Dhak Dhak Movie Review: क्या है Dhak Dhak मूवी की कहानी? रोड ट्रिप पर निकलीं चार औरतों की ये कहानी बहुत कुछ सिखाती है

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हम सब जानते हैं कि सपनों का मर जाना सबसे खतरनाक होता है लेकिन इसके बावजूद हम आज की इस भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में अपने दम तोड़ते सपनों को नहीं बचा पा रहे. जब भी हम अपने मान की सुनकर अपने सपनों को पूरा करने की सोचते हैं हमारा दिल ‘धक धक’ करने लगता है. सपनों की इस धक-धक की कहानी लेकर आई है निर्माता तापसी पन्नू की चार लड़कियों के रोड ट्रिप वाली फिल्म ‘धक धक’.

चार महिलाओं का रोड ट्रिप

इस फिल्म की कहानी उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर अपनी-अपनी चुनौतियों से जूझ रहीं समाज के अलग-अलग तबकों की चार औरतों पर केंद्रित है. ये दिल्ली से सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी खारदुंगला के सफर को बाइक से तय करने निकलती हैं. इस कहानी में आप देखेंगे कि सात दिन के इस चुनौतीपूर्ण सफर में इन चारों की जिंदगियां, उनकी सोच किस तरह बदलती है.

क्या है धक-धक की कहानी?

60 की उम्र पार कर चुकी मनप्रीत कौर (रत्ना पाठक शाह) के पति चल बसे हैं और उनकी बेटियों की शादी हो चुकी है. वो अब अकेले जिंदगी काट रही हैं. वो अपने बच्चों की नजर में सम्मान पाना चाहती हैं, जिसके लिए वो इस ट्रिप को माध्यम बनाती हैं. वहीं, शशि कुमारी यादव उर्फ स्काय (फातिमा सना शेख) एक ट्रैवल ब्लॉगर हैं जो एक दुखद वाकये का दर्द झेल रही हैं. वह अपनी नई पहचान पाना चाहती हैं. उज्मा (दीया मिर्जा) में ऐसी अद्भुत कला है कि वह रिंच-पाने से मिनटों बाइक ठीक कर देती हैं लेकिन इसके बावजूद उनकी जिंदगी घर-परिवार को संभालने तक ही सिमटी है. फिल्म की चौथी नायिका मंजरी (संजना सांघी) अपने होने वाले पति को बिना जाने अरेंज मैरिज के बंधन में बंधने जा रही हैं. लेकिन वह इससे पहले अपनी नजर से दुनिया को देखना चाहती हैं.

कैसे हैं फिल्म के डायलॉग्स?

फिल्म को तरुण डुडेजा ने निर्देशित किया है और इसकी कहानी पारिजात जोशी के साथ मिलकर लिखी गई है. ये एक रोमांचक सफर की कहानी है, जिसमें आम मिडिल क्लास औरतों के साथ घर से सड़क तक हर तरह से होने वाले भेदभावों पर प्रभावी ढंग से टिप्पणी की गई है. इसकी खास बात ये है कि महिला प्रधान फिल्म होने के बावजूद इसमें पुरुषों को केवल विलेन के रूप में नहीं दिखाया गया. इस कहानी में एक विदेशी मर्द इन औरतों का मददगार बनता है, वहीं राह भटकी मंजरी को एक सरदार जी बड़ी सीख दे जाते हैं. फिल्म में ऐसे कई चुटीले पर दार्शनिक डायलॉग्स हैं, जो कभी गुदगुदाते हैं, तो कभी बड़ी सीख दे जाते हैं.

फिल्म में अभिनय की बात करें तो रत्ना पाठक शाह ने सभी नंबर बटोर लिए हैं. उन्होंने इस फिल्म में अपना पूरा अनुभव झोंक दिया है. वहीं, दीया, फातिमा, संजना भी अपने अभिनय में खरी रही हैं. सभी ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है.