नौकरी न मिलने से नाराज, गोल्ड मेडलिस्ट बेटी ने मेडल लौटाने का किया फैसला, विधानसभा सत्र के दौरान पहुंची तपोवन

नौकरी न मिलने से नाराज, गोल्ड मेडलिस्ट बेटी ने मेडल लौटाने का किया फैसला, विधानसभा सत्र के दौरान पहुंची तपोवन

MCom दिव्यांग बेटी रेणु की पीड़ा – नौकरी नहीं तो वापस ले लो गोल्ड मेडल

एंकर रीड:—धर्मशाला के योल की रहने वाली एक दिव्यांग गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट व MCom दिव्यांग बेटी रेणु ने नौकरी न मिलने से परेशान होकर अपने गोल्ड मेडल मुख्यमंत्री को लौटाने का फैसला किया है युवती अपने पिता मोहब्बत सिंह , जो पेशे से मजदूर हैं, के साथ तपोवन स्थित विधानसभा पहुंची और अपनी समस्याएं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने रखीं युवती ने बताया कि वह एक एथलीट है लेकिन प्रदेश में दिव्यांग एथलीटों के लिए सरकारी नौकरियों में केवल दो सीटें आरक्षित हैं इसी वजह से उसे नौकरी नहीं मिल रही है उसने कहा, “मैंने कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन हर जगह केवल आश्वासन मिला मेरे सारे प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं युवती ने बताया कि उसके पिता मजदूर हैं, और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है।

वीओ:—युवती ने बताया कि वह परिवार का सहारा बनना चाहती थी, लेकिन नौकरी न मिलने के कारण उसके सपने अधूरे रह गए उसने कहा, “मेरे मेडल और कोटे का क्या फायदा अगर मैं खुद अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी तक नहीं जुटा सकती? युवती ने अपनी बात रखते हुए कहा, “मैंने विकलांगता के बावजूद मेहनत कर मेडल जीते और प्रदेश का नाम रोशन किया, लेकिन मुझे आज दर-दर भटकना पड़ रहा है अगर सरकार मुझे नौकरी नहीं देती, तो इन मेडल का कोई अर्थ नहीं है रेणु बिल्कुल भी सुन नहीं सकती हैं और ठीक से बात भी नहीं कर सकती हैं। बताया की कठिन मेहनत से एम कॉम व एथलिटस में दो गोल्ड मेडल हासिल किए है। ये मेडल उन्हें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों जून 2016 में मिले‌ है । पर अब 2024 आ गया है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली है। बेटी कहती है मेरे जैसे दिव्यांग, जिसे कान से सुनाई नहीं देता है को टॉप करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल सकती है, तो जो सुन बोल सकते हैं, उनका भविष्य क्या होगा। युवती के इस कदम ने प्रदेश सरकार और प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं विपक्ष ने इस घटना को सरकार की नीतियों की विफलता करार दिया और दिव्यांग एथलीटों के लिए बेहतर अवसर और सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है इस मुद्दे ने प्रदेश में विकलांग और प्रतिभाशाली युवाओं की समस्याओं पर एक नई बहस छेड़ दी है अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

बता दें कि मोहब्बत सिंह की तीन बेटियां हैं और एक बेटा है। रेणु दूसरे नंबर की है। सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। रेणु से छोटी एक बहन और भाई है।