Dhingra Brothers Berger Paints Success Story: दुकान चलाने वाले दो भाई, जिन्होंने एक डूबती हुई कंपनी को ₹56000 करोड़ के कारोबार में बदल दिया

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व्यापार के क्षेत्र से जुड़े लोग अमूमन डूबती हुई कंपनियों में पैसा लगाने से बचते हैं लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर डूबती कंपनियों को भी करोड़ों-अरबों के कारोबार में बदला जा सकता है. एक छोटी सी पेंट की दुकान से अपनी व्यापारिक यात्रा शुरू करने वाले दो भाइयों ने उक्त बातों को सच साबित किया है.

दो भाइयों ने कर्ज में डूबी कंपनी को बना दिया अरबों का

shopkeepers dhingra brothers who turn a bankrupt Company into rs 56000 crore berger paintsTwitter

भारतीय बैंकों से लोन लेकर फरार हुए किंगफिशर के मालिक विजय माल्या भगोड़े साबित हो चुके हैं. भारत में उनके सभी कारोबार डुब चुके हैं. माल्या के इस डूबे हुए कारोबार में एक कंपनी ऐसी भी थी जिसे दो भाइयों ने ना केवल डूबने से बचाया बल्कि उसे करोड़ों के कारोबार में भी बदल दिया. हम यहां बात कर रहे हैं ढींगरा भाइयों की, जिन्होंने पंजाब के छोटे से शहर में एक दुकान से अपने बिजनेस करियर की शुरुआत की. साधारण सी दुकान चलाने वाले ढींगरा भाईयों ने माल्या की डूबती कंपनी पर बड़ा दांव और उसे 56 हजार करोड़ के कारोबार में बदल दिया.

एक छोटी सी दुकान से की थी शुरुआत

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ये कहानी है पंजाब के दो भाइयों कुलदीप सिंह ढींगरा और गुरबचन सिंह ढींगरा की, जिन्होंने पंजाब में स्थित अपने पुश्तैनी दुकान से अपने बिजनेस करियर की शुरुआत की. ये दुकान उन्हे दादा ने 1898 में अमृतसर में शुरू की थी. दोनों भाइयों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद परिवार का पुस्तैनी बिजनेस संभाला. ढ़ीगरा ब्रदर्स को अपनी दुकान चलाने में शिक्षत होने का लाभ मिला. शहर में ढ़ीगरा भाईयों की दुकान काफी फेमस थी.

दोनों के जीवन में उस समय एक नया मोड़ आया जब उन्हें पता चला कि माल्या की यूबी समूह अपनी पेंट कंपनी बेच रही है. दोनों अपने एक दोस्त की मदद से माल्या से मिलने पहुंचे और एक ही मीटिंग में डील फाइनल कर ली. माल्या की जो कंपनी डूब रही थी, दोनों ने उसे खरीद लिया. उस समय वो कंपनी देश की सबसे छोटी पेंट निर्माता कंपनी थी.

कंपनी को नाम दिया Berger Paints

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शायद व्यापार के नजरिए से ये एक घाटे का सौदा हो सकता है लेकिन ढ़ीगरा ब्रदर्स को खुद पर विश्वास था. उनके हाथों में एक डूबी सी कंपनी थी, जिसे वे अपने मेहनत के दम पर बड़ा बनाने में जुट गए. उन्होंने कंपनी की नए सिरे से शुरुआत करते हुए इसका नाम रखा बर्जर पेंट (Berger Paints). साल 1970 में कंपनी का टर्नओवर 10 लाख रुपये था. इसे बड़ा बनाने के लिए दोनों भाईयों ने जी-जान लगा दिया. समय के साथ दोनों भाइयों की मेहनत भी रंग लाई.

दोनों भाइयों की मेहनत रंग लाई

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अपनी मेहनत के दम पर दोनों ने 10 सालों में बर्जर पेंट्स को सोवियत संघ का सबसे बड़ा पेंट निर्यातक बना दिया. इसके बाद दोनों भाइयों ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज बर्जर पेंट देश की दूसरी सबसे बड़ी पेंट निर्माता कंपनी है. कभी कर्ज में डूबी इस कंपनी को दोनों भाइयों ने अपनी मेहनत के दम पर 56000 करोड़ के कारोबार में बदल दिया.

कुलदीप ढींगरा और गुरबचन ढींगरा की मेहनत का ही असर है कि आज बर्जर पेंट्स सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि रूस, पोलैंड, नेपाल और बांग्लादेश सहित कई देशों में भी कारोबार कर रही है. कंपनी की वैल्यू 56 हजार करोड़ से अधिक हो चुकी है. वहीं दोनों भाइयों की कंपनी में हिस्सेदारी 3.6 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा की है.