Chef Ranveer Brar की कहानी, गुरुद्वारे में बनाई पहली रसोई, 25 की उम्र में बने शेफ, आज भारतीय खाने के हीरो हैं

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खाने के लिए जुनून ने मुझे दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया है. एक फाइव स्टार होटल में सबसे कम उम्र के एग्जीक्यूटिव शेफ बनने से लेकर अपना खुद का कुकिंग शो होस्ट करने तक, यह कुकिंग के लिए मेरा प्यार ही है जो यहां तक पहुंचा है. मैं आपको नई जगहों, संस्कृतियों और स्वाद की खोज करते हुए एक पाक यात्रा पर ले जाने का इरादा रखता हूं, यह कहना है मास्टरशेफ इंडिया सीज़न 7 के  जज रणवीर बरार का, जो एक सेलिब्रिटी शेफ, एक होस्ट और एक फूड स्टाइलिस्ट भी हैं, जो कई तरह के कुकिंग शोज़ में भी नजर आ चुके हैं.

किचन में सीखे गए सबक ज़िंदगी के सबक होते हैं

रणवीर बरार ने एक इंटरव्यू में कहा था, “खाना भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है. उनका कहना है कि कभी-कभी खाने को अकेला छोड़ देना चाहिए ताकि वह बढ़ सके, पक सके और टाइम पर खाने के लिए तैयार हो सके. अगर खाने को जल्दबाजी में और हड़बड़ी में पकाया जाता है तो वह अपनी प्योरिटी और टेस्ट को कहीं खो देता है.” तो आइए हम इंडियन शेफ रणवीर बरार के जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में जानते हैं जिसकी जड़ें लखनऊ से तो जुड़ी हैं लेकिन उसकी शाखाएं पूरी दुनियाभर फैली हैं.

गुरुद्वारे में बनाई पहली रसोई

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8 फरवरी 1978 को नवाबों के शहर लखनऊ में ईश्वर सिंह और सुरिंदर सिंह के घर में रणवीर बरार का जन्म हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा लखनऊ में हुई और इसके बाद शेफ बरार ने A Public US State University से ग्रेजुएशन किया. लेकिन बचपन से ही रणवीर को खाने के प्रति अलग ही रूचि थी. बचपन में हर रविवार को वह अपने दादा जी के साथ गुरुद्वारा जाया करते थे. दादा अपने दोस्तों के साथ वहां प्रार्थना करते और गुरबानी गाया करते थे. लेकिन रणवीर गुरुद्वारे की रसोई में अपना समय बिताया करते थे. उन्हें लंगर छकने से ज्यादा, वहां रसोई में बड़ी-बड़ी कढ़ाइयों में बनी रहे खाने को लेकर दिलचस्पी हुआ करती थी. एक बार जब लंगर के लिए मीठे चावल बनाने वाली ग्रंथी की पत्नी छुट्टी पर चल गईं तो रसोइयों ने शेफ बरार को मीठे चावल बनाने का मौका दिया. वहीं से रणवीर बरार के शेफ बनने की जर्नी शुरू हुई.

मसालों के साथ खास रिश्ता

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एक इंटरव्यू में शेफ बरार ने बताया था कि उनकी मसालों और उसके इतिहास को लेकर जानने की उत्सुकता उनके मन में दास बाबू ने शुरू की थी. दरअसल जब रणवीर लखनऊ में रहा करते थे तो उनके घरवालों उसने कभी मिर्च, कभी चाय की पत्ती तो कभी हल्दी दास बाबू के किराना स्टोर से जाकर लाने को कहते थे. उसे वक्त दास बाबू उन्हें सामान देने के साथ ही साथ उसके इतिहास के बारे में भी बताते थे. अगर उनकी बात कोई पूरी सुन लेता था तो वह उसे इनाम के तौर पर टॉफी दिया करते थे.

जब शेफ बरार केवल 15 साल के थे तभी वह अपने दोस्तों के साथ लखनऊ की गलियों में अलग-अलग तरह का स्वाद खोजा करते थे. एक बार वह किसी कबाब की दुकान पर गए और वहां कबाब बनाने वाले से उसकी लाइफ के बारे में पूछा. वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शेफ बनने की ठान ली. रणवीर ने घर आकर अपने पैरेंट्स को अपने शेफ बनने के बारे में बताया लेकिन उनके पैरेंट्स ने साफ इंकार कर दिया. मगर रणवीर भी जिद्द पर अड़े रहे और खुद को साबित करने के लिए वह घर छोड़कर चले गए.

