भारत ने हाल ही में चंद्रयान-3 के ज़रिये एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. हमारा देश न केवल चांद पहुंचा बल्कि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला दश भी बना.
भारत से कई साल पहले जब Neil Armstrong ने चांद पर कदम रखे थे, तब इसे मानव के विकास और टेक्नोलॉजी की दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार माना गया था. तब से लेकर अब तक चांद पर ज़मीन लेने तक की बातें हो चुकी हैं. बातें क्या, भारत के सुपरस्टार SRK और दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत तक ने चांद पर ज़मीन ख़रीदी है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये दुनिया का पहले शख़्स है जिसकी अस्थियों को चांद पर दफ़नाया गया.
दुनिया का इकलौता आदमी जिसे पृथ्वी के बाहर दफ़नाया गया, वो भी सीधे चांद पर!
28 अप्रैल 1928 को जन्मे Eugene Merle Shoemaker ने अमेरिका के ऐतिहासिक अपोलो मिशन के एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेन किया था. उन्होंने एस्ट्रोनॉट्स को चांद पर मिलने वाली चीज़ों पर भी जानकारी दी थी. क्या आप ये जानते हैं कि अगर उन्हें इस बीमारी ने नहीं घेरा होता तो Eugene ही चांद पर पहले कदम रखते.
Eugene चाहते थे कि चांद पहुंचने वाले पहले इंसान वो बने लेकिन उन्हें Addison नाम की बीमारी हो गई जिसके बाद उन्होंने नील आर्मस्ट्रांग और बाकी अंतरिक्षयात्रियों को चांद के लिए तैयार किया.
18 जुलाई 1997 को उनकी मृत्यु के कार क्रैश में तब हुई जब वो ऑस्ट्रेलिया में एक उल्कापिंड द्वारा बनाये गए गड्ढे को देखने जा रहे थे. इस यात्रा में उनके साथ उनके दोस्त भी थे जिनके दिमाग में ये आईडिया आया कि उन्हें Eugene के पार्थिव शरीर को सीधे चांद पर दफ़नाना चाहिए. और ऐसा ही हुआ…
6 जनवरी 1998 को जब नासा का Lunar Prospector चांद के साउथ पोल पर पानी और बर्फ़ की तलाश के लिए गया, तब वो अपने साथ पीतल की एक फॉयल में Eugene की अस्थियों का कुछ हिस्सा लेकर गया, जिसमें उनका नाम और उनके जीवनकाल-मृत्यु के तारीख लिखी हुई थी.
अफ़सोस, जुलाई 31 1999 को नासा को अपने स्पेस/मूनक्राफ्ट को क्रैश करना पड़ना लेकिन यूजीन का सपना पूरा वो चुका था. मरने के बाद ही सही, चांद पर दफ़नाये गए वो पहले और इकलौते इंसान बने.
Eugene Shoemaker ने अमेरिका के स्पेस और लूनर मिशन में बड़ा योगदान दिया था. वो स्पेस एक्सप्लोरेशन के पहले कुछ जीनियस के रूप में जानते जाते हैं. वो ख़ुद एक एस्ट्रोनॉट बनना चाहते थे लेकिन उनकी बीमारी ने उनसेये सपना छीन लिया.
उन्हें Addison नाम की बीमारी थी जिसमें एड्रेनल ग्लांड्स/ एड्रिनल ग्रंथि को ऐसे हॉर्मोन बनाने से रोकती है जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी, बुखार आते हैं. स्पेस एक्सप्लोरेशन और ट्रेनिंग के काम के लिए अमेरिकी सरकार ने उन्हें 1992 में नेशनल मेडल ऑफ़ साइंस से सम्मानित किया.