Explained: मौत का दूसरा नाम कहे जाने वाले Marcos Commando कैसे बनते हैं, इनका Selection कैसे होता है?

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा Defense Budget वाला देश है. ऐसा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट कहती है. भारत ही नहीं, लगभग सभी देश अपनी Security को लेकर मुस्तैद रहते हैं. पिछले कुछ साल में भारत ने भी अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया है. आज भारत के पास एक ऐसा कमांडो फोर्स है जो बड़े से बड़े दुश्मन को पल भर में धूल चटा सकता है. भारत ही नहीं दुनिया के ट्रेंड और मार्डन कमांडो फोर्स की गिनती में भारत के मार्कोस कमांडो टॉप पर हैं. तो आइए आज समझते हैं कि Marcos Commando कैसे बनते हैं, इनका काम क्या होता है?

कौन होते हैं MARCOS Commando और बनते कैसे हैं?

Marine Commando Forcefacebook/Marcos- Marine Commando Force

Marcos को मरीन कमांडो के नाम से भी जाना जाता है. इनकी गिनती दुनिया के सबसे घातक स्पेशल फोर्सेज में होती है. मार्कोस कमांडो इंडियन नेवी का पार्ट होते हैं. ये पानी,आसमान और जमीन सभी जगह पर अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं. इन्हें दुनिया के लगभग सभी आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है. खतरे वाली कंडीशन को संभालने में ये माहिर होते हैं. कारगिल की लड़ाई में इनकी ख़ास भूमिका थी. ये निश्चित समय के अंदर अपने ऑपरशन को पूरा कर लेते हैं. सबसे ख़ास बात कि ये समुद्र सतह से 55 मीटर नीचे कई मिनट तक बिना ऑक्सिजन  के भी लड़ाई को अंजाम देने का दम रखते हैं.

मार्कोस कमांडो का गठन 1987 में किया गया था. शुरुआत में इनको भारतीय समुद्री विशेष बल के नाम से जाना जाता था. फिर इन्हे समुद्री कमांडो बल के नाम से जाना जाने लगा. इन्हे नेवी ऑपरेशन और एंटी पायरेसी ऑपरेशन में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था. मार्कोस का मोटो The Few The Fearless है. मार्कोस कमांडो में सिलेक्शन पाना बहुत ही मुश्किल होता है.

MARCOS Commandos का Exam और Selection कैसे होता है?

मार्कोस कमांडो का हिस्सा होना काफी टफ है. कहा जाता है कि 1000 सेना के जवानो में कोई 1 ही मार्कोस का हिस्सा बन पाता है. कोई भी Indian Navy का जवान मार्कोस कमांडो बनने के लिए आवेदन कर सकता है. किन्तु, आवेदन करने वाले की आयु 20 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, आवेदक का पहले तीन दिन शारीरिक फिटनेस टेस्ट और Qualifying Examination होता है.

इस परीक्षा में जो पास हो जाता है उसकी ट्रेनिंग शुरू होती है. ट्रेनिंग बहुत टफ होती है, जो करीब 5 सप्ताह तक चलती है. ट्रेनिंग की प्रक्रिया देखकर आम लोगों की रूह कांप जाती है. जो सैनिक ट्रेनिंग में डटे रहते हैं उनको वास्तविक ट्रेनिंग के लिए चुन लिया जाता है. मार्कोस की असली ट्रेनिंग लगभग 3 साल की होती है. इस दौरान इन्हें समुद्र से लेकर कई अलग-अलग जगह पर ट्रेंड किया जाता है.

सबसे खतरनाक फोर्स में गिने जाते हैं MARCOS

marine-commandofacebook/Marcos- Marine Commando Force

ट्रेनिंग में कंधे पर 25 किलो का वजन लेकर जांघों तक कीचड़ में घुस कर 800 मीटर की दौड़ लगानी होती है. दौड़ के अलावा सैनिकों को करीब 10 हजार मीटर की ऊंचाई से पैराशूट से कूदना होता है. इस तरह के कई पड़ावों को पार करने के बाद सैनिकों को अमेरिका में नेवी सील के साथ ट्रेनिंग दी जाती है. मार्कोस कमांडो गोपनीयता के साथ काम करते हैं. 1987 से अब तक ये कई बड़े ऑपरेशन सफल बना चुके हैं.

मार्कोस कमांडो ने पहला ऑपरेशन 1990 के दशक में वुलर झील में किया था. इसके बाद साल 1987 में पवन ऑपरेशन फिर साल 1988 में कैक्टस ऑपरेशन,1991 में ताशा ऑपरेशन, 1992 में जबरदस्त ऑपरेशन ,1999 में कारगिल वार , 2008 में  ब्लैक टॉरनैडो ऑपरेशन के अलावा ऑपरेशन लीच, ऑपरेशन स्वान जैसे कई बड़े ऑपरेशनों को मार्कोस द्वारा अंजाम दिया जा चुका है.

MARCOS Commando को कितनी Salary मिलती है?

मार्कोस कमांडो को सबसे पहले आगरा के पैराट्रूपर ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है. फिर diving के ट्रेनिंग के लिए उन्‍हें केरल के कोच्चि में भेजा जाता है.  मार्कोस की अधिकतर ट्रेनिंग INS अभिमन्यु में होती है, जिसको 1974 में प्रीमियर रथ बेस के रूप में बनाया गया था. मार्कोस को Advanced Weapon Skills, मार्शल आर्ट, एंटी टेररिज्म ऑपरेशन, हवाई ट्रेनिंग, इंटेलिजेंस ट्रेनिंग के अलावा कई टेक्‍निक सिखाई जाती हैं.

MARCOS Commando का मोटो है: “The Few The Fearless” है. कहा जाता है कि सेना के 1000 सैनिकों में से कोई एक ही मार्कोस कमांडो बन पाता है. मार्कोस कमांडो की सैलरी उनकी तैनाती पर निर्भर करता है. 7वें वेतन आयोग के अनुसार उनका मूल वेतन 25,000/- रुपए है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते मिलते हैं, जिन्हें जोड़ा जाए तो उन्हें प्रतिमाह लाखों रुपये की सैलरी मिलती है.