आपदा का दंश : बहनों व मां सहित अस्पताल में रहने को मजबूर “नितेश”

सदर उपमंडल के तहत आने वाले सांबल गांव का 22 वर्षीय नितेश आपदा का दंश कुछ इस कद्र झेल रहा है कि उसे घायल मां के उपचार के चलते अपनी बहनों सहित अस्पताल में शरण लेनी पड़ी है। पत्नी, बहन और बेटी अभी तक लापता है तो मां का तीन बार ऑप्रेशन करके टांग को घुटने से ऊपर तक काटा जा चुका है।

अस्पताल में बहनों और मां सहित नितेश

28 दिनों से घायल मां मेडिकल कॉलेज नेरचौक में उपचाराधीन है तो नितेश और उसकी दो बहनें भी यहीं पर शरण लिए हुए हैं। बीती 14 अगस्त की सुबह सांबल गांव में नितेश के घर पर नाले का भारी मलबा आ गया। इस कारण नितेश का घर मलबे में पूरी तरह से दब गया और साथ में 18 वर्षीय पत्नी मोनिका, 17 वर्षीय बहन रविता और 6 माह की दुधमुंही सानिया भी इस मलबे में दब गई। 45 वर्षीय माता रचना देवी और 11 वर्षीय एक अन्य बहन गोपी मलबे की चपेट में आने से घायल हो गई। नितेश और उसकी एक अन्य 15 वर्षीय बहन जाह्नवी खुद को बचाने में कामयाब हो सके।

नितेश की मां की टांग में गंभीर चोट लगी थी और इन्फेक्शन हो गया था। इस कारण अभी तक उनका तीन बार ऑपरेशन करके टांग को घुटने से ऊपर तक काट दिया गया है। लापता पत्नी, बहन और बेटी के शवों की तलाश के लिए प्रशासन की तरफ से लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया गया है लेकिन अभी तक शवों का कहीं कोई पता नहीं चल सका है।

नितेश ने बताया कि प्रशासन की तरफ से उसे पूरा सहयोग मिल रहा है। लेकिन नितेश अब इस बात को लेकर परेशान है कि जब मां को अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी तो उसे कहां लेकर जाएगा। क्योंकि न तो घर बचा है और न ही जगह बची है। नितेश ने सरकार और प्रशासन से उसे सुरक्षित आसरा देने की गुहार लगाई है ताकि वो अपनी घायल मां को वहां पर रख सके।