साधारण गांव से भारतीय सेना तक: लेफ्टिनेंट सौरव शर्मा की संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी

From a humble village to the Indian Army: The inspiring story of Lieutenant Saurav Sharma's journey from struggle to success.

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के छोटे से गांव महलोना से निकलकर लेफ्टिनेंट सौरव शर्मा ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास के सामने कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। एक साधारण परिवार में जन्मे सौरव शर्मा आज भारतीय सेना में अधिकारी बनकर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।

लेफ्टिनेंट सौरव शर्मा का जन्म 28 अगस्त 2000 को हुआ। उनके पिता विजय कुमार शर्मा राज्य सरकार में शिक्षक रहे हैं, जबकि माता सुषमा शर्मा गृहिणी हैं। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने एसवीएन पब्लिक स्कूल राजगढ़ से प्राप्त की। दसवीं कक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय नोहान से 10 CGPA के साथ उत्तीर्ण की और 12वीं कक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए।

इसके बाद सौरव शर्मा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) की पढ़ाई पूरी की और 81 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। पढ़ाई के साथ-साथ उनका लक्ष्य शुरू से ही भारतीय सेना में अधिकारी बनना था। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कंबाइंड डिफेंस सर्विस (CDS) परीक्षा दी और चार बार सफलता हासिल की।

लगातार प्रयासों के बाद सौरव शर्मा को सातवें प्रयास में एसएसबी भोपाल से अनुशंसित किया गया। जनवरी 2024 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA) जॉइन की और 13 दिसंबर 2025 को उन्हें कमीशन प्राप्त हुआ। खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी अधिकतर तैयारी स्व-अध्ययन के माध्यम से सोलन की सरकारी लाइब्रेरी में की।

लेफ्टिनेंट सौरव शर्मा की यह यात्रा बताती है कि सीमित संसाधनों के बावजूद अगर इरादे मजबूत हों, तो सफलता निश्चित होती है। उनकी कहानी आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सेना में जाकर देश सेवा का सपना देखते हैं।

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