सोलन:राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान विभाग सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार ने ढींगरी मशरूम की खेती को किसानों और आम लोगों के लिए एक सरल, सस्ती और अत्यंत लाभकारी पहल बताया है। उन्होंने कहा कि ढींगरी मशरूम न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी यह किसी खजाने से कम नहीं है।डॉ. अनिल कुमार के अनुसार, ढींगरी मशरूम में ‘लोबास्टेटिन’ नामक महत्वपूर्ण औषधीय तत्व पाया जाता है, जो शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है। यही कारण है कि यह मशरूम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि बटन मशरूम की तुलना में ढींगरी मशरूम की खेती की लागत काफी कम होती है। इसे कच्चे मकानों, झोपड़ियों या बेसमेंट जैसी जगहों पर भी आसानी से उगाया जा सकता है। खेती के लिए गेहूं, धान या सरसों के भूसे का उपयोग किया जाता है। भूसे को उपचारित कर जब उसमें 55 से 60 प्रतिशत नमी रह जाती है, तब बीजाई कर उसे छिद्रयुक्त थैलियों में रखा जाता है।डॉ. कुमार ने मशरूम की तुड़ाई पर विशेष जोर देते हुए कहा कि ढींगरी मशरूम को मुड़ने से पहले ‘यंग स्टेज’ पर तोड़ना चाहिए, ताकि उसका स्वाद और गुणवत्ता बनी रहे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे धूप या कमरे में आसानी से सुखाया जा सकता है। सूखाने के बाद इसका पाउडर बनाकर या सूखे रूप में इसे छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।बाइट डॉ. अनिल कुमार