प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने मित्रों पर कितने मेहरबान हैं यह तो अब प्रदेश और देश की जनता अच्छी तरह से जान चुकी है लेकिन अब इससे भी एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री अब अपने मित्रों के परिवारों के सदस्यों को भी नियमों में बदलाव करके एडजस्ट करने में लगे हुए हैं यह बात पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कही । इस मौके पर भाजपा सुजानपुर मंडल अध्यक्ष डॉ विक्रम राणा पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष अनिल ठाकुर जिला परिषद सदस्य पवन कुमार भी मौजूद रहे ।
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के मित्र एवं करीबी सलाहकार के पारिवारिक सदस्य को मेडिकल कॉलेज में योग टीचर नियुक्त करने के लिए विशेष नियम तैयार किए गए इस पद पर नियुक्ति करने के लिए विज्ञापन निकाला गया और सिर्फ दिखावे के लिए चंद लोग इस में शामिल हुए हैरानी की बात है कि देश मैं सैकड़ो मेडिकल कॉलेज है लेकिन किसी में भी योगा टीचर की नियुक्ति नहीं हुई है फिर हिमाचल में ऐसी क्या नौबत आ गई की नियुक्ति करनी पड़ रही है । उन्होंने कहा कि प्रदेश के हजारों युवाओं के साथ धोखा किया गया है पात्र लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही है लेकिन मुख्यमंत्री अपने मित्र के परिवार के लोगों को एडजस्ट करने में लगे हैं ऐसी नियुक्तियां करने में नियमों को भी अपने हिसाब से तैयार किया जा रहा है ताकि अपने इन लोगों को इन पदों पर लगाया जा सके पर ऐसा ही मामला हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में योगा टीचर की नियुक्ति को लेकर हुआ है
राजेंद्र राणा ने भोरंज के विधायक पर जमकर निशाने साधते हुए कहा कि विधायक बताएं कि 136 के तहत उनके कितने चेक बाउंस हुए हैं और कितनों को लेकर उन्हें नोटिस मिला है । उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप के नाम पर 27 लाख का लोन कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक से लिया गया था लेकिन अब वन टाइम सेटलमेंट के तहत सिर्फ 15 लख रुपए पे ऑफ करके इस लोन को माफ करवा लिया गया है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने मित्रों के लोन माफ करने में लगे हुए हैं।
राणा ने प्रश्न करते हुए कहा कि सरकार बताए कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान जारी ऑडियो क्लिप में सम्मिलित लोगों पर कब कार्यवाही की जाएगी । उन्होंने कहा कि ऑडियो क्लिप में जिन लोगों के नाम पुकारे गए थे उनपर क्यों सरकार ने एक्शन नही लिया।
राणा ने कहा कि हजारों लोगों को भोटा चैरिटेबल अस्पताल में सालों से इलाज की सुविधा मिलती आई है लेकिन सरकार यहां की व्यवस्थाओं पर दो करोड़ से ज्यादा रुपए की जीएसटी वसूल रही है ऐसे में अस्पताल को चलाना समिति के लिए मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि ट्रस्ट एक दिसंबर से इस अस्पताल को बंद करने की बात कह चुकी है और कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने भी इस पर ट्रस्ट को सहयोग देने की बात की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को तुरंत स्पेशल ऑडियंस लाकर इसकी जमीन को ट्रस्ट की सहयोगी संस्था के नाम करना चाहिए ताकि लोगों को सुविधा मिलती रहे ।