गरीबी में पले-बढ़े, फीस के लिए मां ने बेच दिए गहने, अब मजदूर का बेटा विदेश में कर रहा है पढ़ाई

Indiatimes

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. यह पक्तियां महाराष्ट्र (Maharashtra) के वाशिम जिले के रहने वाले वैभव सोनोने (Vaibhav Sonone) पर बिल्कुल फिट बैठती है, जिन्होंने गरीबी के बावजूद कुछ कर दिखाने का जज्बा लिए मेहनत के साथ पढ़ाई करते रहे. इनकी मां को अपने गहने तक बेचने पड़े. अब वैभव स्कॉलरशिप जीतने के बाद विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं.

मजदूर के बेटे जीती स्कॉलरशिप

Sucess Story of Vaibhav sononeTwitter

वाशिम जिले के एक छोटे से गाँव में रहने वाले वैभव सोनोने के माता-पिता मजदूरी करते हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वह अनुसूचित जाति से आते हैं और अपने परिवार के पहले ऐसे शख्स है, जो कॉलेज जाकर पढ़ाई कर पाए.  वैभव ने इस साल यूनाइटेड किंगडम गवर्नमेंट द्वारा वित्त पोषित शेवेनिंग स्कॉलरशिप और राष्ट्रमंडल साझा छात्रवृत्ति (Commonwealth Shared Scholarships) जीती है. जिसके बाद उन्होंने यूके के लीड्स यूनिवर्सिटी में पर्यावरण और विकास में MSC करने के लिए राष्ट्रमंडल स्कॉलरशिप को चुना है.

नदी पार करके जाते थे स्कूल

vaibhav sononeTwitter

वैभव सोनोने का कहना है की शिक्षा ही उनके पास एक मात्र पूँजी है, जो हालात को बदल सकती है. गरीबी में बड़े हुए वैभव क्लास चार तक गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़े. इसके बाद दूसरे सरकारी स्कूल में चले गए, जो उनके घर से 6 किमी दूर था. उन्हें स्कूल जाने के लिए नदी पार करके आना-जाना पड़ता था.

आगे, सहारा महारथी संस्थान द्वारा संचालित श्री सखाराम महाराज विद्यालय में एडमिशन मिल गया. जहां के छात्रावास में रहकर वैभव  मेहनत के साथ पढ़ाई करते रहे और हाईस्कूल में स्कूल टॉप किया. इसके बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में बीए पॉलिटिकल साइंस में दाखिला ले लिया.

मां ने बेटे के लिए बेच दिए गहने

vaibhav sononeTwitter

पुणे आने के लिए वैभव दो हजार रुपये उधार लेकर आए थे. कुछ दिनों तक वह अपनी मौसी के यहां रहे. इसके बाद कॉलेज छात्रावास चले गए, हालांकि इसके लिए पैसों की जरूरत थी, तब वैभव की मां ने अपने गहने बेच दिए. कॉलेज के कुछ प्रोफेसरों ने भी इनकी मदद की. पैसे उधार दिए.

बहरहाल, आर्थिक तंगी के बावजूद वैभव ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और मुश्किल हालात का डटकर मुकाबला किया. स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वैभव अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एमए इन डेवलपमेंट प्रोग्राम में एडमिशन ले लिया. अब वे विदेश पढ़ाई करने जा रहे हैं. बेटे की इस बड़ी उपलब्धि पर परिवार काफी खुश है.