एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला “सोनपुर मेला” शुरू हो चूका है जो चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल से चला आ रहा है और साथ ही इसका आध्यात्मिक महत्व भी है…. जाने आखिर क्यों मनाया जाता है यह मेला और क्या है इसके पीछे का आध्यात्मिक महत्व

Asia's largest cattle fair "Sonpur Fair", which has attracted international attention, has started, whose history dates back to the reign of Chandragupta Maurya... and it also has a spiritual significance... Know what is its history...

यह विश्वप्रसिद्ध मेला 13 नवंबर से शुरू हो चूका है और यह पूरा 1 महीना 14 दिसंबंर 2024 तक  चलेगा। यह मेला नवंबर महीने में कार्तिक पूर्णिमा को  गंगा और गंडक नदी के संगम पर बिहार के सोनपुर में आयोजित किया जाता है। गंडक नदी नेपाल और बिहार में बहती है जिसका ज़िक्र महाकाव्यों में सदानीरा के रूप में किया गया है। यह नदी तिब्बत एवं नेपाल से निकलकर उत्तर प्रदेश के महराजगंज और कुशीनगर से होते हुए बिहार के सोनपुर से होते हुए गंगा नदी में मिल जाती है। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त यह मेला पशुओं के व्यापार के लिए जाना जाता है जो अपने समृद्ध इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक वैभव के जरिये देश और विदेश के लाखों व्यापारियों और आगंतुकों को खूब आकर्षित करता है।  वैसे तो हर साल इस मेले में हाथी, घोड़े, कुत्ते, गधे, टट्टू, खरगोश और बकरियां बेची जाती हैं, पर इस साल हाथी और पक्षी के व्यापार पर रोक लगा दिया गया है। आज यह पारंपरिक एवं आधुनिक गतिविधियों का संगम बन गया है, जिसमें अलग अलग घाटों पर स्नान और मंदिरों के दर्शन से लेकर स्टॉल तक शामिल हैं। इस मेलें में स्थानीय कलाकारों एवं पशु व्यापारियों के प्रदर्शन के साथ-साथ अनेकों सरकारी विभागों के स्टॉल भी लगाए जाते हैं।

इस मेले की शुरुआत माना जाता है कि प्राचीन काल में तब हुई जब सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य गंगा पार से हाथी और घोड़े ख़रीदा करते थे।  ऐसा माना जाता है कि इस मेले में मध्य एशिया से भी पशुओं की खरीदारी के लिए व्यापारी यहाँ आया करते थे और 1857 के वीर कुंवर सिंह ने भी सोनपुर मेले से हाथियों की खरीद की थी। यह सोनपुर मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। साथ ही सिख गुरु नानक देव भी यहाँ आये थे ऐसा कई जगह जिक्र मिलता है और ये भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध भी यहां कुशीनगर यात्रा के दौरान आये थे। मान्यता ये भी है कि अकबर के सेनापति मान सिंह ने इसी सोनपुर मेला से शाही सेना के लिए हाथी और अस्त्र-शस्त्र की खरीदारी की थी।

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इसका अपना एक अलग आध्यात्मिक महत्व भी है। इस सोनपुर मेले को हरिहरक्षेत्र मेला भी कहा जाता है। यहाँ एक हरिहर नाथ मंदिर है और यह सोनपुर कि धरती पर संसार का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां विष्णु और शिव की एकीकृत मूर्ति है जिसके आधे भाग में शिव (हर) और आधे में विष्णु (हरि) की आकृति है और ये एक ही गर्भगृह में विराजे दोनों देव एक साथ हरिहर कहलाते हैं। जहाँ पर तीर्थयात्री इस पवित्र स्थल पर आकर गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनते हैं और आशीर्वाद लेते हैं । क्यों कि महाभारत काल में घटी एक ऐसी पौराणिक घटना जिसके अनुसार गज(हाथी) और ग्राह (मगरमछ ) का युद्ध इसी नदी में हुआ था जहां भगवान विष्णु ने एक हाथी को बचाया था । इस जगह पर जब गज पानी पीने आया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध प्रारंभ हो गया। कई दिनों तक युद्ध जारी रहा । तब गज भगवान विष्णु से प्रार्थना की और उसके बाद भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपना सुदर्शन चक्र चलाकर इस युद्ध को समाप्त कर दिया । इस कारण यहां पशु की खरीदारी को शुभ माना जाता है। यह राजधानी पटना से 25 किमी तथा हाजीपुर से 3 किमी दूर है ।

