इलाइची, भारत समेत पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. इसका यूज अलग-अलग व्यंजनों में किया जाता है. यह अपने औषधीय गुणों के लिए भी मशहूर है. भारत में केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में इलायची की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलाइची को आप अपने घर पर ही उगा सकते हैं. घर के बगीचे में इलायची की खेती, कब और कैसे करें, ये बड़े काम की चीज़ क्यों है, आइए जानते हैं.
इलाइची भारतीय व्यंजनों में यूज होने वाला एक जरूरी और महंगा मसाला है. ऐसे में इसे घर पर उगाने से आप अपने पैसे बचा सकते हैं. इलायची को घर पर उगाने के दो तरीके हैं. पहला यह कि आप इलायची के पौधे से निकले हुए सकर्स (ऑफसेट) का प्रयोग कर नया पौधा उगाएं, दूसरा आप इसे बीज से भी उगा सकते हैं.
इलायची के पौधों के लिए क्या जरूरी है?
1. बीज: सबसे पहले, आपको उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की आवश्यकता होती है. बीजों का स्वस्थ्य होना बेहद जरूरी है. आप प्रतिष्ठित आपूर्तिकर्ता से बीज खरीद सकते हैं, या इलाइची पौधों से एकत्र कर सकते हैं.
2. मिट्टी: अच्छी क्वालिटी के बीजों के चयन के बाद मिट्टी को तैयार करने का नंबर आता है. आप सामान्य मिट्टी में जैविक खाद जैसे- गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मीकम्पोस्ट, आदि को मिक्स कर सकते हैं.
3. जगह: किसी भी फंगल संक्रमण या बीमारियों से बचने के लिए ऐसी जगह चुनना महत्वपूर्ण है, जहां आंशिक रूप से धूप के साथ-साथ अच्छी हवा भी आती हो. जल निकासी के पर्याप्त इंतजाम करने भी जरूरी हैं.
4. कंटेनर: बीजों के अंकुरण के बाद एक बड़े साइज के ड्रेनेज होल्स युक्त गमले या ग्रो बैग की जरूरत होगी. ये कम से कम 6 इंच गहरे और चौड़े होने चाहिए ताकि बीजों को पनपने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.
5. पानी: पौधा आने के बाद उसकी देख-रेख बेहद जरूरी है. इलायची के पौधे को पानी देने के लिए आप वाटर कैन, या स्प्रे पंप की मदद ले सकते हैं. यह एक बेहद कारगार और उपयोगी माना जाता है.
अच्छी क्वालिटी वाले बीज कहां से खरीदें?
जब इलाइची उगाने की बात आती है तो एक अच्छी फसल सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदना महत्वपूर्ण है. भारत में कई जगह हैं जहां आप अच्छी गुणवत्ता वाले बीज खरीद सकते हैं. एक विकल्प यह है कि आप अपने स्थानीय पौध नर्सरी, या कृषि आपूर्ति स्टोर पर जाएं. इन दुकानों में अक्सर कई तरह के बीज होते हैं, जिनमें इलाइची के बीज भी शामिल हैं.
आप स्टोर के मालिक, या कर्मचारियों से यह सुझाव मांग सकते हैं कि आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए कौन से बीज सबसे अच्छे हैं. एक अन्य विकल्प ऑनलाइन बीज खरीदना है. कई ऑनलाइन सीड स्टोर है, जो इलाइची सहित विभिन्न पौधों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज बेचने में माहिर हैं. बीज चुनते समय आपको इलाइची की विविधता और अपने क्षेत्र की जलवायु जैसे कारकों पर भी विचार करना चाहिए.
इलाइची के बीज कब लगाएं जाने चाहिए?
इलाइची एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, इसलिए इलाइची के बीज बोने का सबसे अच्छा समय गर्मियों के महीनों के दौरान होता है. इस दौरान तापमान अधिक होता है, और मिट्टी गर्म होती है. भारत में, इलाइची के बीज बोने का आदर्श समय मार्च से जून के बीच माना जाता है. इस अवधि के दौरान, तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, जो इलाइची के बीजों के अंकुरण के लिए एकदम सही है.
बारिश के मौसम में तापमान और नमी का स्तर अधिक होता है, इसलिए कई लोग इस मौसम में इलाइची के बीज बोने की सलाह देते हैं. बताया जाता है कि बारिश के मौसम में बीज बोने से बीजों को जल्दी अंकुरित होने में मदद मिलती है. हालांकि, सुनिश्चित करें कि मानसून के मौसम में बीज न लगाएं क्योंकि अधिक वर्षा से जलभराव हो सकता है, जिससे बीजों को नुकसान हो सकता है.
इलाइची के बीज कैसे लगाए जाने चाहिए?
