किरतपुर-नेरचौक फोरलेन शुरू होने के बाद कृषि उपज विपणन मंडी-बिलासपुर की चेक पोस्ट औहर अधिकारियों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस चेक पोस्ट पर आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया की कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। समिति की जामली में स्थित चेक पोस्ट पर जहां सेब के सीजन में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा होता था। वहीं औहर में पोस्ट शिफ्ट होने के बाद यह दाे लाख रुपये तक सिमट कर रह गया है।
चेक पोस्ट चलाने के लिए सरकार द्वारा छह कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं, जिसमें दो अधिकारी, एक बेलदार, एक चपड़ासी और दो मल्टीटास्क वर्कर नियुक्त किए हैं। अगर इनका वेतन जोड़ा जाए तो भी यह प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक होगा, जबकि चेक पोस्ट ने पिछले तीन महीनों में केवल दो लाख तीन हजार 434 रुपये का ही राजस्व इकट्ठा किया है।
अगर धरातल पर नजर दौड़ाई जाए तो कुल्लु व सुंदरनगर के पुंग नामक स्थान पर चेक पोस्ट नहीं होते तो सीजन की कमाई करोड़ों रुपये में हो सकती थी। इसके साथ ही समिति को चेक पोस्ट के लिए गए भवन का किराया भी देना पड़ रहा है जो प्रतिमाह करीब तीन हजार रुपये है।
पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2021-22 में कोरोना काल होने के बावजूद 99 लाख 43 हजार 460 रुपये की आमदनी हुई थी। वर्ष 2022-23 में यह आमदनी एक करोड़ 73 लाख आठ हजार 781 रुपये थी। वर्ष 2023-24 में यह आमदनी केवल दो लाख तीन हजार 434 रुपये तक सिमट कर रह गई है। इसके अलावा सुंदरनगर में इस वर्ष 52 लाख 72 हजार 119 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। कृषि उपज समिति के एमडी हिमेश नेगी ने जानकारी दी।