सफलता एक दिन में नहीं मिलती, इसके लिए लंबे समय तक जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, विपरीत परीथितियों में बिना थके, बिना हारे आगे बढ़ते रहना पड़ता है. अगर आप में इतना हौसला है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. आदिल कादरी में इतनी हिम्मत थी, तभी वो अपनी गरीबी, अपनी बीमारी और लोगों के तानों को हरा कर आज एक सफल उद्यमी बन पाए हैं.
मजदूर परिवार में हुआ था जन्म
डिजिटल प्लेटफॉर्म और बिजनेस जगत में पहचान बना चुके आदिल कादरी का पूरा नाम मोहम्मद आदिल आसिफ मलकानी है. 20 दिसंबर 1993 को गुजरात में जन्मे आदिल की ज़िंदगी में एक के बाड एक समस्याएं आती रहीं. सबसे पहली समस्या तो ये थी कि वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता और मां सहित पूरे परिवार के सदस्यों के पास आय का केवल एक ही स्रोत था, दैनिक मजदूरी. आदिल कादरी के परिवार की आर्थिक स्थिति हमेशा औसत से नीचे रही. परिवार पर एक और मुसीबत उस समय आन पड़ी जब पता चला कि आदिल कादरी को गंभीर प्रकार का अस्थमा है.
बीमारी ने छुड़वा दी पढ़ाई
उनकी बीमारी ने उन्हें इस तरह से असहाय बना दिया कि उनकी ज़िंदगी पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए. इसी की वजह से वह स्कूल नहीं जा सके और उनकी शिक्षा मात्र 5वीं क्लास तक ही हो पाई. उनकी बीमारी के कारण उनका बचपन और शिक्षा बाधित हुई. उन्हें देख कर लोग तरस खा कर ये तक कहने लगे कि अब वे पूरी ज़िंदगी, माता-पिता पर बोझ बने रहेंगे और उन्हीं के टुकड़ों पर पलेंगे. आदिल इसमें अपनी स्थिति में सुधार के लिए इंतजार करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे.
समय के साथ, जैसे जैसे आदिल कादरी बड़े होते गए उनके अंदर इस अस्थमा से निपटने की ताकत आती गई. उन्होंने बचपन से ही अपने परिवार को आर्थिक तंगी से जूझते देखा था. वह नहीं चाहते थे कि उनका परिवार आगे भी इसी स्थिति में रहे. इसलिए उन्होंने कुछ ऐसा सीखने का मन बनाया जिससे वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहायता पहुंचा सकें.
नहीं मानी हार
उन्होंने सबसे पहले मोबाइल और कंप्यूटर रिपेयरिंग सीखी क्योंकि ये कम मेहनत वाला काम था. उनके कौशल ने उनके लिए आय का एक स्रोत बनाया. मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर में मिली नौकरी से वह अच्छी कमाई करने लगे लेकिन वह संतुष्ट नहीं थे, उन्हें अधिक कमाई करनी थी. इसलिए, उनके चाचा इलियास हिंगोरा ने उन्हें डिजिटल मार्केटिंग और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन सीखने की सलाह दी क्योंकि तब ये क्षेत्र नए थे.
आदिल कादरी ने डिजिटल मार्केटिंग और एसईओ कौशल में भी महारत हासिल की. उन्होंने जो कुछ कौशल सीखे थे, उससे उन्हें काफी कमाई होने लगी. समय के साथ आदिल कादरी का परिचय प्रौद्योगिकी और इंटरनेट उद्यमिता से हुआ. उन दिनों इंटरनेट से कमाई करना आम बात नहीं थी. इसलिए, आदिल ने 2015 में अपनी पहली वेबसाइट लॉन्च करने का फैसला किया. उन्होंने साइट के विकास और रखरखाव में भारी रकम का निवेश किया, लेकिन उन्होंने जो सोचा था वैसी सफलता उन्हें नहीं मिली. आदिल कादरी ने वेबसाइट बंद करने का कठोर निर्णय लिया क्योंकि उन्हें लग रहा था कि वेबसाइट पर अधिक समय और पैसा खर्च करना उनकी मूर्खता होगी.
आदिल को एहसास हुआ कि उन्हें अपनी विशेष पहचान बनाने के लिए कुछ नया और अनोखा करना होगा. इसके लिए उन्होंने काफी रिसर्च की, जिसके बाद उन्हें सफलता की एक नई राह मिली. उन्होंने ई-कॉमर्स व्यवसाय में उतरने का फैसला किया. इसके लिए, उन्होंने ऑनलाइन बेचने के लिए अपने विशेष उत्पादों के रूप में इत्र को चुना.
जीवन को मिला सफलता का नया मार्ग
आदिल कादरी ने 2018 में अपनी ई-कॉमर्स साइट लॉन्च की और इसका नाम आदिल कादरी रखा, जो देश भर में गुणवत्ता और लक्जरी इत्र प्रदान करने वाला एक शीर्ष ब्रांड बन गया है. आदिल कादरी ब्रांड, इत्र के खोते आकर्षण को रेखांकित करने वाला पहला ब्रांड था और इस प्रकार ऑनलाइन और ऑफलाइन इत्र के महत्व और उपयोगिता को बढ़ावा देकर इसे फिर से मजबूत करने का फैसला किया. ब्रांड ने बाज़ार में नई सुगंध लाने से पहले ग्राहकों की ज़रूरतों और पसंदों पर शोध करने में कड़ी मेहनत और परिश्रम किया. औद-अल-हाशमी और मस्क-अल-ग़ज़ाली आदिल कादरी ब्रांड के कुछ व्यापक रूप से लोकप्रिय इत्र हैं.
आज है करोड़ों की कंपनी
उत्पादों और गुणवत्ता में आदिल कादरी की विशिष्टता ने उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को बहुत लोकप्रिय बना दिया. अब उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को हर दिन हजारों ऑर्डर मिलते हैं. नए ग्राहक कुछ नया ढूंढने के लिए प्लेटफ़ॉर्म पर आते हैं. इसलिए, आदिल कादरी ब्रांड ने इत्र से लेकर लक्जरी साबुन, तेल, बरकाती टोपी, अबाया, बखूर, थोब्स झुब्बा और कई अन्य उत्पादों की श्रृंखला बढ़ा दी है.
आदिल कादरी ने समानांतर ऑफ़लाइन बाज़ार में अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अहमदाबाद मुंबई राजमार्ग पर चिखली में अपना पहला ब्रांड आउटलेट भी खोला है. जीवन के प्रति आदिल कादरी का दृष्टिकोण दर्शाता है कि हर किसी में कमजोरी होती है, लेकिन संघर्ष उन पर काबू पाने और सफलता की ओर बढ़ने का साधन है. हम अगर हार ना मानें तो सफलता निश्चित ही दूसरे छोर पर हमारा इंतजार कर रही होती है.