कहीं आपके बच्चे भी तो नहीं हो रहे जंक फ़ूड के शौक़ीन……तो हो जाएँ सावधान ! इससे आपके बच्चे का लिवर हो सकता ख़राब…..
ऐसे बहुत से शोध हुए हैं जिसमें यह पाया गया है की सरकारी स्कूलों के बच्चों की तुलना में निजी स्कूलों के बच्चों में फैटी लिवर की समस्या ज्यादा मिल रही हैं। चुकी निजी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे संभ्रांत घरों से आते हैं यानि अमीर घर से होते हैं। और ये बच्चे घर के हेल्दी खाने की जगह बाहर के प्रोसेस्ड फूड्स, ड्रिंक्स और जंक फूड्स जैसे की बर्गर पिज़्ज़ा नूडल्स मोमोज चिप्स कुरकुरे और तली हुयी चीजें ज्यादा खाते हैं। जिसकी वजह से उनके लिवर में ज्यादा मात्रा में फैट यानि वसा जमा होने लगता है। और यहीं से शुरू हो जाता लिवर की समस्या जो शुरुआत में हल्के स्तर पर होता है। पर इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो आगे जाकर यह धीरे धीरे नॉन एल्कोहोलिक स्टिटोहेपॅटाइटिस बीमारी में बदल जाता है और यही बाद में लिवर कैंसर में भी बदल सकता है। समय रहते अर्ली स्टेज में इसे ठीक नहीं किया गया तो बाद में इसे ठीक नहीं किया जा सकता और जान भी जा सकती है । अर्ली फैटी लिवर रिवर्सेबल होता है यदि लाइफस्टाइल चेंज किया जाये तो।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के अनुसार, लगभग 38% भारतीय फैटी लिवर या नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से पीड़ित है। और लगभग 35% भारतीय बच्चों में यह समस्या पायी गयी है । चुकि बड़ो के साथ साथ देश के 1/3 बच्चे भी इस समस्या से पीड़ित हो चुकें हैं जो हमारे देश के लिए बेहद ही गंभीर मामला है जिसके रोकथाम और लक्षणों को पहचानने के लिए तत्काल ध्यान और जागरूकता की आवश्यकता है। आज कल के भागदौड़ कि ज़िंदगी में समय इतना कम होता है जिससे हम अपने काम में इतने बिजी होते हैं कि हम खुद पर और अपने बच्चों पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते। इस वजह से हमारे बच्चे क्या कर रहे है , क्या खा रहे हैं क्या पी रहे हैं इसका ध्यान नहीं रख पाते हम। आजकल बच्चे फ़ास्ट फ़ूड खाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। जिसके चलते उनके लिवर को नुकसान पहुंच रहा है। एक बार जब लीवर ख़राब हो जाता है तब केवल उनकी सेहत पर ही बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि उनका अकादमिक प्रदर्सन भी खराब हो जाता है। शारीरिक गतिविधि से मॉर्फिन हॉर्मोन निकलते हैं जिसके वजह से सारा दिन खुश रहेंगें । लिवर की समस्या में सारा दिन थकन महसूस होने कि वजह से शारीरिक गतिविधि नहीं कर पाते बच्चे जिसके कारन समस्या और भी जटिल हो जाती है। और कई बार उनमें डेप्रेशन जैसे लक्षण भी दिखने लगता है और वे समाज तथा फॅमिली से कटे कटे रहने लगते हैं। उन्हें नींद की समस्या भी होने लगती है क्यों की वे लगातार कई घंटो कंप्यूटर और मोबाइल चलाते रहते है और इसकी ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को कम कर देता जिससे नींद कम आती है। इसीलिए बच्चों पर ध्यान देने की जरुरत है ताकि बच्चे एक हेल्थी खान पान के साथ साथ एक हेल्थी रूटीन अपना सकें।
आइये जानते हैं फैटी लिवर क्या होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, इसके उपचार और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
फैटी लिवर क्या होता है
जब लिवर में फैट यानि चर्बी अतिरिक्त मात्रा में जमा हो जाती है तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है। इसके मुख्य कारण वैसे तो शराब का अधिक सेवन करना है। पर पिछले कई सालों के रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसी बातें सामने आ रहीं हैं कि वैसे लोग भी फैटी लिवर से ग्रसित हैं जो कभी शराब पीते ही नहीं हैं। लिवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है, जो पाचन में, एनर्जी स्टोरेज में और विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता करता है। यह वसा,कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को ऊर्जा और अन्य प्रोटीन में परिवर्तित करता है पर लिवर ख़राब हो जाये तो लिवर ठीक से फंक्शन नहीं कर पाता ।
