इंसानों की तरह घर के Garden, या गमलों में लगे पौधे भी बीमार होते हैं. उन्हे भी रोग लग जाता हैं. लेकिन हम अक्सर बिना रोग जाने पौधे का ट्रिटमेंट करना शुरु कर देते है. परिणाम स्वरूप पौधा सूखने लगता है और मर जाता है. ऐसे में जानना जरूरी है कि अगर Garden Plants में कोई रोग, या कीट लग गया है तो हम कैसे पहचान सकते हैं, और हमें रोगों की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए?
1. फंगस रोग
फंगस इनफेक्शन मुख्य रुप से पौधों के तनों, और पत्तियों पर दिखाई देता है. जब पौधों की पत्तियों पर जंग की तरह धब्बे पड़ जाते हैं, या तनों और फलों पर सफेद रंग की पाउडर जैसी परत बन जाती है तो समझ लीजिएगा आपके पौधे को फंगस रोग हो गया है. इसके लिए आप पौधों के ऊपर नीम ऑयल, विनेगर या माउथवाश का उपयोग कर सकते हैं.
2. वायरस रोग
पौधों में वायरस रोग का पता माइक्रोस्कोप से ही लगाया जा सकता है. क्योंकि इसे सीधे देख पाना मुश्किल होता है. वायरस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां अनियमित आकार की होती हैं, और मुड़ जाती हैं.
इसके अलावा, पत्तियों पर सूखे धब्बे दिखाई देते हैं जो इस रोग का संकेत हो सकते हैं. यदि पौधे की शिराओं पर भी सूखे धब्बे हों तो इसका मतलब होता है कि पौधा वायरस संक्रमित हो गया है. इस रोग के कारण पौधों की पत्तियां, और शिराए पीले या सफ़ेद हो जाते हैं. खरपतवार पौधों में वायरस फैलाने का सबसे बड़ा कारक होता है इसलिए पौधों के आसपास खरपतवार को ना बढ़ने दें.
3. जीवाणु रोग
वायरस रोग की तरह इसे भी आंखों से देखना संभव नहीं है. इस तरह का रोग पौधों को बाहर से नुकसान नहीं पहुंचाता है. बल्कि अंदर से धीरे-धीरे खत्म करना शुरु करता है. जीवाणु संक्रमित रोग से प्रभावित पौधों में नई पत्तियों और शाखाओं के ऊतकों का सड़ना शुरू हो जाता है. इससे पौधे की पत्तियों, तनों और फलों पर जले हुए धब्बे दिखने लगते हैं. कुछ वक्त के बाद पत्तियां मुरझाने लगती हैं, और अगर संक्रमण गंभीर हो तो पौधा अचानक गिर सकता है. यह रोग आमतौर पर पौधों के रूग्णता का कारण बनता है. इस रोग के होने का मुख्य कारण मिट्टी है. इसलिए समय-समय पर मिट्टी की जांच जरुर करें.
4. सूटी मोल्ड रोग
सूटी मोल्ड कवक पत्तियों पर चिपचिपे जमाव के रूप में बढ़ता है, जिसे हनीड्यू भी कहते हैं. यह पौधों के चूसने वाले कीड़ों द्वारा छोड़ा जाता है. इससे पत्तियों पर काले धब्बे बनते हैं जो प्रकाश संश्लेषण को बाधित करते हैं और पौधों की वृद्धि को रोकते हैं. अधिक संक्रमण की स्थिति में, पत्तियां काली फफूंदी से ढक जाती हैं, और समय से पहले गिर जाती हैं. इनसे निपटने के लिए नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए,
5. फ्यूजेरियम रोग
मिट्टी से उत्पन्न कवक के कारण फ्यूजेरियम विल्ट रोग कई प्रकार के फल और सब्जियों में पाया जाता है. इस रोग से पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं, और उसका विकास रुक जाता है. इसके साथ ही, पौधे की जड़ सड़ जाने से कभी-कभी उसका रंग काला पड़ जाता है. यह रोग गर्म तापमान में अधिक सक्रिय होता है. फलों में इससे प्रभावित होने के कारण वे निर्माण नहीं कर पाते और सब्जियों की उत्पत्ति कम हो जाती है. इस रोग के उपचार पर नियंत्रण नहीं है. इसके लिए जहां भी इस रोग से ग्रस्त पौधा मिले उसे उखाड़ कर फेंक दे या नष्ट कर देना चाहिए.
6. मोजेक वायरस
यह वायरस मुख्य रुप से तंबाकु, और टमाटर के पौधे पर हमला करता है. अगर पत्तियां पीली और मुड़ने लग रही है तो समझ लीजिएगा की पौधों को मोजेक वायरस हो गया है. इस वायरस के उपचार पर भी नियंत्रण नहीं है इससे बेहतर है कि पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर दें. कुल मिलाकर हमें अपने पौधे की नियमित रूप से जांच करनी चाहिए, और किसी भी रोग के लक्षण दिखाई देने पर यथाशीघ्र इलाज करना चाहिए.
अन्य कारणों से दिखाई देने वाले रोग
पौधे फंगस, बैक्टीरिया और वायरस के अलावा कुछ अन्य कारणों से भी बीमार होते हैं. जलभराव, सूखे की स्थिति, अत्यधिक गर्मी अत्यधिक ठंड, और पोषक तत्वों की कमी इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं.