वो 5 बहादुर महिलाएं, जिन्होंने अपने पति की शहादत के बाद उनके सपने को जिंदा रखा और Army ज्वाइन की

एक शहीद की पत्नी का जीवन आसान नहीं होता. अपने पति को खोने के बाद वो खुल कर रो भी नहीं पाती क्योंकि इस पहाड़ जैसे दुख के साथ ये गर्व भी होता है कि उनके पति ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं. खुद के साथ साथ उन्हें अपने बच्चों और परिवार को भी संभालना पड़ता है. इतने बड़े दुख को सहने के लिए लोहे का जिगर चाहिए. लेकिन शहीदों की पत्नियां इतनी बहादुर होती हैं कि पति को खोने के बाद ये उनके सपने को जिंदा करने में जुट जाती हैं.

आज हम आपके लिए लाए हैं ऐसी ही कुछ बहादुर महिलाओं की कहानी जिन्होंने अपने पति के बलिदान के बाद उन्हीं के कर्मपथ पर चलने का फैसला किया और सेना में भर्ती हुईं : 

1. रेखा सिंह

Rekha Singh Twitter

मध्य प्रदेश के रीवा के लांस नायक दीपक सिंह 15 जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए हमले का जोरदार मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे. उन्होंने अपने साथियों के साथ चीनी सैनिकों से लड़ते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था.

उनकी शहादत के बाद उनकी पत्नी रेखा सिंह ने सरकारी टीचर की नौकरी छोड़ दी और सेना में जाने की तैयारी करने लगी. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद रेखा ने अपने पति के सपनों को आखिरकार सच कर दिखाया. गलवान घाटी में शहीद लांस नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह अब सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं हैं. 29 अप्रैल को रेखा सिंह पासिंग परेड में शामिल होंगी.

2. गरिमा

साल 2015 में गरिमा की शादी स्क्वाड्रन लीडर समीर से हुई थी. दुर्भाग्य से वर्ष 2019 में समीर अबरोल बंगलूरू में मिराज 2000 एयरक्राफ्ट के क्रैश होने के बाद शहीद हो गए थे. पति के जाने के बाद वह टूटी नहीं. उन्होंने न सिर्फ अपने पति के न होने का सच कबूल किया, बल्कि उनकी ही तरह देश सेवा के लिए तैयार भी हुईं. उन्होंने एसएसबी की परीक्षा पास की और फ्लाइंग ऑफिसर बन गईं. हैदराबाद के डिंडीगुल स्थित एयरफोर्स एकेडमी से पासिंग आउट होने के बाद परेड में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सलामी दी थी.

3. रिगजिन शोरोल

लद्दाख के रहने वाले रिगजिन खांडप लद्दाख स्काउट्स की जेडांग सुंपा बटालियन में राइफलमैन थे, ड्यूटी के दौरान वो शहीद हो गए थे. वह अपनी पत्नी के लिए हमेशा से चाहते थे कि वो भी आर्मी का हिस्सा बने. पति की शहादत के बाद शोरोल ने उनका सपना पूरा करने की ठानी. इसके बाद 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद वह आर्मी ऑफिसर बन गईं.

लेफ्टिनेंट बनी रिगजिन शोरोल ने एक समारोह के दौरान बताया था कि “उन्होंने अपने पति के सपने को पूरा किया है. वह चाहते थे कि शोरोल आर्मी ऑफिसर बने. आर्मी में उनका सफर दिसंबर 2021 में शुरू हुआ और 11 महीने की कठोर ट्रेनिंग के बाद वह अधिकारी बन गईं. खास बात ये थी कि उस दौरान वह अकेली रही और अपने बच्चे से अलग रहकर अपने लक्ष्य को पूरा किया. उन्होंने कहा था कि उन्हें यकीन है कि उनके पति को उन पर गर्व होगा.

4. ज्योति नैनवाल

martyr-naikSSBCrack

नाइक दीपक नैनवाल को 10 अप्रैल, 2018 को कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों से लड़ते हुए तीन गोलियां लगीं और 20 मई, 2018 को वह शहीद हो गए. अपने पीछे दीपक अपनी पत्नी ज्योति और 5 साल के बेटा व 8 साल की बेटी को छोड़ गए. नैनवाल के निधन ने ज्योति और उनके परिवार को तोड़ दिया. मगर उन्होंने ज़िम्मेदारियां निभाने का फ़ैसला किया और अपने बच्चों और परिवार को नहीं छोड़ा.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए ज्योति ने कहा कहा था कि, “मैंने खुद से कहा कि दीपक नहीं चाहेंगे कि मैं ऐसी बनूं. वह मुझे दुनिया का बहादुरी से सामना करता देख पसंद करेंगे. मैंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया है. भारतीय सेना ने मेरा समर्थन किया. मुझे उनके अस्पताल में भर्ती होने के दौरान 40 दिनों तक अपने पति के रहने और देखभाल करने की अनुमति दी. मैंने इस अवधि के दौरान सीखा कि भारतीय सेना न केवल बहादुर दिलों का बल्कि उनके परिवारों का भी ख्याल रखती है. दीपक ने बताया कि मुझे सेना में होने की क्षमता मिली है.”

इसके बाद ज्योति नैनवाल ने चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में अपना प्रशिक्षण शुरू किया. ज्योति नैनवाल अपनी मेहनत और बाकी लोगों के सहयोग से चयनित होने में सफल रहीं. वह उन एसससी (डब्ल्यू)-26 की 29 महिला कैडेट और एसएससी-112 पाठ्यक्रम के कुल 124 कैडेट में से एक थीं, जिन्होंने 20 नवंबर 2021 को अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में अंतिम पग पार कर सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर नया सफर शुरू किया.

5. निकिता ढौंडियाल

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक आंतकी हमला हुआ, जिसमें मौके पर ही भारतीय सेना के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद देश गुस्से में था. जैश-ए-मोहम्मद ने जैसे ही इस हमले की ज़िम्मेदारी ली, भारतीय सेना ने उसके ख़िलाफ एक ऑपरेशन चलाया और आंतकियों से दो-दो हाथ किए.

इस अभियान में अपने साथियों की शहादत का बदला लेते हुए 18 फरवरी को उत्तराखंड के देहरादून के लाडले मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे. इस आतंकी हमले में पति को खोने के बाद मेजर की पत्नी नितिका ने न केवल ख़ुद को संभाला, बल्कि एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. शहीद मेजर विभूति ढौंढियाल की पत्नी नितिका ने जिस तरह अपने पति को श्रद्धांजलि दी थी, उसका वीडियो काफ़ी चर्चित हुआ था.

पति की शहादत के बाद नितिका ने खुद आगे बढ़कर सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई थी. सेना ने उनका सम्मान किया और मदद की. सेना का हिस्सा बनने के लिए नितिका से कुछ परीक्षाओं की तैयारी कर उन्हें पास करने के लिए कहा गया था. जिसके बाद नितिका ने खुद को आर्मी के लिए तैयार किया और सेना का एंट्रेस एग्जाम पास किया. चेन्नई में कड़ी ट्रेनिंग के बाद वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनीं. उन्होंने भारतीय सेना की वर्दी पहन अपने शहीद पति मेजर विभूति शंकर को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.