हिमाचल में मरीजों को अब कैंसर (cancer) जैसी घातक बीमारी से लड़ने के लिए जल्द नई तकनीकों की सुविधा उपलब्ध होगी। हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) शिमला में जल्द ही लीनियर एक्सेलरेटर एंड CT सिम्युलेटर पंहुचेंगी। इन आधुनिक मशीनों से कैंसर में रेडिएशन के द्वारा इलाज में सहायता मिलेगी साथ ही मरीजों को रेडिएशन से होने वाले साइड इफेक्ट भी बेहद कम हो जाएंगे। इसके अलावा शरीर में कैंसर के इन्फेक्शन को जांचने अथवा उसकी वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए आधुनिक पेट स्कैन की सुविधा भी अगले वर्ष तक आरंभ हो जाएगी।
आईजीएमसी शिमला के रेडिएशन एंड ऑन्कोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ मनीष गुप्ता ने शनिवार को शिमला में आयोजित एक सेमिनार के बाद पत्रकार वार्ता में बताया कि कैंसर का अत्याधुनिक तकनीकों से इलाज करने के लिए जल्द ही हिमाचल में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेगी।
उन्होंने बताया कि आईजीएमसी शिमला के कैंसर अस्पताल में जल्द लीनियर एक्सेलरेटर एंड CT सिम्युलेटर मशीने पंहुचेंगी। इन मशीनों से रेडिएशन थेरेपी के द्वारा कैंसर का इलाज किया जाएगा, जिसमें यह मशीनें बेहद मददगार साबित होगी। इससे कैंसर के इलाज के दौरान शरीर में कैंसर कोशिकाओं में सटीक रेडिएशन दिया जा सकेगा और रेडिएशन की मात्रा को भी नियंत्रित किया जा सकेगा, जिससे शरीर में दूसरे अंगों में रेडिएशन का नुकसान कम होगा साथ ही रेडिएशन से होने वाले साइड इफेक्ट से भी बचा जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार मशीन की सहायता से सटीकता से कैंसर कोशिकाओं में ही उचित रेडिएशन दिया जाएगा, जिससे जल्द यह कोशिकाएं नष्ट करना संभव हो पाएगा और मरीज को भी रिकवरी में मदद मिलेगी। डॉ मनीष गुप्ता के अनुसार शरीर में कैंसर के इंफेक्शन का पता लगाने अथवा कैंसर कोशिकाओं की उचित यथास्थिति जांचने के लिए पेट स्कैन मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और अगले वर्ष तक यहां मरीजों को पेट स्कैन की सुविधा उपलब्ध हो पाएगी।
मनीष गुप्ता ने बताया कि आईजीएमसी में अब नई तकनीक से कैंसर का इलाज संभव हो पाएगा। अभी तक प्रदेश के बाहर के प्राइवेट अस्पतालों में 2 से ढाई लाख रुपए का खर्च कर मरीजों को इन मशीनों से इलाज करवाना पढ़ता था, जबकि यहां स्थापित होने वाली मशीनों से टेस्ट अथवा इलाज अब हिमकेयर और आयुष्मान कार्ड धारकों को मुफ्त में उपलब्ध हो पाएगी। वहीं अब मरीजों को इन सुविधाओं के लिए बाहरी राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल में हर वर्ष 3000 से 6000 के बीच कैंसर मरीज पाए जाते हैं जिनमें से आधे से ज्यादा मरीजों का इलाज आईजीएमसी शिमला में किया जाता है।