शानन विधुत परियोजना के मुद्दे को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ प्रदेश के भाजपा नेताओं ने नहीं दिखाई गंभीरता : डॉ राकेश धरवाल

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव डॉ राकेश धरवाल ने आज एक प्रेस वार्ता में कहा की शानन जल विद्युत परियोजना की लीज अवधि 2 मार्च 2024 को समाप्त हो चुकी है। सन 1925 में हुई लीज़ के अंतर्गत यह परियोजना 99 साल के लिए लीज पर पंजाब को दी गई थी। और अब लीज अवधि के समाप्त होने पर यह परियोजना हिमाचल प्रदेश को मिलनी चाहिए। डॉ राकेश ने कहा की वह विगत कई वर्षों से इस परियोजना को हिमाचल सरकार को वापस दिलाने के लिए आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने इस संदर्भ में हिमाचल सरकार और हिमाचल से संबंधित सांसदों के माध्यम से कई बार इस मसले को सुलझाने का आग्रह केंद्रीय सरकार से भी किया है। गत वर्ष सितंबर में भी हिमाचल उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय विद्युत मंत्रालय से दो हफ्तों में इस संदर्भ में विस्तृत जवाब मांगा गया था। डॉ राकेश ने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और हिमाचल से तीन भाजपा के सांसद भी हैं। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हिमाचल से आते हैं। अगर इन सभी ने सितंबर से लेकर फरवरी 2024 की 6 महीने की अवधि तक केंद्रीय विद्युत मंत्रालय में जिसमें कि उनके भाजपा के ही मंत्री हैं से बात करके परियोजना का स्थानांतरण हिमाचल को कर दिया होता तो आज शानन जल विद्युत परियोजना हिमाचल सरकार को वापस मिल चुकी होती और पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका भी नहीं मिलता। तीनों भाजपा सांसद को हिमाचल के लोगों द्वारा ही चुनकर संसद में भेजा गया है और केंद्र में भी इनकी अपनी सरकार है बावजूद इसके इन्होंने इस परियोजना को हिमाचल को वापस दिलाने के लिए इन छह महीना में कोई काम नहीं किया और पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जाने का मौका मिल गया। आज जब सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना को लेकर हिमाचल सरकार से जवाब मांगा है तो यह सब केवल और केवल हिमाचल भाजपा के सांसदों और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष की नाकामियों का ही नतीजा है कि वह केंद्र में सरकार में होते हुए भी इस परियोजना को हिमाचल को वापस दिलाने में नाकाम रहे। अगर समय रहते इन लोगों ने इस परियोजना के मसले को सुलझाने का काम किया होता तो इससे न केवल हिमाचल की आर्थिकी को सहारा मिलता बल्कि पर्यटन को भी पंख लगाते। साथ ही पूरी परियोजना का रखरखाव भी सही तरीके से हो पता जो कि अभी जर्जर हालत में है। एशिया की इकलौती हालेज़ ट्रॉली भी जर्जर हालत में पड़ी हुई है और पंजाब सरकार ने इसके रखरखाव के लिए कोई काम नहीं किया है। जबकि इस परियोजना से हर साल पंजाब सरकार को करोड़ों की आमदनी हो रही है।