Gyanvapi Case: फास्ट ट्रैक कोर्ट का एक आदेश… मिल रहे मंदिर के सबूत; ASI ने अदालत को सौंपी सर्वे रिपोर्ट
Gyanvapi Case ASI Survey Report पुरातत्व विज्ञान के एक विशेषज्ञ एवं अत्यंत अनुभवी व्यक्ति को इस कमेटी के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी जाए। कमेटी विवादित स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि एएसआइ सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह पता करना है कि विवादित स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर अध्यारोपित तो नहीं है।
HIGHLIGHTS
- अदालत ने 2021 में भी दिया था ज्ञानवापी के एएसआइ सर्वे का आदेश
- जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनों के इस्तेमाल की भी दी थी अनुमति
- रिपोर्ट सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंप दी गई
1991 में स्वयंभू ज्योर्तिलिंग विश्वेश्वर की ओर से पं. सोमनाथ व्यास समेत अन्य की ओर से दाखिल मुकदमे में ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे कराने की अर्जी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक आशुतोष तिवारी की अदालत ने आठ अप्रैल 2021 को मंजूर की थी। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को आदेश देते हुए कहा था कि सर्वे में पांच ख्यात पुरातत्वविद् शामिल होंगे, जिनमें दो अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे।
कमेटी विवादित स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी
पुरातत्व विज्ञान के एक विशेषज्ञ एवं अत्यंत अनुभवी व्यक्ति को इस कमेटी के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी जाए। कमेटी विवादित स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि एएसआइ सर्वे का मुख्य उद्देश्य यह पता करना है कि विवादित स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर अध्यारोपित तो नहीं है। विवादित स्थल पर क्या कोई हिंदू मंदिर रहा है, जिस पर मस्जिद बनाई गई या उस पर जोड़ी गई। यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्प और बनावट, विवादित स्थल पर किस प्रकार के सामग्री का उपयोग किया गया आदि का पता लगाया जाए।
एएसआई ने इन चीजों का लगाया पता
यदि वहां पहले मंदिर था था तो उसका आकार, वास्तुशिल्प, और बनावट के विवरण के साथ मंदिर किस हिंदू देवता अथवा देवतागण को समर्पित था, इसका पता लगाया जाए। सर्वे टीम विवादित स्थल के प्रत्येक भाग में प्रवेश कर सकेगी तथा ग्रांउड पेनेट्रेटिंग राडार (जीपीआर) अथवा जीओ रेडियोलाजी सिस्टम अथवा दोनों का प्रयोग कर सर्वेक्षण करेगी।
अवशेष जमीन के नीचे मिलने की संभावना
समानांतर खोदाई तभी होगी, जब सर्वे टीम इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि ऐसी खोदाई से निश्चित निर्णय के अवशेष जमीन के नीचे मिलने की संभावना है। सर्वे में वादी अथवा प्रतिवादी के दावों को मजबूती देन वाली प्राचीन कलाकृतियों को सुरक्षित रखा जाए। किसी गहरी खोदाई से वर्तमान ढांचा गंभीर रूप से प्रभावित होता है तो इस बारे में कोई फैसला कमेटी ही लेगी।
ASI ने अदालत को सौंपी सर्वे रिपोर्ट
सर्वे में फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाहरी माप, नक्शा, ड्राइंग की मदद ली जाए लेकिन किसी पुरातात्विक अवशेष को हटाया न जाए। इसी मुकदमे में बीते साल 19 दिसंबर को हाई कोर्ट ने मां शृंगार गौरी मुकदमे में हुए एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट को इस मुकदमे में भी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया था। बीते बुधवार को रिपोर्ट सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंप भी दी गई।