किसी भी तरह की जानकारी के लिए लोग Google का सहारा लेते हैं. Google इतनी बड़ी कंपनी बन चुकी है कि इसे पछाड़ना किसी भी कंपनी के लिए आसान नहीं है. लेकिन, टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस वक्त ऐसा भूचाल आया है जो Google को भी मात दे सकता है. हम ChatGPT की बात कर रहे हैं, जो सिर्फ पांच दिनों में 1 मिलियन लोगों तक पहुंच गया, जबकि Google ऐसा करने में 1.5 साल का वक्त लगा था.
आखिर ये ChatGPT है क्या?
ChatGPT आर्टिफिशियल एंटीलीजेंस पर आधारित चैटबॉट है जो कई तरह के सवालों के लिखित जवाब देता है. ये चैटबॉट पर्सनस प्रॉब्लम्स पर सलाह भी देता है. ChatGPT से हर तरह का कंटेंट लिखा जा सकता है. यदि आप खाना बनाने के नए तौर-तरीके सीखना चाहते हैं तो ये आपको उसके भी अलग-अलग तरीके समझा सकता है और उसी रेसिपी का नया वर्ज़न भी क्रिएट कर सकता है.
ये लोगों को नौकरी खोजने में भी मदद कर सकता है. सबसे ख़ास बात ये है कि ये आपकी रुचि और काबिलियत के हिसाब से नौकरी का सुझाव भी देता है. आपको कविताएं लिखने में भी मदद कर सकता है. ये अकादमिक पेपर भी बहुत खास तरीके से लिखता है. इसकी मदद से दोस्तों-रिश्तेदारों को ख़त भी लिखा जा सकता है.
ये बच्चों के हर तरह का होमवर्क बहुत आसानी से कर सकता है. ये ऐसी कविता लिखता है कि लोग हैरान हो सकते हैं. इसे कहो शेक्सपीयर के अंदाज़ में प्रकृति के बारे में एक कविता लिखो और ये कुछ ही देर में कविता लिख देता है. परिणाम देखकर आपको लगेगा जैसे शेक्सपीयर ने ही कविता लिखी है.
इसे OpenAI नाम की कंपनी ने साल 2015 में सैम एल्टमेन और एलन मस्क ने विकसित किया था. एलन मस्क साल 2018 में इससे अलग हो गए थे. OpenAI कम्पनी के अनुसार इस चैटबॉट का इस्तेमाल सबके लिए मुफ़्त रहेगा और ये टेस्टिंग, रिसर्च के दौरान सबके लिए उपलब्ध है पर लोगों को ऐसा लग रहा है कि भविष्य में ChatGPT के प्रयोग के लिए OpenAI पैसे लेने लगेगा. ChatGPT करीब 100 भाषाओं में उपलब्ध है लेकिन ये अंग्रेज़ी में सबसे बेहतर है. लेकिन जिस तेज़ी से ये भाषा को समझ रहा है बहुत जल्द ही हिन्दी सहित सभी भाषा में सहज हो जाएगा.
ChatGPT से गूगल को क्या खतरा हो सकता है?
फिलहाल तो ChatGPT से कई तरह की गम्भीर गलतियां सामने आ रहीं हैं. ChatGPT के गलत और भ्रामक जानकारी देने के पीछे की वजह जानने पर पता चलता है कि इसके पास सिर्फ 2021 तक का ही डेटा है.
पर इस सिस्टम की खास बात ये है कि ये भाषाओं को समझने में माहिर हो गया है.
इस वक्त ChatGPT का फ़ोकस शब्दों और बातचीत के अंदाज़ में जवाब देने में है. ये चैटबॉट एल्गोरिदम से शब्द को बेहतरीन तरीके से लिखने का अंदाज़ा लगाता है जिसे लार्ज लैंगुएज मॉडल भी कहतें हैं. इसे डेवलप करने वाले लगातार इसे तार्किक बना रहें हैं.
साधारण से सवाल का भी जवाब अगर तार्किक नहीं लगता तो सिस्टम में सही जवाब फ़ीड किया जाता है. जहां दुनिया में गूगल का एकछत्र राज था वहां अब चैट जीपीटी एक स्ट्रांग कंपटीटर के रूप में उभर चुका है. खैर देखना दिलचस्प रहेगा कि चैट जीपीटी गूगल के अस्तित्व को कहां तक चैलेंज कर पाएगा.
क्या ChatGPT से किसी को खतरा है?
