सोलन की जामा मस्जिद में ईद-उल-फितर का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पावन मौके पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद में एकत्र होकर नमाज़ अदा की और अपने उज्ज्वल भविष्य की कामना की। ईद-उल-फितर, जिसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, जब तक रमज़ान के आखिरी दिन चांद नहीं दिखता, तब तक ईद नहीं मनाई जाती। चांद दिखते ही अगले दिन ईद का त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
जामा मस्जिद सोलन के इमाम मोहम्मद आरिफ ने बताया कि ईद का दिन मानवता और सेवा का संदेश लेकर आता है। इस अवसर पर सभी मुसलमान जरूरतमंदों, अपंगों, विधवाओं और अनाथों की सहायता करते हैं। उन्होंने हजरत मुहम्मद का संदेश दोहराते हुए कहा कि वह व्यक्ति नमाज़ अदा करने के योग्य नहीं जो जरूरतमंदों की मदद नहीं कर सकता। इस मौके पर मस्जिद में 70 रुपये प्रति व्यक्ति दान एकत्रित किया गया, जिसे जरूरतमंदों में वितरित किया जाएगा। इमाम ने यह भी बताया कि सोलन में सांप्रदायिक सौहार्द और अखंडता बनी रहे, इसके लिए वे निरंतर प्रयासरत हैं। ईद के अवसर पर सभी धर्मों और देश की खुशहाली के लिए विशेष दुआ मांगी गई।
बाइट इमाम मोहम्मद आरिफ