Dr Shreeram Lagoo’s Biography: बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाना आसान नहीं है. छोटे-छोटे शहरों से निकलकर कई अभिनेताओं ने काफी संघर्ष के बाद अपने सपनों को पूरा किया है, जिसमें पंकज त्रिपाठी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इरफ़ान खान और मनोज वाजपेयी जैसे दिग्गज अभिनेता शुमार हैं.
Greatest Character Artist Dr Shreeram Lagoo
हिंदी सिनेमा जगत में एक ऐसा भी कलाकार आया, जिसने डॉक्टर की डिग्री लेने के बाद 42 की उम्र एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और छा गया. 250 से अधिक फ़िल्में की और अपने शानदार अभिनय से सिनेमा प्रेमियों को अपना दीवाना बना लिया. हम बात कर रहे हैं एक्टर श्रीराम लागो (Actor Shriram Lagoo) की, जो किसी दूसरे प्रोफेशन का हिस्सा होने के बाद इंडस्ट्री में कदम रखा और कमाल करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुए.
42 साल की उम्र में एक्टिंग के लिए छोड़ दी थी डॉक्टरी
लागो का जन्म 16 नवंबर 1927 को हुआ था. MBBS की डिग्री हासिल करने के बाद 6 वर्षों तक पुणे में प्रैक्टिस की. इसके बाद कनाडा का रुख किया. वहां एडिशनल ट्रेनिंग के बाद 60 के दशक में भारत लौट आए. देश के अलावा श्रीराम ने तंजानिया में भी लोगों का इलाज किया, लेकिन एक्टिंग में दिलचस्पी रखने की वजह से उनका दिल अपने प्रोफशनल में नहीं लग रहा था.
250 फ़िल्में देकर जीत लिया सिनेमा प्रेमियों का दिल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआत से ही उनका थिएटर से एक खास लगाव था. उन्होंने व्हेयर डेथ श्हीड अवे और नटसम्राट जैसे नाटक में हिस्सा लिया, जिसकी वजह से बॉलीवुड में एंट्री मिली और साल 1975 के बाद वह फ़िल्मी दुनिया में काफी सक्रियता के साथ अलग-अलग किरदार निभाने लगे थे.
डॉक्टरी छोड़ फिल्म जगत के स्टार कैसे बने श्रीराम लागू?
अपने 20 वर्षों के करियर में श्रीराम लागो ने कई यादगार किरदार निभाए और कई सारे हिंदी फिल्मों में काम भी किया. उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ भी कई फिल्मों का हिस्सा बने और अपनी एक्टिंग का लोहा हर किसी को मनवाया. लागो ने राजेश के साथ सौतन, आवाम और मकसद जैसी फिल्मों में काम किया.
हिंदी-मराठी अभिनेता का 92 साल की उम्र में निधन
वहीं श्रीराम लागो ने अपने फ़िल्मी करियर में मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, सदमा, देवता और इनकार जैसी फ़िल्में की और अपने अभिनय से सभी को काफी प्रभावित किया. हिंदी सिनेमा के अलावा उन्होंने कई मराठी फिल्मों में भी काम किया. 17 दिसंबर 2019 को पुणे में अंतिम सांस ली. आज वो हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन सिनेमा में उनका योगदान हमेशा जीवंत रहेगा.