हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा राजकीय संस्कृत महाविद्यालय तुंगेश में राज्यस्तरीय आचार्य दिवाकर दत्त जंयती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस शुभ अक्सर पर राष्ट्रपति सम्मान सम्मानित व हिमाचल गौरव सम्मान एवं अनेक सम्मानों से सम्मानित कैशव राम शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। सारस्वतातिथि के रूप में संस्कृत अकादमी के पूर्व सचिव एवं ज्योतिष मार्तड तथा ज्योतिषवाचस्पति आदि उपाधियों से सम्मानित डॉ. मस्तराम शर्मा ने शिरकत की। इसके अतिरिक्त व्याख्यान कर्ता के रूप में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय तुंगेश के पूर्व अध्यक्षा डॉ. दयानन्द शर्मा, डॉ. मदन मोहन शर्मा, डॉ. दिनेश शर्मा, आचार्य आदर्श शर्मा, आचार्य जगतराम शर्मा रहे। अन्य अतिथि गणों के रूप में ग्राम पंचायत चियोग के पूर्व प्रधान गीताराम वर्मा, पुर्व छात्र संगठन के अध्यक्ष आचार्य शिवदत्त शर्मा मौजूद रहें।
इस अवसर पर राजकीय संस्कृत महाविद्यालय नाहन में साहित्याचार्य पद पर कार्यरत आचार्य सुरेश भारद्वाज ने ‘हिमाचल संस्कृत कुल गुरवः – आचार्य दिवाकर दत शर्मा महाभागाः” विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। राजकीय संस्कृत महाविद्यालय तुगेश के प्राचार्य डॉ. रमेश शर्मा ने मुख्यातिथि, विशिष्टातिथि, अध्यक्ष, सारस्वतानिधि व अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया और इस जयन्ती समारोह को तुंगेश में मनाने के लिए हिमाचल कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी शिमला के निर्देशक व कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. पंकज ललित का विशेष आधार व्यक्त किया। इसके उपरान्त मुख्यातिथि प्रो. केशवराम शर्मा ने आर्चाय दिवाकर दत स्मरण करते हुए अपने जीवन की में उनके महत्वपूर्ण योगदान के विषय में कहा तथा कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए डां रमेश शर्मा व संस्कृति महाविद्यालय के स्टाफ को शुभकामनाएं दी। विशिष्टयतिथि डॉ. करुणा शर्मा ने आचार्य दिवाकर दत शर्मा के सराहनीय कार्यों के विषय में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया व महाविद्यालय को 15 हजार रुपये की राशि भी प्रदान की। निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कार्यक्रम के विषय की विस्तृत जानकारी सभी को प्रदान की एवं अभ्यागत समस्त अतिथियों का विशेष आभार व्यक्त किया। छात्राओं ने इस शुभ अक्सर पर राजकीय संस्कृत महा विधालय के छात्र- “भगवदन्नुकम् प्रहरूम का भी मंचन किया। द्वितीय सत्र में व्याख्यान कर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया जिसमें डॉ. दयानन्द शर्मा, डॉ. मदन मोहन शर्मा, आचार्य आदर्श शर्मा, डॉ. दिनेश शर्मा, जगतराम शर्मा प्रमुख थे।