Dwadash Jyotirling: सावन में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का महत्व

12 Jyotirlinga: सावन के इस पवित्र मास में जब भोले के भक्त नंगे पांव पवित्र स्थलों से गंगाजल भरकर अपने भोले बाबा को चढ़ाने के लिए आतुर रहते हैं, आज हम आपको बता रहे हैं देश के उन प्रमुख तीर्थों के बारे में जहां शिव प्रकट हुए थे। आज इन स्थानों की ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा की जाती है।

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सावन मास चल रहा है और इस मास में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष विधान है। शिव पुराण में बताया गया है कि जो भक्त इस मास में हर रोज शिवलिंग की पूजा और सावन सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। सावन के महीने में लाखों शिव भक्त ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने के लिए उज्जैन, काशी, हरिद्वार आदि समेत भारत के कई धार्मिक स्थलों पर जाते हैं। पुराणों में 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव जहां-जहां प्रकट हुए, उन स्थानों पर इनकी पूजा ज्योतिर्लिंगों के रूप में होती है। शिव पुराण के अनुसार, ज्योति के रूप में भगवान शिव स्वयं यहां विराजमान रहते हैं। आइए जानते हैं इन ज्योतिर्लिंग के बारे में…

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

शिव पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति सुबह-शाम इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का पाप मिट जाता है। साथ ही वह जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त करता है।

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सौराष्ट्र (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में विराजमान हैं। इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त और निर्मित किया गया था। यह मंदिर काफी समृद्ध था। साल 1022 में महमूद गजनवी ने हमला कर इसे काफी नुकसान पहुंचाया था। इस समय जो मंदिर खड़ा है, उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया था। इस ज्योतिर्लिंग को भारत ही नहीं बल्कि पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। श्रीशैल पर्वत पर स्थित इस मंदिर के पास कृष्णा नदी बहती है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं। शिव पुराण में बताया गया है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पूजा करने पर अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र स्थित उज्जैन में विराजमान हैं। यह मंदिर क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। उज्जैन को प्राचीन समय में अवंतिकापुरी कहा जाता था। यह एकमात्र शिवलिंग है, जो दक्षिणमुखी है। यहां हर रोज सुबह होने वाली भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर स्थान मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर है। उज्जैन से खंडवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहां से यह स्थान 10 मील दूर है। यहां ओंकारेश्वर और मामलेश्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, लेकिन ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं। ओंकारेश्वर लिंग को स्वयंभू समझा जाता है। यह जो ज्योतिर्लिंग है, वह ओंकार अर्थात ॐ का आकार लिए हुए है, इस वजह से इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ हिमालय के केदार नामक पर्वत पर स्थित हैं। यह स्थान हरिद्वार से 150 मील और ऋषिकेश से 132 मील दूर उत्तराखंड राज्य में है। केदारनाथ धाम का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण में मिलता है। जिस प्रकार भगवान शिव का स्थान कैलाश का महत्व है, उसी तरह भगवान शिव ने केदार क्षेत्र को महत्व दिया है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

श्री भीमाशंकर पुणे से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर विराजमान हैं। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है। शिवपुराण की एक कथा के आधार पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर बताया जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि नैनीताल जिले के काशीपुर नामक स्थान में स्थित विशाल शिवमंदिर भीमाशंकर का स्थान है। मान्यता है कि जो भी भक्त सूर्य निकलने के बाद इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

वाराणसी स्थित काशी के श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग दर्शन हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र है। सभी तीर्थ स्थलों में काशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि प्रलय आने पर इस क्षेत्र की रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने के बाद काशी की पुन उसके स्थान पर रख देंगे।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर है। यह मंदिर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे स्थापित है। इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद‌्गम भी है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर है। मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव निवास करते हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

वैद्यनाथ मंदिर झारखंड के देवघर नामक स्‍थान में है। शिव का एक नाम ‘वैद्यनाथ भी है, इस कारण लोग इसे ‘वैद्यनाथ धाम’ भी कहते हैं। यह एक सिद्धपीठ है। इस कारण इस लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। यहां सावन में कांवड़ियों की भीड़ उमड़ती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। धार्मिक पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को नागों का देवता माना जाता है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महीना के बारे में बताया गया है कि इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु के रामनाड जिले में है। यहां लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने आराध्यदेव शंकर की पूजा की थी। ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुओं के चार धाम में यह धाम भी आता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्रीघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में दौलताबाद स्टेशन से 12 मील दूर बेरूल गांव के पास है। यहां पुरुषों को मंदिर में प्रवेश से पहले ऊपरी वस्त्र उतारने पड़ते हैं। दूर दूर से लोग इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आते हैं और उनको आत्मिक शांति मिलती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। यहीं पर एकनाथ गुरु और श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।