फोर्टिस अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के कंस्लटेंट डा. निशित सावल ने सोलन के सिटी हाइड होटल में प्रेस वार्ता करते हुए कहा की चिकित्सा जगत में आई क्रांति से ऐसे बुजुर्ग जो पार्किंसंस रोग के कारण स्वयं व अपने घरवालों पर एक भार की तरह बन जाते हैं, बुजुर्गों की इन समस्याओं को उनके मस्तिष्क में डीप ब्रेन सिटमुलेशन (डीबीएस) तकनीक से पूरी तरह कंट्रोल (यानि पूरी तरह से स्वस्थ) किया जा सकता डा. निशित सावल ने पिछले 5 वर्षों से पार्किसंस रोग से पीड़ित एक 64 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के उपचार में प्रयोग की गई डीप
ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक संबंधी अवगत करवाते हुए बताया कि रोगी के दिमाग को इलेक्ट्रिकल तंत्र से चलाने के लिए एक
इलेक्ट्रोड (वायर/स्विचर की तरह दिखने वाली इलेक्ट्रिकल वस्तु) को संबंधित मरीज के मस्तिष्क में डाला जाता है, जिससे
उसके मस्तिष्क में प्रभावित कोशिकाओं व कैमिकल्स का उपचार डाक्टर द्वारा रिमोट से किया जाता है। पंजाब की एक अन्य
70 वर्षीय बुजुर्ग महिला की वीएनएस (वेगल नर्व स्टिमुलेशन) से हुई सर्जरी संबंधी डा. सावल ने बताया कि मरीज 30 वर्षों से गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित थी। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों पर ज्यादातर दवाईयां बेअसर होने के कारण समस्या बढ़ती है जिस कारण ऐसे मरीजों के स्वास्थ्य एवं दैनिक जीवन पर गंभीर प्रभाव भी होता है। ऐसे में वीएनएस तकनीक से उनका इलाज संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि अच्छी देखभाल के बाद उक्त मरीज की सेहत में सुधार हुआ और डिप्रेशन कम होने लगा। धीरे-धीरे उनकी जिंदगी पटरी पर लौट आई और आज वह सामान्य जीवन जी रहे हैं।
डॉ. निशित सावल ने बताया कि डीबीएस ने पार्किंसंस रोग से पीड़ित रोगियों के उपचार में क्रांति ला दी है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन पार्किंसंस रोग के रोगियों में बड़ी जटिलताओं में सुधार करता है। हाथ, बाजू, सिर का कांपना और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण सर्जरी के बाद कम हो जाते हैं।