ChatGPT भविष्य में कई प्रकार की नौकरियों के लिए खतरा साबित हो सकता है. नौकरियों के साथ-साथ क्रिएटिविटी पर भी भारी खतरे की गुंजाइश है. जिन नौकरियों में शब्दों और वाक्यों पर डिपेंडेंसी ज्यादा है उनमें खतरा शुरू भी हो चुका है. अब पत्रकारिता के क्षेत्र की ही बात करी जाए तो इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा लिखने वालों की जरूरत होती है. इस सिस्टम के डेवलप होते ही कंटेंट राइटर की जरूरत कम होने लगेगी.
ऐसा भी हो सकता है कि कंटेंट राइटर की जरूरत ही ना पड़े क्योंकि लोगों के समस्याओं का समाधान या सवालों का जवाब चैटबॉट ही दे देगा. राहत इंदौरी ने लिखा है कि लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है, यानी सिर्फ पत्रकारिता या कंटेंट राइटर कि नौकरियां नहीं जाएगी बल्कि इसका असर IT सेक्टर पर भी पड़ेगा. कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करने वाले भी chatGPT के जद में आ सकते हैं.
इन सब चीजों के साथ शिक्षा पर इसका बहुत असाधारण असर पड़ने वाला है. न्यूयॉर्क में बच्चों को chatGPT से होमवर्क करने और असाइनमेंट करने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि सभी स्कूलों और सार्वजनिक डिवाइस पर चैट जीपीटी को बैन करना पड़ा. जब बच्चे होमवर्क और असाइनमेंट जैसे काम भी किसी टूल के जरिए करेंगे तो बेसिक स्किल ही डेवेलप नहीं हो पाएगा.
इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐसी गतिविधियां होने की संभावना है जो बच्चों और पूरी व्यवस्था पर गंभीर असर डाल सकता है.
ChaGPT का दुनिया पर प्रभाव क्या पड़ेगा?
BBC के एक लेख में साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डायस कहते हैं, “मैं विचारों के मशीनीकरण पर चिंतित हूं. ये दुनिया को समझने के तरीके को पलट देने जैसा है.ये आधुनिक इतिहास में माइंडसेट के बदलाव की सबसे महत्वपूर्ण घटना होगी. ये भी नोट करने वाली बात है कि मानव मस्तिष्क तेज़ी से सिकुड़ रहा है. इसका कारण टेक्नोलॉजी का विकास है.”
इस टेक्नोलॉजी के डेवेलप होने के साथ ही मनुष्यों के क्रिएटिविटी में भी बदलाव दिखेगा. MidJourney जैसी प्रोग्रामिंग के जरिए आसानी से तस्वीरें जुटाई जा सकती हैं. इंसानों की सचित्र स्केचिंग भी बनाई जा सकती है. जीवंत दिखने वाले पेंटिंग्स भी बनाए जा सकते हैं. सिनेमा आर्टिस्ट्स के लिए बेहतरीन जगह है पर वहां भी Lyrics लिखने वाले लोगों की जरूरत कम हो जाएगी क्योंकि ChatGPT यह आसानी से कर रहा है.
BBC से प्रोफ़ेसर मचादो डायस कहते हैं कि क्रिएटिविटी के लिए असाधारण टेलेंट की ज़रूरत होती है लेकिन एल्गोरिदम की मदद से पैदा की गई चीज़ों से मनुष्यों में क्रिएटिव होने की प्रवृति कम होगी. अब किसी भी तरह के सवाल के जवाब के लिए बहुत ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ेगा. अब जवाब से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल होने वाला है.
ब्राज़ील की फ़ेडरल यूनिवर्सिटी में एक रिसर्चर यूरी लिमा के मुताबिक़ नई तकनीक छात्रों को साइबॉर्ग (आधे इंसान, आधे मशीन) में बदल देगी. ChaGPT का प्रभाव इतना ज्यादा हो चुका है कि Gmail के फाउंडर पॉल ने कुछ वक़्त पहले कहा था कि दो साल में ये टूल Google को बर्बाद कर सकता है. इसे पसंद करने वाले इसकी तारीफ कर रहें हैं पर इससे डर भी रहे हैं. कई विशेषज्ञों ने भविष्य के लिए इसे खतरा बताया है.
प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक़, लर्निंग, शिक्षा, डिजिटल सुरक्षा, काम-काज और लोकतंत्र तक पर इस प्रोग्राम के असर की संभावना है.अख़बार लिखता है कि पहले जो राय किसी व्यक्ति की होती थी वो अब एक आर्टिफ़िशियल रोबोट द्वारा लिखा गया तर्क हो सकता है.”
यह कोई साधारण बात नहीं है इसे अगर गंभीरता से सोचा जाए तो यह बहुत बड़ी बात है.