Ashadha Gupt Navratri 2023 Date: आषाढ मास गुप्त नवरात्रि का आरंभ 19 जून सोमवार से हो रहा है। गुप्त नवरात्रि पर अबकी बार कई शुभ संयोग बने हैं। आइए जानते हैं आषाढ गुप्त नवरात्रि की जरूरी बातें तिथि, मुहूर्त और महत्व।
प्रकट और गुप्त नवरात्रि का रहस्य
मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि, साल में चार नवरात्रि आती है जो ऋतुओं के परिवर्तन के साथ चारों युगों के प्रतीक है। हर युग में चारों नवरात्रि का अपना अलग महत्व रहता है। सतयुग में चैत्र मास की नवरात्रि का अधिक प्रचलन रहता है। त्रेतायुग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का अधिक प्रचलन रहता है। द्वापर में माघ मास की गुप्त नवरात्रि प्रचलित रहती है। जबकि कलयुग में अश्विन की शारदीय नवरात्रि को लोग धूमधाम से मनाते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर ऋद्धि सिद्धि से होंगे निहाल
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार आर्द्रा नक्षत्र में हो रहा है जो राहु का नक्षत्र है। तंत्रशास्त्र और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि देवी की उपासना और तंत्र मंत्र की सिद्धि राहुकाल और राहु के नक्षत्र में किया जाए तो यह अधिक फलदायी और लाभकारी होता है। संयोगवश आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार वृद्धि योग में हो रहा है। ऐसे में गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की उपासना ध्यान पूर्वक करने वाले भक्ति ऋद्धि सिद्धि से निहाल होंगे।
गुप्त नवरात्रि पर दस महाविद्या की साधना का महत्व
नवरात्रि की उपासना में चारो नवरात्रि में दोनों प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की साधना की जाती हैं। देवी की ये दस महाविद्याएं बहुत ही शक्तिशाली हैं और जिस भक्त पर कृपा कर देती हैं उनके लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। देवी की ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा (देवी), छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी (त्रिपुर सुंदरी), धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला। गुप्त नवरात्रि में श्रद्धालु तंत्र मंत्र की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए इनकी उपासना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि पर शुभ संयोग
आषाढ़ गुप्त गुप्त नवरात्रि अबकी बार 19 जून से आरंभ हो रहा है और 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में अबकी बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिनों की होगी। इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान 4 रवि योग का संयोग बना है जो बेहद दुर्लभ है। इस नवरात्रि में 20 जून, 22 जून, 24 और 27 जून को रवियोग लग रहा है।