फैटी लीवर दो प्रकार के होते हैं:
1)एल्कोहॉलिक फैटी लिवर (Alcoholic fatty liver)
ज्यादा शराब के सेवन से लीवर में वसा (Fat)जमा होने लगती है जिसे एल्कोहॉलिक फैटी लीवर (Alcoholic fatty liver) कहा जाता है।
2)नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर (Non-alcoholic fatty liver)
जब खान-पान की आदतें ख़राब होती हैं, जैसे कि जब आप बहुत अधिक तैलीय भोजन,फास्ट फूड और अत्यधिक कार्बोनेटेड फ़ूड खाते हैं तो इसके कारण नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर हो जाता है।
इसके लक्षण :
साधारणतः नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से पीड़ित कई बच्चों में कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन कुछ को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द या पेट में असहजता, भूख न लगना, पेट में सूजन, थकान और कमजोरी महसूस करना इसके लक्षण होते हैं।
फैटी लिवर होने के क्या कारण होते हैं
खराब आहार, कम शारीरिक गतिविधि बच्चों के लिवर में ज्यादा वसा जमा होने का कारण बनते हैं । जब हेल्दी खाना खाने के बजाय आप जंक फूड जैसे कि प्रोसेस्ड फूड, रिफाइंड आटा और मीठे पेय को कंज्यूम करते हैं तो इससे लिवर में ज्यादा फैट जमा होने लगता है , साथ ही जो लोग कम व्यायाम या कम शारीरिक गतिविधि (एक्टिविटी) करते हैं, उन्हें भी ये समस्या हो सकती हैं। और आजकल बच्चे कंप्यूटर या मोबाइल के स्क्रीन पर अधिक समय बिताना पसंद करते हैं, तो ये भी फैटी लिवर होने का एक वजह है। फैटी लिवर रोग आगे चलकर फाइब्रोसिस और सिरोसिस में बदल सकता है।
रिस्क फैक्टर्स
यह उन बच्चों और वयस्कों में देखा गया है जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई)अधिक है, प्रीडायबिटीज हैं, या टाइप-2 डायबिटीज है। इसके अलावा जिनका रक्त लिपिड स्तर असामान्य है और जिन्हें उच्च रक्तचाप,उच्च ट्राइग्लिसराइड्स है और जिनको मोटापा है। जिनके पेरेंट्स को ये समस्याएं पहले से हों उनके बच्चो में ये समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों के डाइट किस तरह से फैटी लिवर से बचा सकता है या इसका उपचार कर सकता है
अगर लाइफस्टाइल को बदला जाये तो अर्ली फैटी लिवर को रिवर्स किया जा सकता है। यह बच्चे के लिवर में फैट बनने को रिवर्स या कण्ट्रोल कर सकता है। बहुत से वर्तमान में ऐसी दवाएं हैं जो बच्चों के फैटी लिवर को ट्रीट कर सकता है। हेल्थी और बैलेंस डाइट, हेल्थी वेट को मेन्टेन करके, नियमित एक्सरसाइज और हेल्थी रूटीन को फॉलो करके बच्चे फैटी लिवर से बच सकते हैं। ज्यादा सूगरी फ़ूड,जंक फ़ूड या कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें ज्यादा न खाएं। शराब के सेवन से बचें । ऐसा देखा गया है कि विटामिन E लिवर के इंजूरी या इन्फ्लेशन को कम कर सकता है । यदि किसी बच्चे को फैटी लिवर है तो पेरेंट्स को डॉक्टर से बात करनी चाहिए। पर बच्चे को उनके ग्रोथ के लिए प्रॉपर पोषण मिले इसका ध्यान रखें। डॉक्टर के देख रेख में उचित और निर्धारित दवाओं का उपयोग करके इसका उपचार किया जा सकता है ।
फैटी लिवर के लिए बेस्ट फ़ूड और ड्रिंक्स
साबुत अनाज, फल और सब्जियां खाएं। साथ ही सफेद ब्रेड, चावल और आलू को खाने से बचें। हेल्थी फैट्स खाएं जैसे की अलसी, अखरोट अवाकाडो और ओलिव आयल इत्यादि। इसके अलावा फैटी लिवर के लिए कॉफ़ी बहुत ही अच्छा होता है। ऐसा देखा गया है कि जो लोग कॉफी का रेगुलर सेवन करते हैं उनमें फैटी लिवर होने की सम्भावनायें बहुत ही काम होती हैं ।
यह लेख एक सामान्य जानकारी के लिए है। इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
