जिला ऊना के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से भगवान शिव के महा अभिषेक को लेकर हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लाने के लिए रवाना हुआ 41 भोले का दल बुधवार को वापस जिला में कांवड़ लेकर प्रवेश हुआ। मां गंगा के पवित्र स्नान के बाद पवित्र गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए कई दिनों के बाद यह दल वापस गृह जिला पहुंचा है। जिसका जगह-जगह पर शिव भक्तों द्वारा ढोल नगाड़ों की थाप के साथ भव्य स्वागत किया गया। यह दल 2 अगस्त को अपने-अपने गांव के शिवालय में पवित्र गंगाजल से भगवान महादेव का महा अभिषेक करेगा। काबिले गौर है कि भगवान परशुराम ने सर्वप्रथम इस सृष्टि में कावड़ उठकर इस यात्रा का आरंभ किया था। जबकि उसके बाद श्रवण कुमार ने इसी ऊना की धरती से कांवड़ यात्रा की शुरुआत की जो आज पूरे देश में विख्यात हो चुकी है।
श्रावण के महीने में पवित्र गंगाजल को कांवड़ यात्रा के माध्यम से लाकर भगवान महादेव का महा अभिषेक करने की सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप बुधवार को भी 41 कांवड़ियों का दल हरिद्वार से वापस अपने गृह जिला ऊना पहुंचा। इस दल का भगवान भोले के भक्तों ने जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया। दल की अगुवाई कर रहे शिव कुमार शर्मा ने कहा कि इस सृष्टि में सबसे पहले इस यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम द्वारा की गई थी। शिव ने बताया कि कई कहानियों में ऐसा उल्लेख भी आता है कि त्रेता युग में श्रवण कुमार अंधे मां-पिता को तीर्थों की यात्रा करवा रहे थे। उनका जन्म श्रावण के महीने में श्रवण नक्षत्र में हुआ था। इस कारण उनका नाम श्रवण रखा था। माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के क्रम में वह हिमाचल राज्य के ऊना क्षेत्र में पहुंचे। यहां उनके अंधे माता-पिता ने उनसे मायापुरी यानि हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा प्रकट की। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव का महा अभिषेक पवित्र गंगाजल से करने के लिए हरिद्वार से जिला भर के कई गांव से करीब 41 भोले का दल कांवड़ लेकर पहुंचा है। जो अपने-अपने क्षेत्र के शिवालयों में भगवान महादेव का महाअभिषेक करेगा। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष इस दल में श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।