि आज की इडली से इस व्यंजन का स्वाद बेहद अलग है.

चावल के साथ उड़द दाल मिलाकर, मिश्रण का खमीर उठाकर भाप से पकने वाली इडली की ये रेसिपी बेहद नई है. इस रेसिपी का आविष्कार कब हुआ इस विषय में कोई जानकारी नहीं है.

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ख़ैर क़िस्से-कहानियां जो भी हों, इडली की फ़ील तो वही रहेगी. लेख पढ़ लिया हो तो इडली होम डिलीवरी करवा लो. किस व्यंजन की कहानी पढ़नी है कमेंट बॉक्स में बताओ.