Chandrayaan 3 Landing Date : भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन ने एक और महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया है। मिशन के तहत चंद्रयान-3 बुधवार को, पृथ्वी के इकलौते उपग्रह की पांचवी और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। इस तरह यह चांद के और करीब आ गया है।
नई दिल्ली : चंद्रयान-3 मिशन आज अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। चंद्रयान अब चांद के और करीब पहुंच चुका है। चंद्रयान को चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं। यह चंद्रयान के लिए बेहद नाजुक मौका है। ऐसे में देशवासी दुआएं कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक से हो। इसरो की तरफ से आज इन्हें अलग-अलग किया जाएगा। प्रॉपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर की अपनी प्रारंभिक जांच होगी। इसरो का कहना है कि लैंडर में चार मुख्य थ्रस्टर्स हैं। ये लैंडर को चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतरने में सक्षम बनाएंगे। साथ ही अन्य सेंसर का भी परीक्षण करने की आवश्यकता है।
प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल क्या है?
चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन या प्रणोदक मॉड्यूल है। इसका वजन 2,148 किलोग्राम है। इसका मुख्य काम लैंडर को चंद्रमा के करीब लेकर जाने का था। अब चूंकि यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने वाला है तो इसे लैंडर से अब अलग किया जाएगा। वहीं, लैंडर का वजन 1,723.89 किलोग्राम है। इसमें एक रोवर शामिल हैं। रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है। इससे पहले लैंडर को ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है। ताकि इसे एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर पर नियंत्रण खो देने की वजह से उसकी सॉफ्ट लैंडिंग की जगह क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इसके बाद लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
कैसे आगे बढ़ा रहा चंद्रयान ?
इसरो ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है। चंद्रयान-3 का 14 जुलाई को प्रक्षेपण किया गया था। इसके बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद इसने 6 अगस्त, 9 अगस्त और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया। इसके साथ ही वह चंद्रमा के और निकट पहुंचता जा रहा है।
चांद की सतह पर कब उतरेगा चंद्रयान
इसरो के मुताबिक, लैंडर के 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उम्मीद है। लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक जटिल मुद्दा है। सुरक्षित और बिना रिस्क का क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा। एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करेगा। चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट LVM3 के जरिये पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। इसके बाद 1 अगस्त को इसने पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ चला था।
पिछली बार से क्या सबक लिया
चंद्रयान-3 को लेकर इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन का कहना है कि अब लैंडिंग प्रक्रिया को लेकर निश्चित रूप से अधिक चिंता होगी। पिछली बार यह सफल नहीं हो सका। इस बार हर किसी को उस बेहतरीन पल का इंतजार है। मुझे यकीन है कि यह सफल होगा क्योंकि हमने चंद्रयान 2 के दौरान हुई असफलताओं को समझ लिया है। सिवन ने कहा कि हमने इसे ठीक कर लिया है। इसके अलावा, जहां भी मार्जिन कम था, वहां अतिरिक्त मार्जिन जोड़ा गया है। इस बार हमें उम्मीद है कि मिशन सफल होगा। हमें इस पर पूरा भरोसा है।