हमने सिनेमा को लेकर हमेशा से एक चलन देखा है. लोग फिल्मी किरदार के अनुसार ही उसे निभाने वाले अभिनेता की वास्तविक छवि अपने दिमाग में बना लेते हैं. जैसे कि फिल्मों में विलेन का किरदार निभाने वाले अभिनेताओं को लेकर अधिकत लोग सोचते हैं कि वास्तविक जीवन में भी ये ऐसा ही व्यक्तित्व रखते होंगे. लेकिन इसी सिनेमा जगत में कुछ अभिनेता ऐसे भी रहे हैं, जिन्हें बड़े पर्दे पर देख लोगों ने नफरत की, तो वहीं वास्तविक जीवन में उनके व्यक्तित्व के कायल रहे.
पर्दे पर नफरत वास्तव में प्यार
ऐसी ही चंद अभिनेताओं में से एक हैं दुश्मन, संघर्ष और गुलाम जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता आशुतोष राणा. ऐसी तमाम फिल्मों में आशुतोष राणा ने एक खूंखार विलेन का किरदार निभाया और लोग इनके किरदार को देख खूब डरे भी. वहीं सिनेमा और अभिनय की परख रखने वालों ने इनके विलन के किरदार में निभाए अभिनय को खूब सराहा.
स्टेज पर बनते थे रावण
भले ही आज आशुतोष राणा सिनेमा के साथ साथ साहित्य जगत का एक जाना माना चेहरा बन गए हैं लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए इन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. आशुतोष राणा ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत स्टेज शो से की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह रावण की भूमिका निभाया करते थे. अभिनय में रुचि होने के कारण आशुतोष राणा ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया.
उन्होंने थियेटर भी किया और इसके बाद वह अपने गुरु दद्दा जी के कहने पर मुंबई जा कर और फिल्म निर्माता महेश भट्ट से मिले. बता दें कि आशुतोष राणा ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ से की थी.
जब महेश भट्ट हो गए थे गुस्सा
अपने मुंबई जाने और महेश भट्ट से मिलने के अनुभव के बारे में बात करते हुए उन्होंने एक बार मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके संस्कारों के कारण उन्हें महेश भट्ट का गुस्सा झेलना पड़ा था. दरअसल, उन्होंने महेश भट्ट के पैर छू लिए. वैसे अधिकतर लोग ऐसे संस्कार देख खुश होते हैं लेकिन महेश भट्ट भड़क गए. कहा जाता है कि महेश भट्ट को पैर छूने वालों से सख्त नफरत थी. बकौल आशुतोष राणा, महेश भट्ट इतने गुस्से में आ गए थे कि उन्होंने सेट पर मौजूद लोगों से गुस्से में पूछ लिया कि इसे घुसने कैसे दिया? इसके बाद राणा को सेट से बाहर कर दिया गया.
नहीं मानी हार
हालांकि इतना होने के बावजूद आशुतोष राणा ने हिम्मत नहीं हारी. अब महेश भट्ट कहीं भी दिखते तो राणा उनके पैर छू लेते. ऐसे में एक दिन महेश भट्ट ने पूछ ही लिया कि आखिर वह पैर क्यों छूते हैं, जबकि उन्हें इससे नफरत है. इस पर आशुतोष राणा का जवाब था कि बड़ों के पैर छूना मेरे संस्कार में है. मैं इसे छोड़ नहीं सकता. इतना सुनते ही महेश भट्ट ने उन्हें गले लगा लिया और इसके बाद उन्हें टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ में उन्हें अपने करियर का पहला रोल मिला. इसके बाद राणा ने महेश के साथ ‘दुश्मन’, ‘जख्म’ जैसी फिल्म में काम किया. इसके साथ ही ‘संघर्ष’ फिल्म को खुद ही लिखा भी.
बात करें बॉलीवुड सिनेमा की तो उन्हें सिनेमा में पहला ब्रेक 1996 में आई फिल्म संशोधन से मिला. हालांकि इस फिल्म में उन्होंने बहुत ही छोटा किरदार निभाया था. इसके बाद 1998 में उन्होंने दुश्मन फिल्म में ऐसे साइको विलेन का किरदार निभाया जिसकी छाप आज भी सिनेमा प्रेमियों के मन पर है.
11 पास करने पर माना जश्न
10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक छोटे से गांव गदरवारा में जन्मे आशुतोष राणा ने अपनी पढ़ाई मध्य प्रदेश से पूरी की है. आशुतोष राणा के भाई ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि राणा के 11वीं पास करने पर उनके घर से लेकर उनके गावं तक में काफी बड़े स्तर पर जश्न मनाया गया था. उन्होंने बताया था कि 11वीं पास करने के बाद आशुतोष राणा की एक फोटो और रिजल्ट को लॉरी में सजाकर लाया गया था.
परिवार चाहता था बनें वकील
आज भले ही आशुतोष राणा को हम एक ददिग्गज अभिनेता के रूप में जानते हों लेकिन अगर वह अपने घर वालों के कहे में चलते तो शायद आज वो इतना बड़ा नाम न होते. दरअसल, आशुतोष के घरवाले चाहते थे कि वह LLB की पढ़ाई कर एक बड़े वकील बनें, लेकिन आशुतोष का झुकाव हमेशा से अभिनय की तरफ रहा और उन्होंने अभिनय को ही अपना करियर चुना.