पैसा यानी मनी इंसान की प्रमुख जरूरतों में से एक बन चुका है. इसके बिना जीवन की कल्पना अधूरी-अधूरी सी लगती है. देश-दुनिया के लगभग सभी काम-धंधे इसके इर्द-गिर्द घूमते हैं. किन्तु, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कहां से शुरू हुई इस मनी की यात्रा? बार्टर सिस्टम से होते हुए क्रिप्टो करंसी तक पहुंचा मनी कैसे इंसानी सभ्यता का अभिन्न हिस्सा रहा है? कब और क्या-क्या बदलाव हुए आइए जानते हैं:
बिना मुद्रा वाली एक दुनिया
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इतिहास में देखें तो इंसान और मुद्रा का संबंध करीब तीन हजार साल पुराना रहा है. हालांकि उस दौर में इसका कोई स्थाई रूप देखने को नहीं मिला. आगे वक्त बदला तो, मुद्रा की उपयोगिता और स्वरुप भी बदलता गया. करीब 9000 ईसा पूर्व मुद्रा का अस्तित्व तो था, लेकिन इसका कोई तय स्वरूप न था.
चौंकिए मत! दरअसल, इस दौरान बिजनेस के लिए बार्टर सिस्टम का इस्तेमाल होता था. बार्टरिंग एक ऐसा सिस्टम था, जिसमें एक सामान या सेवा के लिए दूसरा सामान देना होता था. उदाहरण के लिए, एक बैग भिंडी के लिए आटे का एक बैग. लेन-देन का यह एक अच्छा तरीका था और सुविधाजनक भी. मगर कुछ वक्त बाद इसमें समस्या आने लगी. दरअसल कई बार व्यक्ति को सामने वाले व्यक्ति से अपनी सेवा या सामान के लिए उचित सामान या सेवा नहीं मिल पाती थी.
ऐसे हुआ कमोडिटी मनी का जन्म
बार्टर सिस्टम की ऐसी ही समस्याओं ने एक नई मनी को जन्म दिया. इसे कमोडिटी मनी के नाम से ख्याति मिली. यह एक ऐसी मनी थी, जिसमें कुछ बुनियादी वस्तुओं को मुद्रा माना गया. इनका उपयोग लगभग सभी लोग करते थे. इसमें तम्बाकू, मवेशी, चाय, नमक और बीज जैसी वस्तुएं आती थीं.
हालांकि, यह भी ज्यादा कामयाब नहीं हो सकी. असल में कमोडिटी मनी को स्टोर करना मुश्किल था. साथ ही ज्यादा वक्त तक पास रखने पर खराब होने की संभावनाएं भी थी. ऐसे में, 5000 ईसा पूर्व के करीब लोगों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया और धातु को मनी के तौर पर यूज करना शुरु कर दिया.
पश्चिमी दुनिया से आया सिक्का
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इसी क्रम में 700 ईसा पूर्व जाते-जाते पश्चिमी दुनिया में लिडियन ने सिक्का बनाकर मुद्रा के सफर को एक नए आयाम तक पहुंचा दिया. इसके बाद तो जैसे मानो होड़ सी लग गई. ज्यादातर देश विशिष्ट मूल्यों के साथ सिक्कों की अपनी श्रृंखला का निर्माण करने में लग गए. इन सिक्कों को बनाने में धातु का उपयोग किया जा रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध था. इसके साथ काम करना आसान था. साथ ही इन्हें दोबारा नया किया जा सकता था.
कागज की शक्ल में मनी
गुजरते समय के साथ सिक्कों की जगह कागजी नोट ने ले ली. पहली बार नोट प्रचलन में कब आया, इसकी सटीक जानकारी तो नहीं मिलती. मगर, माना जाता है कि चीन से इसकी शुरुआत हुई थी. कागजी नोट के कुछ अवशेष प्राचीन चीन में मिलते हैं और अनुमान है कि 960 ई के करीब चीन में कागजी मनी जारी करना आम सा हो गया था.
कागजी मुद्रा की शुरुआत के साथ, कमोडिटी मनी प्रतिनिधि मनी में विकसित हुई. प्रतिनिधि धन को सरकार या बैंक द्वारा चांदी या सोने की एक निश्चित राशि के बदले देने के वादे का समर्थन किया गया था. अब गोल्ड रिजर्व के आधार पर दुनिया भर के देश अपनी करंसी के नोट छापने लगे. आगे इस प्रतिनिधि मनी को फिएट मनी से बदल दिया गया.
इसमें पैसे का एक मूल्य दिया जाता है. दूसरे शब्दों में, अब आदेश मुद्रा यानी सरकार द्वारा कानूनी तौर पर जारी की गई. यह करंसी एक ‘लीगल टेंडर’ है, जिसे लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
डिजिटलाइजेशन से मनी की उड़ान
कहते हैं मुद्रा कहीं ठहरती नहीं है. ग्लोबलाइजेशन के कारण विदेशी करंसी का एक्सचेंज तेजी से बढ़ा है. वहीं, भारत में 18वीं सदी में बने पहले बैंक के बाद से लगातार बैंकिंग प्रक्रिया सरल होती गई है. ऐसे में मनी भी गांव और कस्बों से निकलकर देश-विदेश तक की दौड़ में शामिल है. समय के साथ बदलते बैंकिंग सिस्टम को इंटरनेट ने एक नई रफ्तार दे दी है.
आज सूरत यह है कि महज एक क्लिक पर गांव-कस्बों की मुद्रा देश-विदेश घूम रही है. डिजिटल क्रांति के बाद तो जैसे मुद्रा को पंख लग गए. उदाहरण के तौर पर भारत में ही पिछले दो साल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के आंकड़ों में बड़ी उछाल देखने को मिली है. परचून की दुकान से साबुन-तेल खरीदने से लेकर विदेशों से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के लिए डिजिटल मनी ट्रांसफर का इस्तेमाल हो रहा है. हालांकि, समय-समय पर मुद्रा ने अपने स्वरूप को बदला है. ऐसे में डिजिटलाइजेशन के आते ही, क्रिप्टो करंसी का भी अस्तित्व सामने आ गया है.
पैरलल करंसी के रूप में चुनौती?
क्रिप्टो करेंसी के आने के बाद से तो मानो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का तरीका बदल गया है. मौजूदा समय में क्रिप्टो करेंसी के सैकड़ों रूप दुनिया में मौजूद हैं. बिटकॉइन, ईथर, लाइटकॉइन और मोनेरो इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं. क्रिप्टो में लोकप्रिय बिटकॉइन की बात करें तो कई देशों ने इसे गैर-कानूनी करेंसी का दर्जा दे दिया है.
दावा है कि इस पैरलल करंसी के कारण डिजिटल फिरौती और डार्क वेब क्राइम सरकारों के लिए नई चुनौती बन रही हैं. ऐसे में आगे क्रिप्टो का भविष्य क्या होगा, यह कह पाना अभी जल्दबाजी होगी. हां, क्रिप्टो करेंसी का जन्म यह जरूर साबित करता है कि मानवता की विकास राह में समय के साथ-साथ मुद्रा के स्वरूपों में भी बदलाव होता रहा है जोकि रुकने वाला नहीं है. बदलते समय के साथ हमें भविष्य में मुद्रा के कई नए रूप देखने को मिल सकते हैं.