शिमला पुलिस मुख्यालय में डीजीपी और एसपी के बीच हुआ खुला टकराव प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है। एसपी शिमला ने मीडिया के सामने दावा किया कि उनसे “ऊँचे स्तर” पर दबाव डाला गया कि वे संवेदनशील मामलों की जाँच मनचाही दिशा में मोड़ें। और तो और, अपनी प्रेस-वार्ता में एसपी ने चौंकाते हुए बताया कि डीजीपी कार्यालय का एक कर्मचारी नशा तस्करी रैकेट से जुड़ा होने की आशंका है। यह बयान आग में घी का काम कर गया। सोलन के शहरवासियों धर्मेंद्र ठाकुर , राजेश कश्यप और मुकेश गुप्ता ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जब एसपी तक दबाव झेल रहे हैं, तो नीचे के अफ़सरों का क्या हाल होगा? उनका आरोप है कि प्रदेश में जाँच प्रक्रिया अब आज़ाद नहीं, बल्कि अफ़सरों के इशारों पर चल रही है। जो अधिकारी दबाव मानने से इनकार करते हैं, उन्हें छुट्टी पर भेज कर अनुशासनात्मक कार्रवाई का दिखावा किया जाता है—जो असल में इनाम सरीखा है। गुस्साए नागरिकों ने माँग की है कि जाँच निष्पक्ष हो और दोषी चाहे डीजीपी कार्यालय का कर्मी हो या कोई और—सब पर समान कड़ी कार्रवाई हो। वे चेतावनी दे रहे हैं कि यदि सरकार इस विवाद को आई-वॉश बनाकर बंद करती है, तो आम आदमी का न्याय तंत्र से रहा-सहा भरोसा भी टूट जाएगा। इस लिए सभी पर जल्द और समान कार्रवाई होनी चाहिए बाइट धर्मेंद्र ठाकुर , राजेश कश्यप और मुकेश गुप्ता