बघाट बैंक घोटाला: अब चुप्पी नहीं, 18 तारीख को होगी निर्णायक लड़ाई

Baghat Bank Solan Mega Protest: Decisive battle on the 18th, demand for dissolving the board and appointing an administrator intensifies.

बघाट शेयरहोल्डर्स समिति के चीफ एडवाइज़र महेंद्र नाथ सोफत  की चेतावनी 

सोलन, हिमाचल प्रदेश – बघाट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के तथाकथित ‘संकट’ को अब हम साफ-साफ शब्दों में कहते हैं – यह कोई कुप्रबंधन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित बैंक घोटाला है। करोड़ों रुपये की यह लूट प्रशासनिक संरक्षण में हो रही है और अब हमारा धैर्य समाप्त हो चुका है।

यह दीवानी नहीं, आपराधिक मामला है

जो लोग इसे महज़ प्रबंधकीय लापरवाही बता रहे हैं, वे या तो सच्चाई से अनजान हैं या जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं। हमारी जांच में सामने आया है कि:

  • सहायक रजिस्ट्रार द्वारा जांची गई फाइलें जानबूझकर दोषपूर्ण बनाई गई हैं
  • रिकवरी के नाम पर भाई-भतीजावाद का नंगा नाच हो रहा है
  • महत्वपूर्ण फाइलें दबाई जा रही हैं और डिप्टी कमिश्नर तक नहीं पहुंचने दी जा रहीं
  • मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर संकेत मिल रहे हैं

यह साफ है कि यह एक संगठित अपराध है, न कि सिर्फ प्रशासनिक विफलता।

सरकार की आपराधिक उदासीनता

उप-मुख्यमंत्री का विधानसभा में दिया गया जवाब एक क्रूर मज़ाक से ज्यादा कुछ नहीं था। जब लगभग 5 अरब रुपये खतरे में हैं, जब 120 कर्मचारियों और 75 कमीशन एजेंटों का भविष्य अंधकार में है, तब सरकार का यह रवैया असंवेदनशील और अमानवीय है।

हमारे स्थानीय प्रतिनिधि कहां हैं? वे किसके पक्ष में खड़े हैं – जनता के या घोटालेबाजों के?

हमारी साफ मांगें

हम विनम्र प्रार्थना करने नहीं आए हैं। हम अपने संवैधानिक अधिकार मांगने आ रहे हैं:

  1. 18 तारीख को विशेष एजीएम की तिथि घोषित की जाए – बैंक की वास्तविक स्थिति असली मालिकों यानी शेयरधारकों के सामने आनी चाहिए, न कि दबी रहनी चाहिए।
  2. एसआईटी का तत्काल गठन – यह मामला सामान्य जांच के दायरे से बाहर है। विशेष जांच दल ही सच्चाई उजागर कर सकता है।
  3. ईडी जांच – मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट संकेतों को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय की जांच अनिवार्य है।
  4. सख्त पूर्णकालिक प्रशासक की तत्काल नियुक्ति – अभी जो ढुलमुल व्यवस्था चल रही है, वह घोटालेबाजों को बचाने के लिए बनाई गई लगती है।

18 तारीख: अंतिम चेतावनी

हम 18 तारीख को बघाट बैंक के सामने दो घंटे का सांकेतिक धरना दे रहे हैं। यह हमारा अंतिम शांतिपूर्ण प्रयास है।

यदि इस दिन भी एजीएम की तिथि घोषित नहीं की गई, तो यह आंदोलन उग्र रूप लेगा। हम बैंक बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अब यह लड़ाई आर-पार की होगी

यह सिर्फ शेयरधारकों की लड़ाई नहीं

यह उन सभी की लड़ाई है:

  • जिनकी शादियों के पैसे फंसे हैं
  • जिनके बच्चों की शिक्षा पर संकट है
  • जिन्हें बीमारी में अपना ही पैसा नहीं मिल रहा
  • जिनकी रोज़ी-रोटी इस बैंक से जुड़ी है

हम सभी प्रभावित लोगों से अपील करते हैं – 18 तारीख को एकजुट हों। अपनी ताकत दिखाएं। यह वक्त चुप बैठने का नहीं, बल्कि अपने हक के लिए खड़े होने का है।

अंतिम संदेश

हम कानून के दायरे में रहकर लड़ेंगे, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे। जो लोग सोचते हैं कि हम थक कर बैठ जाएंगे, वे गलती कर रहे हैं।

यह लड़ाई अब सिद्धांत की लड़ाई बन चुकी है – ईमानदार जनता और भ्रष्ट व्यवस्था के बीच। और इस लड़ाई में हम जीतकर रहेंगे।

 

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