क्या सरकार पर सड़कों को दुरुस्त करने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public Transport) की सुविधा को बहाल करने का दबाव पैदा हो गया है। यह सवाल एक घटना के संदर्भ में उठा हैं, हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) के नाहन डिपो की बस चौपाल से नाहन आ रही थी।
इसी दौरान शिलाई से पांवटा साहिब के बीच गंगटोली में बस में सवार यात्रियों (passengers) की सांस उस समय अटक गई, जब बस एक ऐसी जगह पर फंस गई, जहां चंद इंच के फैसले पर गहरी खाई (Deep trench) थी। इससे जुड़ा एक वीडियो (Video) भी सामने आया हैं। बस से आनन-फानन में परिचालक द्वारा यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। मामूली संतुल बिगड़ने की सूरत में बड़ा हादसा हो सकता था। ये घटना शनिवार दोपहर की है।
हैरान करने वाली बात ये भी सामने आ रही है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा रोड क्लीयरेंस का प्रमाण पत्र जारी किया गया, जबकि धरातल पर दर्जनों जगह पर सड़क की हालत ठीक नहीं है। सर्टिफिकेट मिलने के बाद निगम ने बस को चलाना शुरू किया।
बताते हैं कि बाद में चालक ने इस जगह से बस को आगे निकाल लिया था। पांवटा साहिब- शिलाई हाईवे (Highway) को चौड़ा करने का कार्य लंबे अरसे से चल रहा है। इस कार्य को अंजाम दे रही कंपनी पर अवैज्ञानिक (unscientific) तरीके से पहाड़ों की खुदाई के भी आरोप लग रहे हैं। निर्माण कार्य (Construction work) में मजदूरों की जान भी जा चुकी हैं।
जानकार बताते हैं कि यह हाईवे कई जगह से खतरनाक हो चुका है। आपको बता दें कि कच्ची ढांग के नजदीक मामूली सी बारिश में भी सड़क भूस्खलन की भेंट चढ़ जाती है। बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कच्ची ढांक में पुल के निर्माण का ऐलान भी किया है।
कुल मिलाकर निजी व सरकारी बसों (buses) के चालकों व परिचालकों को यात्रियों का जीवन जोखिम(Life Risk) में डालकर सेवा प्रदान करने से बचना चाहिए। बेशक ही इसके लिए उन पर जितना भी दबाव हो। करीब एक- डेढ़ साल पहले भी एक निजी बस रोनहाट के नजदीक हादसे का शिकार होते-होते बाल-बाल बच गई थी, बस ढांक की तरफ लटकी थी।
इससे जुड़ी डरा देने वाली तस्वीरें भी सामने आई थी। उधर गंगटोली के घटनाक्रम पर नाहन डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव बिष्ट ने कहा कि रोड क्लीयरेंस का सर्टिफिकेट मिलने के बाद बस को चलाया गया। उन्होंने कहा कि पत्थर गिरने की वजह से बस को रोका गया था, इस दौरान यात्रियों को उतार दिया गया था।