सबसे कम उम्र के एग्ज़क्यूटिव शेफ़  


इसके बाद वह करीब 8 महीने तक लखनऊ के फेमस कबाब बनाने वाले शेफ मुनीर उस्ताद के साथ रहे और उन्होंने वहां कबाब बनाने की पूरी प्रक्रिया को सीखा. बेटे की जिद्द के आगे पिता को झुकना पड़ना. नतीजतन रणवीर का IHM लखनऊ में दाखिला हो गया. वहां पर उन्होंने पाक कला की बारीकियां सीखीं और महज 25 साल की आयु में वह देश के सबसे कम उम्र के एग्ज़क्यूटिव शेफ़ बन गए.

शेफ के तौर पर अपने करियर की शुरुआत बरार ने दिल्ली के ताजमहल होटल से की. इसके बाद उन्होंने रैडिसन ब्लू में भी काम किया और बाद में न्यूयॉर्क चले गए. जहां उन्होंने जेम्स बियर्ड हाउस में खाना पकाया. हालांकि कम उम्र में मिली सक्सेस लोगों के अंदर ओवर कॉन्फिडेंट पैदा कर देती है. ठीक ऐसा ही शेफ बरार के साथ हुआ वह अमेरिका चले गए और वहां पर पार्टनरशिप में एक रेस्तरां खोला. लेकिन वह रेस्तरां एक साल के भीतर ही बंद हो गया. रेस्तरां बंद होने के बाद रणवीर काफी उदास रहने लगे. उसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें मैसेज किया कि वह अपने रेस्तरां में उन्हें अकेले किचन संभालने की जिम्मेदारी देना चाहता है. यह सुनकर रणवीर के मन में वापस से उम्मीद जाग उठी.

बोस्टन में खोला खुद को रेस्तरां 

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रणवीर बरार ने US और कनाडा समेत कई देशों में जाकर अपने हाथ का स्वाद सबको चखाया. इस दौरान उन्हें पता चला कि उनके पिता कैंसर से जूझ रहे हैं जिसकी वजह से उन्होंने भारत वापसी की ठानी और पिता को बचाने के लिए जी-जान एक कर दी. फलस्वरूप आज उनके पिता खुशी से अपना जीवन जी रहे हैं. इसके बाद शेफ बरार ने बोस्टन में एक फ्रेंको-एशियाई रेस्तरां,”Banq” खोला. उनका रेस्तरां काफी बढ़िया चलने लगा जिसके चलते “Wallpaper” मैगजीन ने उनके रेस्टोरेंट को Best New Restaurant in the World चुना.

खुद का रेस्तरां खोलने के बाद भी शेफ बरार को बोस्टन के सबसे पुराने रेस्टोरेंट The One World Hospitality Group ने कॉर्पोरेट शेफ के तौर नियुक्त किया. भारत वापस आने के बाद वह जुहू बीच स्थित  Novotel रेस्तरां का हिस्सा बन गए. उन्होंने वहां पर Senior Executive Chef के तौर पर सेवाएं दी. इसके अलावा रणवीर ने रणवीर का कैफे, ब्रेकफास्ट एक्सप्रेस, स्नैक अटैक, होममेड, थैंक गॉड इट्स फ्राइडे और द ग्रेट इंडियन रसोई जैसे कई टीवी शोज़ भी किए.

पुरस्कार और किताबें

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साल 2018 में शेफ बरार को ‘LFEGA Food Entertainer Of The Year’से नवाज़ा गया. फिर साल 2021 में उन्हें Food Connoisseurs India Convention द्वारा सम्मानित किया गया. इतना ही नहीं उन्हें मैरीम एच रेशी की पुस्तक सेलिब्रेटेड शेफ्स ऑफ इंडिया में भी जगह मिली हुई है. साल 2016 में रणवीर बरार ने अपनी पहली किताब “Come into my Kitchen” लॉन्च की थी और इस किताब में उनकी लखनऊ से बोस्टन तक के सफर के बारे में बताया गया है. इसके बाद उन्होंने “A Traditional Twist” नाम की एक किताब लॉन्च की जिसमें दुनियाभर की विभिन्न डिशेज़ के बारे में बताया गया है.

एक्टिंग में रखा कदम

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इन दिनों रणवीर बरार का खुद का एक यूट्यूब चैनल भी है जिसमें वह अपने रेसिपी को शेयर करते रहते हैं. इससे पहले 2019 में हंगामा डिजिटल मीडिया की मदद से उन्होंने अपना ऐप लॉन्च किया था. इतना ही नहीं शेफ बरार ने पिछले साल वेब सीरीज ‘Modern Love: Mumbai’ के साथ एक्टिंग करियर में भी डेब्यू कर लिया है