Chhath Puja Special: इन 9 बातों के बिना अधूरा लगता है छठ महापर्व, घर से दूर रहने वाले समझ सकते हैं इन बातों का महत्व

लोकास्था का महापर्व छठ की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. बिहार यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया के हर कोने में इस पर्व को लेकर चहल पहल हो रही है. भले ही हर बार साल और तारीख बदलती हो लेकिन इस महापर्व का उत्साह हमेशा शिखर पर रहता है. छठ को लेकर कुछ बातें हमेशा समान रहती हैं, कुछ भी हो जाए ये नहीं बदलतीं. ये बातें हर बार आपके साथ होती हैं, मानो जैसे इन बातों के बिना छठ का पर्व अधूरा लगता हो.

इन्हें लेकर Indiatimes हिंदी ने एक सूची तैयार की है, आप भी इस सूची को देखिए और बताइए कि क्या आपके साथ भी ऐसा होता है:

1. टिकट मिल गई?

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अपने घर परिवार से दूर दूसरे राज्यों में रह रहे लोगों के लिए छठ में छुट्टी लेना और समय पर घर पहुंचना हर बार एक चुनौती होती है. छुट्टी मिल भी जाए तो ट्रेन टिकट के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ता है. छठ में ट्रेन की टिकट मिल जाने की खुशी वही बता सकता है जिसे इस पर्व और अपने गांव से लगाव है. कुछ लोग तो इस संघर्ष से बचने के लिए 3-4 महीने पहले बुकिंग खुलते ही रिज़र्वेशन करा लेते हैं. इस स्थिति में दोस्तों से लेकर घरवालों तक का ये सवाल हर बार सुनने को मिलता है- ‘टिकट मिल गई?’

2. मां के लिए साड़ी ले ली है

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वैसे तो छठ में घर जाना हो तो खुद के लिए नए कपड़े बनते ही हैं लेकिन कमाऊ बच्चे अक्सर चाहते हैं कि छठ व्रत करते हुए या घाट पर जाते हुए मां उनकी लाई हुई नई साड़ी पहने. बता दें कि छठ पर नई सूती साड़ी ही पहनी जाती है. साड़ी लेने के बाद हर बार घर पर ये बताना कितना सुखद लगता हु कि ‘मां के लिए साड़ी ले ली है.’

3. ठेकुआ लेते आना

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घर से बाहर रह रहे लोगों के लिए छठ पर ये बात सुनना उतना ही आम है जितना गोल-गप्पे खाने के बाद मीठा पानी और सूखी पूरी मांगना. आपने घर जाने की पूरी तैयारी कर ली है. निकलने से पहले ये आपका ऑफिस का आखिरी दिन है और अभी तक आपसे किसी दोस्त ने ये नहीं कहा कि ‘ठेकुआ लेते आना’ तो मान लीजिए आपकी छठ अभी अधूरी है. हालांकि आपके घर पहुंचने के बाद भी फोन पर आपको ऐसा कई बार सुनने को मिल ही जाता होगा.

4. घाट की सफाई

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आप भले ही किसी जिले के कलेक्टर हों या अपनी कंपनी के सीईओ, आपने अगर अपने गांव पहुंच कर छठ घाट की सफाई में ज़रा सा भी हाथ ना बंटाया तब तक आपक चैन नहीं आएगा. हर साल की तरह इस साल भी गांव के युवा आपको यही कहेंगे, ‘भईया आप रहने दीजिए हम लोग कर लेंगे’ लेकिन इसके बावजूद आपका थोड़ा बहुत करना तो बनता ही है.

5. इंतजाम में कमी

chhath-puja 2020AFP

बात करें अगर गांवों में बने छोटे छोटे घाटों की तो यहां आप भले ही कितने भी सावधान हो जाएं लेकिन छठ के दिन इंतजाम में कोई ना कोई कमी हो ही जाएगी. कभी साउंड नहीं मिलेगा तो कभी लाइट की कमी की वजह से घाट का एक कोना अंधेरा रह जाएगा. सब ठीक लगेगा तो कोई ना कोई आकर जरूर टोक देगा, ‘इस बार इंतजाम में थोड़ा कमी लग रहा है.’ ये हर बार होता है, इसलिए ऐसा कोई कहे तो बस सुन कर मुस्कुरा दीजिएगा.

6. कब आए?

India Celebrates Chhath PujaAP Photo/Mahesh Kumar A.

आप छठ के लिए गांव जाएं और बाजार-हाट करते हुए 20 से ज्यादा जानने वाले अगर ये ना पूछें कि ‘कब आए?’ तब तक आपकी छठ की यात्रा अधूरी मानी जाएगी. कुछ लोग आपसे ये सवाल छठ बीतने के बाद भी पूछ सकते हैं, जबकि वो अच्छे से जानते होंगे कि आप छठ से पहले ही घर आए होंगे.

7. घाट पर दउरा ले जाना

जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि दउरा उस बड़ी सी टोकरी को कहते हैं जिसमें छठ अर्घ का सारा सामान रखा जाता है. ये बांस का बना होता है लेकिन बदलते जमाने के साथ अब दउरा की जगह पीतल के बड़े बर्तन का प्रयोग होने लगा है. घर के बेटे इस दउरा को सिर पर उठा कर छठ घाट तक ले जाते हैं.

8. शारदा सिन्हा के छठ गीत

भले ही आप पॉप, हिप-हॉप या चाहे विदेशी संगीत के शौकीन क्यों ना हों लेकिन गांव जाने पर जब तक बिहार की स्वर-कोकिला शारदा सिन्हा ने छठ गीत आपके कानों में नहीं पड़ेंगे तब तक छठ वाली फिलिंग नहीं आएगी. आपको शारदा सिन्हा का कौनसा छठ गीत सबसे अच्छा लगता है?

9. छठ घाट से लाइव

chhath-puja 2020Reuters

आप चाहे छठ के दिन कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, अपने अपने छठ घाट से कुछ मिनटों के लिए लाइव आना इस बार भी नहीं भूलेंगे. आपको उन दोस्तों को जलाना जो है जो बेचारे इस बार घर का छठ नहीं देख पाए. खैर मजाक से हट कर कहें तो हर कोई अपने गांव की छठ की शोभा दुनिया को दिखाना चाहता है. बताना चाहता है कि यूं ही नहीं हमारा दिल छठ में गांव आने को बेचैन रहता है.

आप इनमें से किन किन बातों  का अनुभव कर चुके हैं, कमेंट्स में जरूर बताएं