3.6 करोड़ के डिफॉल्टर को हिरासत में लेने के बाद रिहा — बैंक की लापरवाही आई सामने, अब गारन्टर्स पर गिरेगी गाज

सोलन बघाट बैंक के करोड़ों रुपये के लोन मामलों में विभाग की सख्ती के बीच बैंक की लापरवाही भी खुलकर सामने आई है। सहायक पंजीयक सहकारी सभाएँ गिरीश नड्डा ने बताया कि बघाट बैंक के एक डिफॉल्टर को आज पुलिस ने हिरासत में लिया था। यह इस प्रकरण में दूसरी गिरफ्तारी थी। जांच में सामने आया कि डिफॉल्टर पर करीब 3.6 करोड़ रुपये का बकाया था, जबकि उसकी संपत्तियों की कीमत इतनी थी कि बैंक आसानी से रिकवरी कर सकता था।  इसके बावजूद, बैंक अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन संपत्तियों को बेचने में महीनों की देरी की गई। बैंक की लापरवाही और देरी से हुई कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि बघाट बैंक प्रबंधन की वजह से बैंक इस हालात पर पहुंचा है। गिरीश नड्डा ने खुलासा करते हुए बताया कि  डिफॉल्टर ने खुद जांच के दौरान बताया कि वह अपनी संपत्तियाँ बेचकर लोन चुकाना चाहता था, लेकिन बैंक की धीमी प्रक्रिया और निर्णय न लेने की वजह से मामला लटकता रहा। उसने अपनी नीयत स्पष्ट करते हुए बैंक को ₹1 लाख रुपये की राशि भी तुरंत जमा की। इसके बाद, सहयोग का आश्वासन देने पर उसे रिहा कर दिया गया और अगली सुनवाई में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए।   सहायक पंजीयक ने कहा कि डिफॉल्टर के साथ-साथ अब गारन्टर्स पर भी शिकंजा कसा जाएगा। बड़े लोन मामलों में गारन्टर्स से संपर्क किया जा रहा है, और यदि वे रिकवरी में सहयोग नहीं करते हैं तो उनकी गिरफ्तारी और संपत्तियों की कुर्की की जाएगी।  सूत्रों के अनुसार, करीब 10 से 12 बड़े लोन केसों की फाइलें तैयार हैं। इन मामलों में जो भी गारन्टर और डिफॉल्टर सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ जल्द ही वारंट जारी होंगे। विभाग ने सभी लोनी को स्पष्ट चेतावनी दी है — चाहे लोन छोटा हो या बड़ा, रिकवरी अब किसी भी हाल में रुकेगी नहीं।