इलाइची के बीज लगाने के लिए सबसे पहले, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी वाला स्थान चुनें, जहां भरपूर धूप मिले. 6.0-7.5 के पीएच स्तर के साथ मिट्टी थोड़ी अम्लीय होनी चाहिए. यदि मिट्टी बहुत अधिक क्षारीय है, तो पीएच स्तर को कम करने के लिए कुछ सल्फर मिलाएं. इसके बाद, मिट्टी को ढीला करके, और किसी भी खरपतवार या मलबे को हटाकर इसे तैयार करें.
लगभग 1-2 इंच गहरा एक गड्ढा खोदें और बीजों को छेद में रखें, उन्हें लगभग 2-3 इंच अलग रखें. बीजों को मिट्टी से ढक दें और बीजों के साथ अच्छा संपर्क सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी पर धीरे से दबाएं. मिट्टी को अच्छी तरह से पानी दें, लेकिन अधिक पानी से बचें, क्योंकि इससे बीज सड़ सकते हैं. एक बार जब अंकुर निकल आते हैं, तो उचित दूरी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें पतला कर लें.
सबसे मजबूत अंकुरों को छोड़ दें और कमजोर पौधों को हटा दें. जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, उन्हें गिरने से रोकने के लिए उन्हें स्टैकिंग या ट्रेलिंग करके सहायता प्रदान करें. इलाइची उगाते समय धैर्य रखना जरूरी है, क्योंकि पौधों को कटाई के लिए तैयार होने में कई महीने लग सकते हैं. उचित देखभाल और ध्यान देने से, आपके इलाइची के पौधे पनपेंगे और आपको इस सुगंधित मसाले की भरपूर फसल प्रदान करेंगे.
अपने इलाइची के पौधों की देखभाल कैसे करें?
1. उचित पानी: अपने पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन सावधान रहें कि उन्हें अधिक पानी न दें क्योंकि इससे जड़ सड़ सकती है। मिट्टी को नम रखें, जलभराव न हो.
2. सही लाइट: इलाइची के पौधों को उगने के लिए सूरज की रोशनी की आवश्यकता होती है. धूप की जरूरत होती है लेकिन सुनिश्चित करें कि पौधे सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में न आएं.
3. तापमान: इलाइची के पौधे 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच गर्म तापमान पसंद करते हैं, उन्हें ड्राफ्ट और ठंडे क्षेत्रों से दूर रखें ताकि आपको अच्छे परिणाम हासिल हो सकें.
4. उर्वरक: पत्तियों का दूसरा सेट विकसित करने के बाद आप संतुलित उर्वरक के साथ उन्हें खाद देना शुरू कर सकते हैं. पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें और अधिक खाद न डालें.
5. रोपाई: जब आपके अंकुर लगभग 4-5 इंच ऊंचाई तक बढ़ जाते हैं, तो उन्हें एक बड़े कंटेनर में ट्रांसप्लांट करने का समय आ जाता है. इस दौरान सुनिश्चित करें कि कंटेनर में जल निकासी छेद हैं.
6. प्रूनिंग: जैसे-जैसे आपके इलाइची के पौधे बढ़ते हैं वो विकसित होते हैं. पौधे को फल पैदा करने पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इनकी छंटाई करते रहे.
इलाइची का उपयोग हम कब और कहां कर सकते हैं?
इलायची का उपयोग कई भारतीय व्यंजनों और मिठाइयों में किया जाता है. यह अपने मजबूत, अनोखे स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है जो किसी भी व्यंजन का स्वाद बढ़ा सकता है.
1. व्यंजनों में यूज: इलाइची का उपयोग नमकीन व्यंजनों जैसे बिरयानी, करी और सूप में किया जा सकता है. यह एक गर्म, थोड़ा मीठा स्वाद जोड़ता है जो डिश को एक अलग टेस्ट देता है.
2. चाय में डालें: चाय में इलाइची डालने से चाय का स्वाद ही बदल जाता. अधिकतर लोग इसे पसंद करते हैं. यह पाचन में मदद करने के अलावा और सांसों की बदबू से लड़ने में मददगार है.
3. डेसर्ट में शामिल करें: इलाइची कई भारतीय मिठाइयों जैसे खीर, गुलाब जामुन और रस मलाई में मुख्य रूप से पाई जाती है. यह एक खास स्वाद जोड़ता है जो किसी भी मिठाई को अधिक स्वादिष्ट बनाता है.
4. खाने के बाद खाएं: इलाइची को हम माउथ फ्रेशनर के रुप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह सर्दी-खांसी, पाचन से जुड़ी समस्याएं, उल्टी, मूत्र से जुड़ी समस्याएं आदि के उपचार में बहुत कारगर मानी जाती है.