दो बातें जिससे हर कोई सहमत होगा-
भुजिया खाने का कोई सही वक़्त नहीं है
भुजिया खाने का कोई एक सही तरीका नहीं है
चाहे वो चिवड़ा में मिलाया जाए, पोहे के ऊपर डाला जाए, शाम की चाय के साथ खाया जाए या ऐसे ही दफ़्तर का काम करते हुए थोड़े-थोड़े देर में फांक लिया जाए. भुजिया या बिकानेरी भुजिया हमारे रोज़ के खाने का अहम हिस्सा बन चुका है (ताकि लैपटॉप टिपटिपाते हुए बोरियत कम हो!). सिर्फ़ यही नहीं, हमने तो लोगों को इसे इनाम के रूप में रखकर शर्तें लगाते भी देख लिया है! कुछ लोग इसे चखना भी बना चुके हैं. मतलब बच्चे हों या बड़े हर किसी ने भुजिया को अपने तरीके से अपना लिया है.
कहां से आया बीकानेरी भुजिया?
नाम के आगे बीकानेरी लगा है, जिससे ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसका ताल्लुक बीकानेर से हो सकता है. ग़ौरतलब है कि हर खाने की चीज़ के नाम के आगे लगे शहरी नाम से उस वस्तु का ताल्लुक हो ये ज़रूरी नहीं लेकिन बिकानेरी भुजिया के साथ ये तुक्का सही बैठता है.
भारत के पश्चिम में स्थित राजस्थान अपनी राजा-रजवाड़ों की संस्कृति और अद्वितीय खाने के लिए जाना जाता है. राजस्थान का मतलब है राजाओं का स्थान. जहां के नाम में ही राजा लग गया हो वहां की हर एक चीज़ तो ख़ास होगी ही, है न?
राजस्थान का शहर बीकानेर
Medium के एक लेख की मानें तो बीकानेर की स्थापना 15वीं शताब्दी में राव बिका (Rao Bika) ने की थी. इतिहास में दर्ज ये छोटा सा शहर आज राजस्थान का चौथा सबसे बड़ा शहर है. और बीकानेर मशहूर है अपने नमकीन और ख़ासतौर पर यहां बनने वाली ‘भुजिया’ की वजह से. इस शहर में कई तरह के नमकीन तैयार किए जाते हैं और देश ही नहीं दुनियाभर में भेजे जाते हैं.
बीकानेरी भुजिया का जन्म
राजस्थान नाम सुनते ही लोगों के दिमाग़ में रेत, पानी की कमी और घाघरा चोली वाली औरतें ही आती हैं. ग़ौरतलब है कि ये धरती इससे काफ़ी ज़्यादा है, अब स्टीरियोटिपकल दिमाग़ों का इलाज ही क्या है!
वैसे तो देश के कई हिस्सों में बेसन और मसालों से भुजिया बनाई जाती है लेकिन बीकानेरी भुजिया इस लिस्ट में टॉप पर है.
1877 में बीकानेर के महाराजा श्री दुंगर सिंह के राज्य में पहली बार बनाई गई बीकानेरी भुजिया
बीकानेरी भुजिया 100 साल से ज़्यादा पुरानी है और अब दुनियाभर में नमकीन का पर्याय बन चुकी है. राजस्थान में बीकानेरी भुजिया बनाने के लघु उद्दोगों से लाखों लोग जुड़े हैं और लाखों लोगों के घर में दो वक़्त की रोटी का ज़रिया बन चुकी है ये राजा के रसोई में बनी नमकीन. मशहूर कवि अशोक वाजपेयी के शब्दों में, “बीकानेर की आधी आबादी भुजिया बनाने में लगी है और आधी आबादी उसे खाने में.”
राजा की रसोई से निकलकर बीकानेरी भुजिया दुनियाभर की ज़बान पर ऐसा चढ़ा कि सितंबर 2010 में इसे GI (Geographical Indication) Tag दे दिया गया.
कैसे बनाते हैं बीकानेरी भुजिया
बीकानेर के हलवाई और भुजिया बनाने वाले तड़के ही इसकी तैयारी शुरु कर देते हैं.
सामग्री- मोठ का आटा, बेसन, हींग, काली मिर्च पाउडर, इलायची पाउडरस तेल, नमक स्वादानुसार, पानी
विधि- सभी सामग्रियों को मिलाकर गूंथ लें. सेव प्रेस से भुजिया के आकार में काट लें. अब इसे गरम तेल में तलें. हलके भूरे होने तक तलें, अधिक तेल को सोख लें.
पढ़ने में तो ये विधि बेहद आसान लगती है लेकिन बीकानेर वालों ने सालो की मेहनत करके, दिल और दिमाग़ लगाकर भुजिया में स्वाद डाला है.