जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग (Anantnag) जिले के कोकरनाग गांव में में बुधवार को आतंकियों के साथ हुई भीषण गोलाबारी के दौरान जवानों के शहीद होने की खबर ने पूरे देश को ग़मगीन कर दिया है. Anantnag Encounter में भारतीय सेना के कर्नल, मेजर और जम्मू कश्मीर पुलिस के DSP समेत तीन शीर्ष अफसर भी शहीद हो गए हैं.
एक महीने की बेटी के सिर से उठ गया बाप का साया
इस आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए लोगों में एक डीएसपी हुमांयू भट्ट (DSP Humayun Bhat) भी शामिल हैं. हुमायूं के पिता गुलाम हसन भट्ट साल 2018 में जम्मू कश्मीर पुलिस विभाग में IG पद से रिटायर्ड हुए थे. हुमांयू भट्ट अपने पीछे एक महीने की मासूम बेटी को भी छोड़ गए हैं.
बता दें कि हुमांयू जम्मू कश्मीर के तेज तर्रार ऑफिसर के तौर पर जाने जाते थे. डेढ़ साल पहले ही उनकी शादी हुई थी. हाल ही में उनकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया था. इस मुठभेड़ में घायल होने के बाद डीएसपी का ज्यादा खून बहने की वजह से मौत हो गई.
वहीं बुधवार को देर रात नम आंखों के बीच पिता गुलाम हसन भट्ट ने अपने बेटे डीएसपी हुमांयू भट्ट को अंतिम सलामी दी. इस दौरान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और अन्य सेना के आला रैंक ऑफिसर मौजूद थे. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग मुठभेड़ में जान गंवाने वाले शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट को बडगाम के एक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
उनकी मौत से परिवार का हाल बेहाल है. एक पिता ने अपना बेटा खो दिया. एक पत्नी ने अपना पति और एक मासूम बेटी के सिर से बाप का साया हमेशा के लिए उठ गया. उनकी मौत ने मासूम बेटी की किलकारियों के जश्न को मातम में बदल दिया है. हर कोई उनके जाने से दुःखी है.
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में बुधवार को सूचना मिली कि यहां के गडूल गांव में 2 से 3 आतंकवादी नजर आए हैं. सूचना मिलते ही 19 राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम ने संयुक्त ऑपरेशन करते हुए इलाके को घेर लिया. टीम की कमान 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सेना मेडल से सम्मानित कर्नल मनप्रीत सिंह संभाले हुए थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकी पेड़ों के पीछे छिपे हुए थे. अचानक ही आतंकियों ने भीषण फायरिंग शुरू कर दी. ऑपरेशन को अंजाम देते समय कर्नल के साथ मेजर आशीष धौंचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के DSP हुमायूं भट उनके निशाने पर आ गए, मगर अंधाधुंध फायरिंग के बीच उन्होंने पूरी बहादुरी से दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया. उनके शरीर पर कई गोलियां लग चुकी थी, मिशन संभाले हुए तीनों ऑफिसर गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें सेना के अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहाँ उन्होंने आखिरी सांस ली और देश को ग़मगीन कर दिया.