उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने “प्रधानमंत्री देखरेख योजना” के तहत 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके तीन निराश्रित बच्चों को अपने कार्यालय में 10-10 लाख निधि के डाकघर खातों की पास बुक प्रदान की। इस दौरान इन तीन बच्चों के खातों को “संयुक्त खाता” से “एकल खाता” में परिवर्तित कर उनकी डाकघर खातों की पासबुक उन्हें सौंपी गई।
उपायुक्त ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री देखरेख योजना” के अन्तर्गत 10-10 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया था। उन्होंने बताया कि यह धन राशि डाकघर में जिलाधीश के साथ “संयुक्त खाता” के रूप में जमा रहती है व जिलाधीश इन बच्चों के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
उन्होंने बताया कि खाताधारक बच्चे की आयु 18 वर्ष पूरी हाने पर 10 लाख रुपए की निधि के साथ उक्त खाता, खाता धारक का “एकल खाता” हो जाता है। उन्होंने बताया कि खाताधारक के 18 वर्ष से 23 वर्ष की आयु का होने तक केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय राष्ट्रीय बचत योजना पर लागू ब्याज की दर लगेगी।
उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में कोविड महामारी से कुल 9 बच्चे अनाथ हुए थे। इन सभी बच्चों के संरक्षक के रूप में जिलाधीश “संयुक्त खाताधारक” हैं। उन्होंने बताया कि अनाथ हुए 9 बच्चों में से 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके तीन बच्चों का खाता आज एकल कर दिया गया है। इसके साथ ही इन बच्चों को मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के अंतर्गत लाभान्वित करने के लिए जिलाधीश महोदय ने संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। जिलाधीश महोदय ने बच्चों के साथ विस्तृत बातचीत की, उनका कुशलक्षेम पूछा व उनकी शिक्षा सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की।
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार शर्मा व जिला बाल संरक्षण अधिकारी राजेश कुमार उपस्थित रहे।