तथा जिला लोक सम्पर्क विभाग कुल्लू के सहयोग से रंगप्रिया थिएटर सोसाइटी हि. प्र. द्वारा मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष के प्रति एक सहयोग हेतु 24 सितम्बर, 2023 को अटल सदन अंतरंग सभागार कुल्लू में महाकवि बोधायन कृत नाटक भगवदज्जुकम खेला गया। सातवीं शताब्दी के इस लोकप्रिय संस्कृत प्रहसन का हिंदी अनुवाद नेमिचंद्र जैन ने किया है। नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन हितेश भार्गव द्वारा की गयी । नाटक में सभी कलाकारों ने दर्शकों को अपनी भूमिका से प्रभावित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेंद्र शर्मा थे।
नाटक में दार्शनिक तथा धार्मिक अवधारणाओं के द्वारा दिखाया गया कि जीवित प्राणी का गैर-भौतिक सार जैविक मृत्यु के बाद एक अलग भौतिक रूप या शरीर में एक नया जीवन शुरू करता है । पुनर्जन्म से जुड़ी अधिकांश मान्यताओं में, मनुष्य की आत्मा अमर है और भौतिक शरीर के नष्ट होने के बाद नष्ट नहीं होती है। मृत्यु के बाद, आत्मा अपनी अमरता को जारी रखने के लिए केवल एक नवजात शिशु या एक जानवर में परिवर्तित हो जाती है।
नाटक में दिखाया गया है कि कैसे एक साधु और एक वैश्या की आत्माएं बदल जाती हैं, और कैसे साधु एक वैश्या की तरह व्यवहार करना शुरू कर देता है और इसके विपरीत। जैसा मन, वैसी वाणी और शरीर भी वैसा ही आचरण करता है। नाटक की कहानी जीवन के कुछ गंभीर सवालों का जवाब सरलता से देती है। आत्माओं के आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप, एक दिलचस्प हास्य स्थिति उत्पन्न होती है जो दर्शकों को हंसाती है।
भगवदज्जुकम में, परिव्राजक एक संन्यासी है जो एक सिद्धयोगी ज्ञानी और जानकार व्यक्ति है और जिसने योग-सिद्धि प्राप्त कर ली है। उनके साथ शांडिल्य नाम का एक शिष्य भी है, जो अपने चंचल स्वभाव के कारण विचलित है। ध्यान और पढ़ाई में उसकी रु