Bhadli Navami Kab Hai: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 27 जून दिन मंगलवार को है। इस दिन रवि नामक शुभ योग भी बन रहा है, जिससे इस तिथि का महत्व बढ़ गया है। जानें इस तिथि का महत्व, पूजा विधि और काम की जानकारी…
Bhadli Navami 2023 Date: 27 जून दिन मंगलवार को भड़ली नवमी का पर्व मनाया जाएगा। हर वर्ष यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। भड़ली नवमी तिथि को भटली नवमी, अशर शुक्ल पक्ष नवमी, कंदर्प नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आषाढ़ मास की नवमी तिथि होने की वजह से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि भड़ली नवमी का महत्व अक्षय तृतीया के समान ही होता है और यह एक अबूझ मुहूर्त है अर्थात इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, सगाई, जनेऊ आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं, उससे पहले भगवान विष्णु भक्तों को यह शुभ तिथि देते हैं, ताकि वह अपने बचे हुए शुभ कार्य को कर सकें। आइए जानते हैं भड़ली नवमी तिथि के महत्व और कथा के बारे में…
भड़ली नवमी तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है और यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि जिन लोगों का विवाह का मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस तिथि में किया जाता सकता है। इस तिथि को किया गया विवाह हर तरह से संपन्न होता है और जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं होती। देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं, उससे पहले केवल भड़ली नवमी तिथि को ही शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। देवशयनी एकादशी चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है, उसके बाद चार महीनों के लिए सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं। नवमी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना और हवन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है। इस दिन खरीदारी और नए कार्य की शुरुआत करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
भड़ली नवमी मुहूर्त व योग (Bhadli Navami 2023 Muhurat)
भड़ली नवमी तिथि 27 जून 2023 दिन मंगलवार
नवमी तिथि का प्रारंभ – 27 जून, सुबह 2 बजकर 4 मिनट से
नवमी तिथि का समापन – 28 जून, सुबह 3 बजकर 5 मिनट तक
27 जून को ही गुप्त नवरात्रि का समापन होगा। इस दिन नवरात्रि का व्रत करने वाले कन्या भोज व पूजन कर सकेंगे। साथ ही बिना विचार किए मांगलिक कार्यक्रम किए जा सकते हैं।
भड़ली नवमी शुभ योग (Bhadli Navami 2023 Shubh Yog)
भड़ली नवमी तिथि पर रवि नामक शुभ योग बन रहा है, जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। इसके साथ अमृत काल रहेगा और हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा।
भड़ली नवमी के दो दिन बाद चातुर्मास प्रारंभ (Chaturmas 2023)
भड़ली नवमी के दो दिन बाद से ही चातुर्मास का प्रारंभ हो जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस बार मलमास या पुरुषोत्तम मास की वजह से चातुर्मास मास पांच महीनों का होने जा रहा है। चातुर्मास के समय भगवान विष्णु जब शयन के लिए चले जाते हैं, तब सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। चातुर्मास के समय कोई भी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं, उससे पहले केवल भड़ली नवमी को ही शुभ कार्य कर सकते हैं। भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
भड़ली नवमी पूजा विधि (Bhadli Navami Puja Vidhi)
भड़ली नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत होकर पास के विष्णु मंदिर में पूजा करनी चाहिए। इसके बाद घर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर लें और चारों तरफ गंगाजल से छिड़काव करें। फिर भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और अक्षय अर्पित करें। इसके बाद सफेद व पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल, पान, सुपारी आदि पूजा की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें व भगवान के जयकारे लगाते हुए प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा करें और सायंकाल के समय भी पूजा अर्चना करें।