Asia's largest cattle fair "Sonpur Fair", which has attracted international attention, has started, whose history dates back to the reign of Chandragupta Maurya... and it also has a spiritual significance... Know what is its history...सोनपुर मेला वाणिज्य का एक संपन्न केंद्र बना हुआ है। सोनपुर मेला बिहार की विविध सांस्कृतिक विरासत का त्योहार है। लोक कलाकार गीतों, नृत्यों और पारंपरिक कहानियों केमाध्यम मंच को जीवंत बनाते हैं। हस्तशिल्प स्टालों में मधुबनी पेंटिंग, लाह के बर्तन और टेराकोटा की मूर्तियां प्रदर्शित की जाती हैं जो बिहार के ग्रामीण समुदायों की कलात्मक कौशल को दिखाती हैं। पशु व्यापार से लेकर आधुनिक प्रदर्शनियों की वजह से पहले जो इसकी आर्थिक प्रासंगिकता हुआ करती थी वो अभी भी बरकरार है। मधुबनी पेंटिंग, मिट्टी के बर्तन और बिहारी व्यंजनों पर इंटरैक्टिव कार्यशालाएँ भी चलायी जा रही है जो स्थानीय कलात्मकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ आगंतुकों को आकर्षित करते हैं।

 

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यहाँ का पारंपरिक व्यंजन जैसे लिट्टी चोखा और मालपुआ के खाद्य स्टॉल और आगंतुकों को लुभाते हैं। यहाँ और भी कई तरह के रोज मर्रा की अनोखी चीजों का स्टॉल लगाया जाता है। बहुत से गायक-गायिका और लोकगायिका पर्यटकों को लुभाने वाले रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देते हैं। पुरे मेले के दौरान हर दिन पर्यटन विभाग, कला-संस्कृति एवं युवा विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।

 

 

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यहाँ कई तरह के झूलें भी लगाए जातें रहें हैं जिसे झूलना बड़ों के साथ साथ बच्चो को भी खूब पसंद होता है ।मनोरंजन के लिए कई सारे करतब या यों कहलें कि कलाकारी भी दिखाए जाते हैं जैसे कुए में बाइक और कार राइडिंग के साथ साथ रस्सी पर चलकर भी कलाकारी प्रदर्शित किये जाते हैं जिसे देखने के लिए लोग खूब दूर दूर से आते हैं।

 

 

सोनपुर मेला को आकर्षक बनाने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा कई सारी तैयारियां की गयीं हैं । इस बार इस मेले का थीम है “बिहार को निहार” और इस पहल के तहत बहुत से आधुनिक प्रयास किये गए हैं जिसमें बुनियादी ढांचे, व्यापारी सुविधाओं और पर्यावरण-पर्यटन को पहले से बेहतर बनाया गया है। इसमें आधुनिक स्वच्छता सुविधाएँ, अच्छी पक्की सड़कें और हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी और एक समर्पित ऐप शेड्यूल, वर्चुअल टूर और लाइव स्ट्रीमिंग विकल्प आदि होने की वजह से यह वैश्विक आगंतुकों और दर्शकों की जरूरतों को भी पूरा करते हैं। जो मेले को और अधिक सुलभ बनाती है। सांस्कृतिक पंडाल और आर्ट एंड क्राफ्ट विलेज भी बनाया गया है। आगंतुकों कि सुविधा के लिए यहाँ अस्थायी पर्यटक सूचना केंद्र का भी निर्माण किया गया है, जहां पर्यटक गाइडों को भी रखा गया है। मेले से पर्यावरण को कोई नुक्सान न हो इसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन का पूरा ख्याल रखा गया है।

पटना से सोनपुर जाने के लिए स्पेशल टूर पैकेज भी उपलब्ध कराया गया है। अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त कई स्वीस कॉटेज का निर्माण किया गया है। स्वीस कॉटेज कॉटेज में ठहरने लिए कीमत न्यूनतम रखी गयी है। पूरे एक माह तक कॉटेज में ठहरने लिए देसी पर्यटकों के लिए 3000/- रुपये प्रति दिन और विदेशी पर्यटकों के लिए 5000/- रुपये प्रति दिन रखा गया है। सभी कॉटेज डबल बेड का है और जिसमें बाथरूम अटैच होगा।

इसके अलावा एक दिन का स्पेशल टूर पैकेज भी आम पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है जो दोपहर 12 बजे से संध्या 7 बजे तक का होगा। इसके लिए प्रति पर्यटक को लगभग 1000-1500 रुपये का पेमेंट करना होगा ।  इस पैकेज में पर्यटकों को एसी वाहन, टूरिस्ट गाइड,स्नैक्स और पानी भी मुहैया करवाया जायेगा । इस पैकेज में लोग को मेला व हरिहर नाथ मंदिर दर्शन प्रशिक्षित गाइड के साथ करवाया जायेगा।

इसके अलावा आप यदि इससे सम्बंधित कोई और जानकारी चाहते हैं तो आप इस वेबसाइट www.bstdc.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।

 

Asia's largest cattle fair "Sonpur Fair", which has attracted international attention, has started, whose history dates back to the reign of Chandragupta Maurya... and it also has a spiritual significance... Know what is its history...
BY: MADHU KUMARI Delhi School Of Journalism (University of Delhi)

 

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