Ayodhya Ram Mandir रामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के अनुभव को साझा करते हुए इमामगंज धोबी घाट निवासी कारसेवक योगेन्द्र राम कहते हैं कि भगवान राम ने अपना काम हमलोगों से करा लिया। दो बार कारसेवा व शिलापूजन में शामिल होने का अवसर मिला है।

अब प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो संतोष है कि यह होते हमलोग देख पा रहे हैं। मां से आशीर्वाद लेकर निकले, संकल्प हुआ पूरा योगेन्द्र ने बताया कि पहली बार कारसेवा के लिए जब घर से निकले तो माता सहजनी देवी का आशीर्वाद मिला। चूड़ा-गुड़ व सत्तू दीं। भटनी पहुंचने पर पुलिस चुन-चुनकर कारसेवक को बोगी से उतार रही थी।

उन्हें भी उतरना पड़ा, किंतु जोश कम नहीं हुआ। वहां से पैदल ही अयोध्या पहुंच गए। इस दौरान जिस गांव से गुजरते वहां पर अष्टयाम हो रहा था। कहते हैं- अयोध्या पहुंच कर सरयू नदी में स्नान किया। उसके बाद सुबह करीब 11 बजे सभी कारसेवा के लिए निकले।

उन्होंने कहा कि मेरे आगे कांटी के कारसेवक संजय कुमार जयश्री राम का नारा लगाते हुए चल रहे थे। इसी बीच पुलिस ने गोली चला दी। जिससे संजय की मौत हो गई। उन्होंने दीवार से चिपक कर अपनी जान बचाई। कुछ देर बाद भगदड़ मच गई। वहां जब शांत हुआ तो वापस आए। उस समय ढांचा बच गया था।

मलवा बन गया विवादित ढांचा

दूसरी बार कारसेवा की घोषणा हुई। भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश्वर सिंह भिखारी के नेतृत्व में अलग-अलग जत्था निकला था। अयोध्या में तय हुआ कि सुबह सरयू नदी में स्नान करने के बाद एक-दो मुठठी बालू लेकर आना है। आठ बजे तक वहां पर सभी पहुंचे। पंक्ति में अलग-अलग राज्य के प्रतिनिधि शामिल थे।

बगल में मंच से विहिप व भाजपा नेताओं का भाषण चल रहा था। बालू एक जगह पर रख दिया गया। करीब 11 बजे अचानक बिजली कटी। कारसेवकों का झुंड विवादित ढांचा पर टूट पड़ा। देखते ही देखते विवादित ढांचा के अंदर कारसेवक प्रवेश कर गए। कुछ ही देर में पूरा ढांचा मलवा बन गया।

सभी खुशी से नाचने लगे। पटना होकर वापसी हुई। प्रदेश भाजपा कार्यालय में अध्यक्ष ताराकांत झा को बताया कि कारसेवक गिरफ्तार हो रहे हैं। वहां से हौसला बढ़ाने के बाद विदा किया। अब मंदिर बन गया। संकल्प पूरा हुआ। 22 जनवरी को दीपावली मनेगी।