गिजरात के सूरत के डुमास तट से दस समुद्री मील दूर एक चमत्कार होते देखा गया. यहां एक 14 साल का लड़का बहुत ही चमत्कारी ढंग से अपनी जान बचाने में कामयाब रहा है. बताया जा रहा है कि ये लड़का समुद्र तट पर अपने भाई को बचाने की कोशिश करता हुआ 26 घंटे पहले बह गया था. जहां उसके बचने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी, वहां उसे श्री गणेश की मूर्ति को रखने के लिए इस्तेमाल किए गए लकड़ी के तख्ते ने बचा लिया.
26 घंटे समुद्र में रहने के बाद भी बच गया लड़का
ये लड़का उस लकड़ी के तख्ते से चिपका हुआ पाया गया. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, लखन देवीपूजक नामक ये लड़का 29 सितंबर की दोपहर को अपने 12 वर्षीय छोटे भाई करण और 8 वर्षीय बहन अंजलि और दादी सेवंताबेन देवीपूजक के साथ समुद्र तट पर खेलने गया था. खेलने के दौरान तेज लहरें दोनों लड़कों को बहा कर समंदर में ले गईं. बच्चों के चाचा विजय देवीपूजक के अनुसार, लखन ने अपने छोटे भाई करण को बचाने की पूरी कोशिश की और वह उसे पकड़कर किनारे के पास लाने में कामयाब भी रहा. लेकिन तभी अचानक आई एक तेज लहर लाखन को वापस समंदर में खींच कर ले गई.
गया था समुद्र तट पर घूमने
उन्होंने बताया कि ये दोपहर करीब 1.30 बजे की बात है. बच्चों को मुसीबत में देख उनकी दादी मदद के लिए चिल्लाने लगीं. जिसके बाद कुछ युवक पानी में उतरे लेकिन उन्हें खोज नहीं पाए. दमकल विभाग और डुमास पुलिस को सतर्क कर दिया गया और तलाशी की गई, लेकिन लखन का कोई पता नहीं चला. इस घटना के करीब 26 घंटे बाद, 30 सितंबर को दोपहर 3 बजे के आसपास नवसारी जिले के भट गांव के एक मछुआरे रसिक टंडेल अपने सहायकों के साथ तट से दूर एक नाव पर थे. उसी दौरान उन्हें कुछ नजर आया.
नाविकों के दल ने जिंदा देखा लखन को
जब वह नजदीक पहुंचे तो पाया कि कोई कोई हाथ हिला रहा है. वे लोग उस समय हैरान हो गए जब उन्होंने देखा कि एक लड़का समुद्र के बीच में बिना नाव के, केवल लकड़ी के सहारे कैसे इतनी देर तक खुद को बचा पाया. टंडेल ने उसके लिए रस्सी फेंकी और उसे नाव पर खींच लिए. हर किसी ने लखन के के धैर्य की प्रशंसा की, उसने 26 घंटे तक खुद की जान बचाए रखी. नाव पर उसे पानी और चाय, एक जोड़ी कपड़े और एक कंबल दिया गया.
लखन ने बताया कि वह अपने भाई को बचाते समय पानी में बह गया. उसने अपने पिता और चाचा का नंबर शेयर किया. नाविकों ने वायरलेस सेट के जरिए उन नाविकों से बात की, जो नवसारी में ढोलई बंदरगाह लौट रहे थे. समुद्री पुलिस को सतर्क कर दिया गया और उसके माता-पिता का नंबर दिया गया. नवसारी समुद्री पुलिस ने लड़के के लिए धोलाई बंदरगाह पर एक आईसीयू एम्बुलेंस और डॉक्टरों की एक टीम की व्यवस्था की.
इसके बाद सूरत में रहने वाले लड़के के परिवार के सदस्यों को भी वहां पहुंचने के लिए कहा गया. रविवार सुबह करीब 4 बजे रसिक टंडेल की नाव बंदरगाह पर पहुंची. डॉक्टरों ने लखन की जांच की और इसके बाद उसके माता-पिता उससे मिल सके. बाद में उसे निराली अस्पताल में भर्ती कराया गया. लखन को एक दिन के लिए डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया. लखन के पिता विकास देवीपूजक ने कहा कि ‘हमने उसके जीवित मिलने की उम्मीद खो दी थी. हम अंतिम संस्कार करने के लिए उनके शव की तलाश करते रहे. जब हमने उसे देखा, तो हम हैरान रह गए और बस रो पड़े.’